इंदौर नगर निगम में हुए 125 करोड़ रुपए के फर्जी बिल घोटाले मामले में आए दिन बड़े राज उजागर हो रहे हैं। इस मामले में अब तक कई गिरफ़्तारी भी हो चुकी है। वहीं इस पूरे ममले में मुख्य आरोपी भी पुलिस गिरफ्त में हैं, इतना ही नहीं मामले में जाँच चल रही है। इस बीच पूर्व विधायक गोपी कृष्ण नेमा ने सीएम मोहन यादव को पत्र लिखा है और फर्जी बिल घोटाले मामले में उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने लिखा है कि,
प्रति,
श्रीमान डॉ. श्री मोहन यादवजी मुख्यमंत्री मध्यप्रदेश शासन महोदय,
सेवा में सादर अनुरोध के साथ मेलपत्र आप को भेजने का कारण यह है कि देश के सबसे स्वच्छ शहर इंदौर में नगर निगम में एक ऐसा भ्रष्टाचार के प्रकरण सामने आया है जिसकी कल्पना की जाना भी अकल्पनीय है।
जन-धन का ऐसा भ्रष्टाचार प्रदेश में कभी देखने सुनने में नहीं आया है। मीडिया एवं अन्य माध्यमों पत्रों से लगभग 120-25 करोड के भ्रष्टाचार की चर्चा सामने आ रही है 8-10 व्यक्ति पुलिस की जांच में अपराधी दिखाई दे रहे है।
सार्वजनिक क्षेत्र के वर्षों काम करते हुए मेरा अनुभव एवं स्पष्ट मान्यता है की इसकी उच्चस्तरीय निष्पक्ष विशेषज्ञों से जांच करवाई जावे तो यह राशि 1000 करोड के आस- पास पहुंचेगी एवं इस राशी की हिस्सेदार बडे छोटे मिलाकर सेकडो की संख्या में सामने आयेंगे ।
नगर निगम में छोट से छोटा बड़े में बड़ा कार्य होने में नीचे से प्रस्ताव अनुशंसा एम.आई.सी. की मजुरी अधीक राशि का हो तो परिषद प्रस्ताव कमीश्नर द्वारा टेंडर निकालने, आदेश, टेंडर आने के बाद उसकी स्वीकृती वर्क आर्डर दिया जाना कार्य प्रारंभ होने पूर्ण होने की प्रक्रिया बिल लगाया जाना वह विभिन्न अधिकारियों द्वारा हस्ताक्षर होकर आडिट में जाना आडिटर द्वारा संपूर्ण फाईल के अध्ययन के बाद ट्रेजरी में भुगतान की अनुशंसा होने के बाद भी उच्चस्तरीय स्वीकृती से भुगतान का चेक बनाया जाना होता है।
पिछले कुछ वर्षों से कार्य प्रारंभ के पूर्व कार्य चलते हुए एवं पूर्ण होने के पश्चात् के फोटोग्राफ की लेने एवं फाईल में लगाने के निर्देश है इसके साथ ही निर्माण में सबसे पहले एम.बी. भरवाई जाती है जिस पर निरीक्षक से लेकर इंजीनियर तक के हस्ताक्षर होते है जो इस बात को दर्शाते है कि आज इतना काम हुआ याने अर्थात कार्य प्रगति की जानकारी से सभी कागजात, स्वीकृतियां, अनुमति उस फाईल में दर्ज होती है और नोटशीट पर प्रत्येक स्तर पर विभिन्न स्थानों पर ओवरसियर से कमीश्नर तक के हस्ताक्षर होते है।
इतने कागजात, इतने हस्ताक्षर जिनके संबंध में कहा जा रहा है कि सभी फर्जी है और कुछ लोगो द्वारा यह किया जा रहा था यह पूर्णतः अविश्सनीय कथन है। निश्चित रूप में इसमें उपर से नीचे तक के लोगो की सहभागिता के बिना यह कृत्य 8-10 लोगो द्वारा किया जाना संभव नहीं हो सकता है।
