2021 के अंत तक देश भर में करीब 1,00,000 किसानों तक पहुँचना फार्मकार्ट का लक्ष्य

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इंदौर / बड़वानी (मध्यप्रदेश), 31 अक्टूबर, 2020: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात की ७०वीं कड़ी में बड़वानी से शुरू की गई कृषि नवाचार समाधान कंपनी फार्मकार्ट के कार्यों और उसके द्वारा लॉकडाउन में किसानों के हित में किये गए प्रयासों की सराहना की है ।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा, “मध्यप्रदेश के बड़वानी में अतुल पाटीदार अपने क्षेत्र के ४,००० किसानों को डिजिटल रूप से जोड़ चुके हैं। इस डिजिटल प्लेटफॉर्म पर आधुनिक कृषि उपकरण भी किराए पर भी मिल जाते हैं। लॉकडाउन के समय भी इस डिजिटल प्लेटफॉर्म के जरिए किसानों को हजारों पैकेट डिलीवर किए गए जिसमे कपास और सब्जियों के बीज भी थे।अतुल जी और उनकी टीम किसानों को तकनीकी रूप से जागरूक कर रही है, किसानों को ऑनलाइन पेमेंट और ख़रीदारी भी सिखा रही है।”


फार्मकार्ट को मिली इस प्रशंसा पर संस्थापक और सीईओ अतुल पाटीदार ने कहा, “यह बात हमारे लिए बहुत ही मायने रखती है कि देश के प्रधानमंत्री माननीय नरेन्द्र मोदी जी ने फार्मकार्ट के तकनीकी नवाचार समाधानों और प्रयासों को सराहा है। फार्मकार्ट और उसकी टीम के उत्साहवर्धन के लिए मैं प्रधानमंत्री जी का ह्रदय से आभारी हूँ। ‘मन की बात’ में फार्मकार्ट के उल्लेख ने हमारी टीम में एक नई शक्ति का संचार किया है, जो आने वाले समय में हमें और बेहतर करने के लिए प्रेरित करेगा।फिलहाल, फार्मकार्ट अपने ई- कॉमर्स प्लेटफॉर्म के जरिए मध्यप्रदेश में करीब १,२०० स्थानों में १५०,००० किसान फार्मकार्ट द्वारा वितरित उत्पादों और सेवाओं का लाभ ले रहे हैं। फार्मकार्ट का सपना है कि देश का हर किसान ऑनलाइन हो। इसी को साकार करने के लिए कंपनी बहुत जल्द विस्तार की योजना भी बना रही है। अगले एक वर्ष में कंपनी देशव्यापी विस्तार करना चाहती है। २०२१ के अंत तक देश भर में करीब १,००,००० स्थानों पर किसानों तक पहुँचना कंपनी का लक्ष्य है । विस्तार की योजना में भारत में खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों में नए रोज़गार देना भी शामिल होगा। “

फार्मकार्ट के चेयरमैन अनूप मंडलोई के अनुसार, “हम ऐसे शिक्षित युवाओं की तलाश कर रहे है जो ग्रामीण भारत में रोज़गार को एक अवसर की तरह देखकर उसका लाभ उठाना चाहते हों। इसके लिए कंपनी आईआईएम और सिम्बायोसिस जैसे संस्थानों की प्लेसमेंट प्रक्रिया में भी हिस्सा ले रही है। कंपनी की विस्तार योजना में, कृषि सलाह या कंसल्टेंसी सेवाओं का भी विस्तार भी शामिल है। इसके लिए फार्मकार्ट एग्री-निदान एप भी लांच करेगी। इसके माध्यम से फार्मकार्ट कृषि-परामर्श का प्रजातंत्रीकरण करना चाहती है। ऐसा होने पर, एग्री-निदान एप से किसान दुनिया भर के जाने-माने कृषि विशेषज्ञों की सलाह ले पाएंगे। फिलहाल दी जाने वाली रेंट4फार्म सेवा के लिए भी फार्मकार्ट एक अलग एप लांच करने का मन बना रही है। यह प्लेटफॉर्म किसानों को कृषि उपकरणों के सर्टिफाइड सप्लायरस से जोड़ने का कार्य करेगी।”

फिलहाल, फार्मकार्ट के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म के माध्यम से ग्रामीण किसानों को सात सौ से ज्यादा अंतरराष्ट्रीय स्तर के उत्पाद और खेती संबंधी हर ज़रूरी जानकारी उपलब्ध है। हाल ही में, फार्मकार्ट ने कृषि उत्पाद और सेवाओं के लिए ई-कॉमर्स एप्लीकेशन भी लांच की है। यह कृषि की दृष्टि से देश का पहला व्यापक प्लेटफॉर्म है। फार्मकार्ट के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर राष्ट्रीय और अंतराष्ट्रीय स्तर की विश्वसनीय कंपनियों के बीज, फर्टिलाइजर, कीटनाशक और सिंचाई सम्बन्धी संशाधन उपलब्ध हैं। फार्मकार्ट का मुख्य कार्यालय बड़वानी मध्य प्रदेश में स्थित है और कंपनी की स्ट्रेटेजी टीम टोरंटो कनाडा में हैं।

