Pandit Bhajan Sopori Death: विश्व प्रसिद्ध संतूर वादक शिवकुमार शर्मा का कुछ दिनों पहले ही निधन हुआ था और बचाना की प्रसिद्ध संतूर वादक पंडित भजन सोपोरी के निधन की खबर सामने आई है. 74 वर्षीय सोपोरी को गुरुग्राम अस्पताल में भर्ती किया गया था जहां उनका निधन हो गया है. 1948 में श्रीनगर में जन्मे सोपोरी का पूरा नाम भजनलाल सोपोरी है उनके पिता पंडित एसएन सोपोरी भी संतूर वादक ही थे. यानी कि उन्हें यह कला विरासत में मिली थी.
अपने घर पर दादा एससी सोपोरी और पिता एसएन सोपोरी से ही भजन सोपोरी को संतूर की विद्या मिली. कहा यह भी जा सकता है कि यह सब उन्हें विरासत ने दिया है. अंग्रेजी साहित्य में डिग्री हासिल करने वाले भजन सोपोरी ने वॉशिंगटन विश्वविद्यालय से पश्चिमी शास्त्रीय संगीत के बारे में भी पढ़ा.
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सूफियाना घराने से संबंध रखने वाले भजन सोपोरी ने संतूर विद्या में निपुण अपने परिवार की विरासत को आगे बढ़ाने का काम किया. उनका एक एल्बम नट योग आन संतूर भी है. इसी के साथ सा मा पा सोपोरी अकादमी फॉर म्यूजिक एंड परफॉर्मिंग आर्ट्स की भी उन्होंने स्थापना की. इस एकेडमी का मुख्य उद्देश्य शास्त्रीय संगीत को देश भर में पहचान दिलाना है.
भजन सोपोरी अकेले ऐसे शास्त्रीय संगीतकार है जिन्होंने arabi-farsi संस्कृत साहित्य देश की हर भाषा में 4000 से अधिक गानों के लिए संगीत बनाया. सोपोरी ने 3 रागों की रचना भी की है. राग लालेश्वरी राग पट बनती और राग निर्मल रंजनी ऐसे राग हैं जिनकी रचना उन्होंने की है. देश की राष्ट्रीय एकता और अखंडता पर बने गीतों के लिए उन्होंने बहुत से धन तैयार की है. कुछ बहुत प्रसिद्ध गाने जिनमें सरफरोशी की तमन्ना विजय विश्व तिरंगा प्यारा हम होंगे कामयाब यह से गाने हैं जिनका संगीत सोपोरी ने तैयार किया.
पंडित सोपोरी ने अपने जीवन काल में कई उपलब्धियां अपने नाम की. साल 1993 में उन्हें संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार से नवाजा गया. 2004 में उन्हें पद्मश्री सम्मान मिला. 2009 में बाबा अलाउद्दीन खान पुरस्कार से नवाजा गया. 2011 में एमएन माथुर सम्मान और 2016 में जम्मू कश्मीर राज्य आजीवन उपलब्धि पुरस्कार भी उन्हें दिया गया गया. पंडित भजन सोपोरी के इस तरह से दुनिया को अलविदा कहने के बाद संगीत जगत में एक बड़ा सन्नाटा छा गया है. जम्मू कश्मीर के साथ-साथ म्यूजिक इंडस्ट्री के लिए यह एक बड़ा नुकसान है.