Indore : आज से हुआ मालवा उत्सव का भव्य शुभारंभ, हुए कई प्रकार के नृत्य

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इंदौर(Indore) : मध्य प्रदेश की पहचान बन चुका मालवा उत्सव(Malva Celebration) का आज भव्य शुभारंभ हुआ। इंदौर गौरव दिवस(Indore Pride Day) के तहत मनाए जा रहे इस उत्सव को जनजाति नृत्यों को समर्पित किया गया। नगर पालिका निगम एवं संस्कृति संचनालय मध्यप्रदेश के सहयोग से मनाए जा रहे इस उत्सव में आज बड़ी संख्या में कला प्रेमियों की उपस्थिति लालबाग परिसर पर देखी गई। लोक संस्कृति मंच के संयोजक शंकर लालवानी ने बताया आज होलकर कालीन बाड़े की प्रतिकृति के रूप में बनाए गए मंच पर इंदौर गौरव दिवस के अंतर्गत जनजाति नृत्य ने अपनी अलग ही छाप छोड़ी जहां छत्तीसगढ़ का कर्मा जनजाति का साईला कर्मा नृत्य आदिवासी अंचल की बांनगी दिखा रहा था तो वहीं भील जनजाति का भगोरिया भी इसमें शामिल था।

मध्य प्रदेश के बुंदेलखंड अंचल का बधाई नृत्य जोकि पुत्र जन्म विवाह आदि मांगलिक अवसरों पर शीतला माता की आराधना में किया जाता है प्रस्तुत किया गया बोलत थे “नैना बंध लागे कईयोंने, चोली बंध लागे कईयोंने” वहीं गुजरात राजकोट से आई 15 लड़कियों टीम ने लाल व हरे रंग के परिधान में नारी शक्ति का प्रदर्शन करते हुए तलवार रास प्रस्तुत किया जिसमें वास्तविक तलवारों का उपयोग करते हुए पुराने जमाने में राजपूतानिया स्वयं व किले की रक्षा युद्ध के समय कैसे करती थी इसका बेहतरीन प्रदर्शन किया।

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राजकोट के इस समूह ने पिछले दिनों 2500 महिलाओं के साथ तलवार रास करके ग्रीनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया है । वहीं गुजरात की डांग जिले से आए समूह ने होली के समय किया जाने वाला प्रसिद्ध नृत्य 8 लड़के और लड़कियों के साथ में प्रस्तुत किया लड़कों ने जहां धोती कुर्ता पहना था तो लड़कियों ने खांडवा दुपट्टा पहना था ।उन्होंने लट्ठ के साथ रास प्रस्तुत किया। महाराष्ट्र के सांगली से आए कलाकारों ने ढोल व बांसुरी वह झांज के साथ धनगर गाजा नृत्य प्रस्तुत किया जो दशहरा के समय 9 दिनों तक भगवान विरोबा की आराधना में किया जाता है इसमें हाथी के समान चलते हुए हिलडुल कर सधे हुए कदमों से लाय ताल के साथ नृत्य का प्रस्तुतीकरण धनगर जनजाति के द्वारा किया गया।

वहीं गुजरात का प्रसिद्ध नृत्य झुमकू भी प्रस्तुत हुआ जिसमें गांव के सामान्य जीवन चर्या को प्रदर्शित किया गया इसमें ग्रामीण परिवेश में महिलाएं सामेला सूपड़े से गेहूं साफ करती एवं मिर्ची कुटती भी नजर आई ।वही अर्वाचीन प्राचीन गरबा एवं नौरता का सुंदर प्रस्तुतीकरण हुआ। लोक संस्कृति मंच के सचिव दीपक लंवगड़े एवं विशाल गिद्वानी ने बताया कि आज कार्यक्रम का शुभारंभ सरस्वती वंदना से हुआ आकृति सोनी एवं साथियों ने इसे प्रस्तुत किया तबले पर आयुषी मकवाना एवं हारमोनियम पर प्रयास सक्सेना थे वहीं अहिल्या स्तुति भी प्रस्तुत की गई जो पद्मा शुक्ला एवं साथियों ने प्रस्तुत किया हारमोनियम पर संगत शिवम सूर्यवंशी ने की इसके पूर्व कार्यक्रम की शुरुआत मंच पर अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन से हुई।

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मंच के बंटी गोयल व संकल्प वर्मा ने बताया कि शिल्प मेला सायंकाल 4:00 बजे से लालबाग पर प्रारंभ हुआ जिसमें काफी संख्या में कला प्रेमियों की उपस्थिति दर्ज की गई ट्रायफेड के नाम से 50 जनजातिय शिल्पकारों का बनाया गया अलग झोन आकर्षण का केंद्र रहा। 26 मई के कार्यक्रम शिल्प मेला सायंकाल 4:00 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम 7:30 बजे से साईला कर्मा, धनगरी गाजा, अर्वाचीन प्राचीन गरबा, तलवार रास,नौरता ,डांगी नृत्य, भगोरिया एवं स्थानीय कलाकारों के नृत्य होंगे।