फार्मकार्ट का लक्ष्य है कि देश के किसानों का जीवन आसान हो सके और उन्हें अपनी मेहनत का पूरा फल प्राप्त हो। कंपनी की युवा टीम हर वह प्रयास कर रही है जिससे किसानों का जीवन और भी सरल और सुलभ हो सके।

फार्मकार्ट के उन तकनीकी समाधानों और कार्यों की जानकारी जिन्हें प्रधानमंत्री ने सराहा

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात की ७०वीं कड़ी में बड़वानी से शुरू की गई कृषि नवाचार समाधान कंपनी फार्मकार्ट के कार्यों और उसके द्वारा लॉकडाउन में किसानों के हित में किये गए प्रयासों की सराहना की है ।

फार्मकार्ट ग्रामीण किसानों को निम्न तकनीकी समाधान प्रदान करता है:

UIC (यूआईसी):
२०१९ में, जब फार्मकार्ट ने अपना ई -कॉमर्स प्लेटफॉर्म लांच किया और तब हजारों ग्रामीण किसानों को कंपनी के पहले तकनीकी समाधान यानी यूआईसी की भी सौगात मिली।
यूआईसी किसान की नौ अंकों की डिजिटल पहचान है। हर यूआईसी उपभोक्ता के पास अपना यूआईसी कार्ड होता है जिसकी चिप में उसकी हर जानकारी मौजूद होती है। इसमें नाम, पता, फ़ोन नंबर के अलावा उसके खेत की मृदा रिपोर्ट, उसकी पिछली खरीद के आधार पर उसके मनपसंद उत्पाद, डिलीवरी लेने का वक़्त जैसी जानकारी भी शामिल होती है। जब भी कोई किसान फार्मकार्ट के ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर अपना नौ अंकों का यूआईसी कोड डालता है तो उसकी जानकारी के आधार पर उसके खेत और पसंद के अनुरूप उत्पादों के सुझाव स्क्रीन पर दिखाई देने लगते हैं। इस तरह यूआईसी उसकी उत्पाद का चुनाव करने में मदद करता है, चुनाव के बाद किसान जब चेक आउट करता है तब यूआईसी से ऑनलाइन भुगतान भी हो जाता है। किसान अपने यूआईसी को किसी भी राशि से रिचार्ज कर सकते हैं। एक तरह से ऑनलाइन खरीद और तकनीक से अनिभिज्ञ किसान के लिए यूआईसी एक सिंगल स्टेप चेक आउट प्रणाली है। साथ ही, उत्पाद के सुझाव और चुनाव में मदद के कारण यह उसके डिजिटल एग्रोनोमिस्ट की भूमिका भी निभाता है।

U2U डिलीवरी (यूटूयू डिलीवरी):
फार्मकार्ट के सामने अगली चुनौती थी – उत्पादों की ग्रामीण इलाकों में सही पतों और समय पर डिलीवरी। ग्रामीण किसानों का ई -कॉमर्स से दूर रहने का एक कारण यह भी है कि ज्यादातर ई -कॉमर्स कंपनियां दूर-दराज़ के इलाकों में डिलीवरी ही नहीं करती हैं । कंपनी ने सबसे पहले आसपास के इलाकों में २४-३६ घंटों में डिलीवरी करना शुरू किया पर यह काफी नहीं था, इसके विस्तार की आवश्यकता थी। गांवों में लास्टमाइल डिलीवरी हमेशा से ही एक चुनौती रही है। कूरियर सेवाओं से सामान पहुँचाने में न्यूनतम ७ -१० दिन लगते हैं और आंतरिक वितरण सेवाएं बहुत महंगी भी होती हैं।

किसानों के सर्वे के दौरान ग्रामीण संस्कृति की जानकारी ही फार्मकार्ट के नए डिलीवरी मॉडल की नींव बनी। गाँवों में, सभी एक दूसरे से परिचित होते हैं। लोगों में एक मजबूत सामुदायिक भावना होती है। ग्रामीण आबादी का एक हिस्सा हर दिन किसी न किसी उद्देश्य से आस-पास के शहरों में जाता है। वह इन यात्राओं का उपयोग अपने साथी ग्रामीणों की मदद करने और उनके लिए शहरों से कुछ खरीद कर लाने के लिए भी करते हैं। इस सांस्कृतिक पहलू का उपयोग करके ही यूटूयू डिलीवरी को बनाया गया है। फार्मकार्ट की यूटूयू डिलीवरी एप के माध्यम से कोई भी सुविधाजनक समय पर अपने गाँव या समुदाय में उत्पादों को पिक करके वितरित कर सकता है। जो भी अपने समुदाय में किसी उत्पाद को सफलतापूर्वक डिलीवर करता है उसे वितरण के लिए भुगतान भी किया जाता है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में स्थानीय लोगों को रोज़गार भी मिल रहा है और सामुदायिक स्तर पर संसाधन अनुकूलन की ओर भी यह एक बड़ा कदम भी है। ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 80 प्रतिशत किसानों को अतिरिक्त आय की आवश्यकता होती है। इस सेवा को उपयोगकर्ता के लिए और भी सुविधाजनक बनाने के लिए फ़ार्मकार्ट ने शहरों के बाहर राजमार्गों पर पिक-अप पॉइंट भी बनाए हैं।

