सुप्रीम कोर्ट मंगलवार, 16 अप्रैल को वीवीपीएटी के साथ डाले गए वोटों के क्रॉस-सत्यापन की मांग करने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगा। वीवीपीएटी स्वतंत्र वोट सत्यापन प्रणाली है जो मतदाता को यह देखने में सक्षम बनाती है की मतदाता ने जिनको वोट डाला है उनको ही वोट गया है या नहीं।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ, जो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन या ईवीएम से संबंधित याचिकाओं पर कहा, कि वह मंगलवार को सभी याचिकाओं पर विचार करेगी। 3 अप्रैल को, वकील प्रशांत भूषण ने तत्काल सुनवाई की मांग की थी इसके बाद, सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि वह अन्य मामलों के साथ एनजीओ एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) द्वारा दायर याचिका की भी सुनवाई करेगा।
1 अप्रैल को, सुप्रीम कोर्ट ने अरुण कुमार अग्रवाल की याचिका पर भारत के इलेक्शन कमिशन और केंद्र सरकार से जवाब मांगा था, जिसमें चुनावों में VVPAT पर्चियों की गिनती की मांग की गई थी, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों याचिकाओं पर साथ में मंगलवार को सुनवाई होगी।
VVPAT क्या है?
वीवीपैट एक कागज़ की पर्ची बनाता है जिसे मतदाता देख सकते है। इसे सीलबंद लिफाफे में रखा जाता है और विवाद की स्थिति में इसे खोला जा सकता है।
ADR की दलील?
एडीआर ने सुप्रीम कोर्ट से इलेक्शन कमिशन और केंद्र को निर्देश देने की मांग की है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि वोटर्स वीवीपीएटी के माध्यम से यह निश्चित कर सकें कि उनका वोट ‘रिकॉर्ड के रूप में काउंट किया गया है।
याचिका में मांग की गई है कि EVM में गिनती को उन वोटों से मिलाया जाए जो सत्यापित रूप से डाले गए वोटो के रूप में दर्ज किए गए हैं और यह सुनिश्चित करने के लिए कि वोटर्स VVPAT पर्ची के माध्यम से सत्यापित कर सके कि उसका वोट, जैसा कि कागजी पर्ची पर दर्ज किया गया है, ‘डाले गए वोटो के रूप में गिना गया है’।
याचिका में यह भी कहा गया है कि वोटर्स को यह पुष्टि करने की आवश्यकता होती है कि उनका वोट ‘डाले गए वोट के रूप में दर्ज किया गया’ है, जब EVM पर बटन दबाने के बाद एक पारदर्शी विंडो के माध्यम से वीवीपैट पर्ची लगभग सात सेकंड के लिए दिखाई देती है।