शहर में यह चर्चा की पिछले दीनो रही है कि निगम की आर्थिक स्थिति दयनीय है आवश्यक कार्यों का भुगतान नहीं हो रहा है कई बार वास्तविक ठेकेदारों ने कमीश्नर, महापौर से भुगतान दिलाये जाने हेतु भेंट की थी इसी कड़ी में एक बड़े ठेकेदार ने भुगतान न होने कर्ज होने की दशा में आत्महत्या भी कर ली थी इस स्थिति में फर्जी ठेकेदारों को करोडो का भुगतान सिर्फ एक अधिकारी के निर्देश पर होना और होते चले जाना आश्चर्यजनक कीन्तु सत्य है।
फर्जी भुगतान प्ररण में पहले 5 फर्म नीव कन्स्ट्रक्शन, ग्रीन कन्स्ट्रक्शन, किंग कन्स्ट्रक्शन, मे. क्षीतीज इंटरप्राईजेस, मे. जाह्नवी इंटरप्राईजेस के नाम सामने आये, कुछ दिनों बाद जांच में अन्य 2 फर्म क्रिस्टल कन्स्ट्रक्शन एवं ईश्वर कन्स्ट्रक्शन भी सामने आई पश्चात् मीडिया में 4 और फर्म डायमण्ड इंटरप्राईजेस कास्मो इंटरप्राईजेस मेट्रो इंटरप्राईजेस एवं एवन इंटरप्राईजेस भी सामने आई है आगे और क्या क्या सामने आयेगा यह जांच के गर्भ में है।
इन सभी परिस्थितियों को दृष्टीगत रखते हुए आपसे अनुरोध है कि इस प्रकरण की वर्तमान में बनाई जांच कमेटी के अलावा, निर्माण विशेषों एवं आर्थिक विशेषज्ञों अपराध विशेषज्ञों की संयुक्त कमेटी बनाकर समयबद्ध जांच करवाये। स्थानीय पुलिस एवं निगम की समिति इस प्रकरण की अंतिम स्तर तक जांच कर पायेगी यह विचारणीय तथ्य है। क्योंकि इन गिरफ्तार अपराधियों में एक की जमानत भी हो गई जो जांच के प्रमाण प्रस्तुती को कमजोर सिद्ध करने का पर्याप्त प्रमाण है।
इस प्रकरण की जांच में इन बिन्दुओं को भी सम्मिलित करने का आग्रह है कि इन फर्जी फर्मों का जब से निगम में रजिस्ट्रेशन हुआ है तब से आज तक इन फर्मों को कितना भुगतान हुआ है कार्य वास्तविक है या फर्जी है। इसके साथ उन सभी भुगतान किये कार्यों पर जीन जिन के हस्ताक्षर दर्शाते हो रहे है।
उन सभी की हस्तलिपी प्रमाणीकरण की सत्यता की जांच की जावे अगर हस्ताक्षर सत्य है तो उन्हें आरोपी बनाये अगर हस्ताक्षर फर्जी है तो इतने व्यक्तियों के फर्जी हस्ताक्षर करने वाले व्यक्ति को कटघरे में खड़ा करने हेतु सामने लावे करोडो की जनधन राशि की वापसी वसूली हेतु भी इनकी दृश्य और अदृश्य संपत्ति के राजसात करने हेतु कानूनी सम्मत कार्यवाही करें इन सबके साथ प्रदेश के अन्य स्थानीय निकायों में भी इस तरह के कार्य हो रहे है या नहीं इस पर भी निगरानी जरूरी है क्यांकि जनधन का उपयोग जनहित में हो यह सुनिश्चित करना आपका दायित्व है।
आप प्रदेश के जागरूक मुखिया एवं महांकाल के सेवक है महांकाल के तीसरे नेत्र की तरह कानूनी रूप से तीसरी उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर भ्रष्ट व्यवस्था रूपी भस्मासुर का संहार करें। यही विनती अनुरोध एवं निवेदन है।