एग्री निदान:
फार्मकार्ट के कृषि विशेषज्ञ किसानों की मदद के लिए हमेशा मौजूद रहते हैं। किसान कॉल करके इन विशेषज्ञों से अपनी समस्याओं का निवारण प्राप्त कर सकते हैं।

रेंट4फार्म:
फार्मकार्ट के माध्यम से किसान बड़े कृषि उपकरण भी किराए पर ले सकते हैं। अक्सर यह उपकरण छोटे किसानों के लिए बहुत महंगे होते हैं और इनका उपयोग सिर्फ कृषि सीजन में होता हैं। जो किसान इन्हें खरीद पाते हैं उनके लिए भी यह एक बहुत बड़ा निवेश होता है। इन उपकरणों के रखरखाव पर तब भी खर्च करना पड़ता है, जब यह उपयोग में नहीं लाए जाते।
रेंट4फार्म एक ऐसा प्लेटफॉर्म है जहाँ से कोई भी इन कृषि उपकरणों को सर्टिफाइड सप्लायर से किराए पर ले सकता है। यह सप्लायर और किसान दोनों के लिए फायदे का सौदा है।

लॉकडाउन के दौरान डिलीवरी: कोरोना संक्रमण के चलते देशव्यापी लॉकडाउन में सब कुछ थम गया था तब फार्मकार्ट ने कपास और सब्जियों के बीज, कीटनाशक और सिंचाई उपकरणों की डिलीवरी किसानों तक सफलतापूर्वक की। खरीफ बुवाई के मद्देनज़र कृषि सामग्री की यह घर पहुँच सेवा की प्रशंसा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने भी मन की बात में की है। स्तिथि की गंभीरता को भांपते हुए फार्मकार्ट ने लॉकडाउन के प्रथम चरण में ही इसकी तैयारी शुरू कर दी थी, क्योंकि बुवाई में देरी का सीधा असर किसानों की फसल पर पड़ता है। इन तैयारियों में अधिकारियों से डिलीवरी के लिए बहार जाने की अनुमति और किसानों को लॉकडाउन में भी दी जाने वाली इन सेवाओं की जानकारी शामिल थी।

आवश्यक अनुमति प्राप्त होने के बाद, फ़ार्मकार्ट ने फोन और वेबसाइट पर आर्डर स्वीकार करना शुरू कर दिए और कंपनी ने लॉकडाउन में अपनी पहली डिलीवरी अप्रैल के आखिरी सप्ताह में की। लॉकडाउन के दौरान, मध्यप्रदेश के बड़वानी, खरगोन और धार जिलों के 350 स्थानों पर लगभग 6,000 पैकेज डिलीवर किए गए। फार्मकार्ट के प्लेटफार्म के माध्यम से लॉकडाउन के दौरान लगभग ४०,००० किसानों को फार्मकार्ट के उत्पाद उपलब्ध थे। बड़वानी, खरगोन और धार जिले मालवा और निमाड़ क्षेत्रों के अंतर्गत आते हैं, जो मध्य प्रदेश के प्रमुख कपास उत्पादक क्षेत्र माने जाते हैं। मध्यप्रदेश भारत के 10 शीर्ष कपास उत्पादक राज्यों में शामिल है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह डिलीवरी महत्वपूर्ण थी क्योंकि बुवाई में देरी से उत्पादकता और फसल की गुणवत्ता प्रभावित होती है। बड़वानी, खरगोन और धार जिले के किसान मई के अंत तक कपास की बुवाई खत्म कर देते हैं। बुआई में देरी से फसल की उत्पादकता और गुणवत्ता प्रभावित होती है। मध्यप्रदेश के कुल कपास उत्पादन का लगभग 80 प्रतिशत इन तीन जिलों से ही आता है। फार्मकार्ट की डिलीवर में हरी मिर्च और करेले के बीज भी शामिल थे। इस दौरान, इन सब्जियों के बीज वितरण भी महत्वपूर्ण थे क्योंकि मिर्च की नर्सरी मई के पहले सप्ताह में तैयार की जाती है और मध्यप्रदेश में लगभग 90 प्रतिशत मिर्च की बुवाई मई के अंत तक होना जरूरी माना जाता है। इन सब्जियों को अगर मई में न बोया जाये तो किसानों को वांछित परिणाम नहीं मिलते है और वह लाभ से भी वंचित रह जाते हैं।