लोकायुक्त के निर्देश के बाद भी निगम नहीं वसूल सका 60 करोड़

Shivani Rathore
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इंदौर में गड़बड़ियों के मामले थमने का नाम नहीं ले रही है. इस कड़ी में सीवरेज प्रोजेक्ट में अनियमितता पाए जाने पर नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कई सवाल खड़े किए है. हालांकि इस सवालों का जवाब उमंग सिंघार को नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने दे दिया है.

उमंग सिंघार का कहना है कि क्या नगरीय विकास एवं आवास मंत्री महोदय यह बताने की कृपा करेंगे कि, क्या इंदौर नगर निगम के द्वारा केंद्र सरकार की जे.एन.एन. यू.आर.एम योजना के तहत सीवरेज प्रोजेक्ट का क्रियान्वयन किया गया था. यदि हां, तो इस प्रोजेक्ट के क्रियान्वयन पर कितनी राशि खर्च की गई थी?

क्या इस प्रोजेक्ट के तहत डाली गई सीवरेज की लाइन में गड़बड़ी पाई गई? इसके लिए नगर निगम के द्वारा नागपुर के एक कंपनी से सर्वे करवाया गया? इस सर्वे में क्या निष्कर्ष रहे हैं? इस सर्वे के लिए निगम के द्वारा इस कंपनी को कितनी राशि का भुगतान किया गया? क्या सीवरेज लाइन प्रोजेक्ट में गड़बड़ी को सुधारने पर नगर निगम के द्वारा 80 करोड रुपए की राशि खर्च की गई? क्या इस गड़बड़ी के लिए जिम्मेदार निगम के 18 अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच शुरू की गई थी?

यदि हां, तो क्या यह जांच पूरी हो गई है? यदि नहीं हुई है, तो अभी इस जांच की अघतन स्थिति क्या है? यह जांच किस-किस स्तर के अधिकारियों के खिलाफ की जा रही है? उक्त मामले में ठेकेदार फर्म से गड़बड़ी की कितनी राशि की वसूली के आदेश दिए गए थे? यह वसूली करने की जिम्मेदारी किन अधिकारियों को दी गई थी और उनके द्वारा क्या कार्य किया गया?

इन सवालों का जवाब देते हुए नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने बताया, जी हां! जी हां! राशि रुपए 285.00 करोड़ का व्यय हुआ. ईस्ट बी.आर.टी.एस, सेंट्रल व सर्वे रिपोर्ट में लाइनों के कुछ स्थानों पर लेवल डिफरेंस, चैंबर व पाइप मिसिंग इत्यादि पाया गया. राशि रुपए 81.80 लाख का भुगतान प्रमाणित किया गया है.

वर्तमान तक लगभग राशि रुपए 60 करोड़ का व्यय हुआ है. तत्समय पदस्थ 17 अभियंताओं के विरुद्ध विभागीय जांच संस्थित की गई है. विभागीय जांच की कार्यवाही प्रचलित है. जांच में अभियंताओं के कथन इत्यादि की कार्यवाही प्रचलित है. कार्यवाही अधीक्षक यंत्री, सहायक यांत्रिक एवं उपयंत्री स्तर के अधिकारियों के विरुद्ध की जा रही है. राशि लगभग रूपये 60 करोड़ की वसूली ठेकेदार फर्मों से किए जाने के निर्देश माननीय लोकायुक्त द्वारा दिए गए हैं, जिस पर नियमानुसार कार्यवाही की जा रही है.