विनय पिंगले-
प्रशासन किंकर्तव्यमूढ बनकर नेतानगरी और भोपाल के आलाकमान को देख रहा है। स्थानीय नेतानगरी “हमें कोई आपत्ति नहीं” बोल रहे है पर निर्णयात्मक कुछ नहीं बोल रहे है। आलाकमान लोगों को मास्क पहनाने के प्रयत्न मे लगे हुए है। विपक्ष टैक्स बढ़ोतरी के विरुद्ध रैली निकाल रहे है और दवा /ऑक्सिजन की कमी को मुद्दा बना कर सरकार और प्रशासन को नीचा दिखाने का प्रयत्न कर रहे है। लॉकडाउन जैसे सख्त कदम उठाने की बात पर विपक्ष के अध्यक्ष और विधायक भी बोल रहे है कि हमे आपत्ति नहीं पर इंदौर मे रहने वाले “राष्ट्रीय स्तर के नेताओ” से पूछना पड़ेगा। क्राइसिस मेनेजमेंट कमिटी भगवान जाने कौन से क्राइसिस मैनेज कर रही है।
क्राइसेस मैनेजमेंट कमीटी भगवान जाने कौन से क्राइसेस मैनेज कर रही है। साल भर पहले दावा कर रहे थे कि इंदौर मे 1 लाख बेड कर देंगे? क्या हुआ? कहां है बेड? छोटे जिलों को साल भर मे क्यों नहीं सर्व सुविधा युक्त बनाया? ऑक्सिजन बनाने के प्लांट्स क्यों नहीं स्थापित किए प्रदेश भर मे? क्यों आज भी ऑक्सिजन के लिए महाराष्ट्र, गुजरात, छत्तीसगढ का मुह देखना पड़ रहा है?
अस्पतालों मे बेड नहीं, ऑक्सिजन नहीं, रेमडे शिविर नहीं, वेंटीलेटर नहीं कोविड टेस्ट करने लॅबोरेटरी सरकार द्वारा शुल्क कम किए जाने वाला निर्णय मानने को तय्यार नहीं लोगों की लंबी कतारें और लॅबोरेटरी वालों से विवाद इंदौर उज्जैन और भोपाल संभागों के छोटे जिलों के जिला अस्पतालों मे सुविधाएं न होने से इंदौर के अस्पतालों पर बढ़ता दबाव|
सरकार / प्रशासन निर्णय लेने मे जितना विलंब करेंगे उतना नुकसान जनता को झेलना है। लोकडाउन के अलावा कोई विकल्प नहीं । भगवान भला करे सबका।