अलविदा सीमांत भाई, यादों में रहोगे हमेशा!

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सीमांत सुवीर नहीं रहे.. कैसे इस खबर पर भरोसा करू..क्योंकि उनकी अभी न तो जाने की उम्र थी और ना ही ऐसी किसी अनहोनी की आशंका… लेकिन लगता है कि यह मनहूस साल 2020 जाते-जाते भी त्रासदी देता रहेगा…1986 के अक्टूम्बर में जब दैनिक भास्कर के स्पोर्ट्स एडिटर अशोक कुमट साहब ने मुझे उज्जैन से बुलाया और खेल डेस्क पर काम करने का मौका दिया तो मेरी पहली मुलाकात सीमांत सुवीर से ही हुई थी…मैं पहली बार ही किसी अखबार के दफ्तर में घुसा था और कुमट साहब ने मुझे सीमांत के हवाले कर दिया कि इनसे कुछ खबरें बनवाओ , इनका टेस्ट लो..उस वक्त राजीव रिसोडकर , नगीन बारकिया , विपिन नीमा , सुभाष सातालकर के साथ कुछ समय खेल डेस्क पर काम किया मगर सीमांत हमेशा बॉस की भूमिका में रहे और उनसे थोड़ी खट-पट भी होती रही.. भास्कर के लिए कुछ महत्वपूर्ण स्पोर्ट्स इवेंट का कवरेज भी किया..और सीमांत भाई से खेल पत्रकारिता की बारीक जानकारियां भी समझता रहा ..हालांकि मैं लंबे समय तक खेल डेस्क पर नहीं रहा और फिर भास्कर की अन्य डेस्क पर काम करता रहा ..लेकिन सीमांत भाई से जो दोस्ती हुई तो वह अनवरत रही और कुछ दिनों पहले ही उनसे फोन पर बात हुई और जल्द मिलने का करार हुआ..और आज ये खबर मिली कि सीमांत नहीं रहे…पहले तो भरोसा नहीं हुआ ..फिर चलचित्र की तरह कैरियर के शुरुआती वर्षों में उनके साथ बिताए तमाम पल एक एक कर याद आने लगे.. यार सीमांत भाई इतनी जल्दी चले जाओगे..इसका जरा भी अंदाजा नही था.. हमेशा यादों में बने रहोगे… अलविदा भाई..

विनम्र श्रद्धांजलि
@ राजेश ज्वेल