Dharmendra : दिग्गज अभिनेता और पूर्व सांसद धर्मेंद्र की निजी जिंदगी हमेशा सार्वजनिक चर्चा का विषय रही है। उनकी दो शादियों की कहानी देशभर में मशहूर है। इसी संदर्भ में यह सवाल भी उठता है कि अगर किसी सांसद की दो पत्नियां हों, तो उनके निधन के बाद सरकारी पेंशन का कानूनी हकदार कौन होता है? यह मामला पूरी तरह से कानूनी नियमों और प्रावधानों पर निर्भर करता है।
यह सवाल सिर्फ भावनात्मक नहीं, बल्कि कानूनी दांव-पेंच का भी है। भारत में सांसदों की पेंशन को लेकर नियम स्पष्ट हैं, जो यह तय करते हैं कि पेंशन का अधिकार किसे और किन परिस्थितियों में मिलेगा।
क्या कहता है पेंशन का सामान्य नियम?
सांसदों की पेंशन से जुड़े नियम साफ तौर पर कहते हैं कि किसी पूर्व सांसद के निधन के बाद उनकी पेंशन पर पहला अधिकार उनकी कानूनी रूप से विवाहित पत्नी या पति का होता है। यानी, पूरी प्रक्रिया इस बात पर टिकी होती है कि कौन सा विवाह कानून की नजर में वैध है। अगर विवाह ही कानूनी रूप से अमान्य है, तो पेंशन का अधिकार नहीं बनता।
जब एक से ज़्यादा पत्नियां हों
मामला तब जटिल हो जाता है जब किसी व्यक्ति की एक से अधिक पत्नियां हों। हिंदू विवाह अधिनियम, 1955 के तहत, कोई भी व्यक्ति पहली पत्नी के जीवित रहते हुए और बिना तलाक लिए दूसरा विवाह नहीं कर सकता। अगर ऐसा किया जाता है तो दूसरी शादी को कानूनी रूप से अमान्य माना जाता है।
कानूनी विशेषज्ञों के अनुसार, ऐसी स्थिति में पेंशन का पूरा अधिकार केवल पहली पत्नी को ही मिलता है, क्योंकि कानून की दृष्टि में वही एकमात्र वैध जीवनसाथी है। दूसरी पत्नी को पेंशन का कोई अधिकार नहीं मिलता, भले ही सामाजिक रूप से उन्हें पत्नी का दर्जा प्राप्त हो।
धर्मेंद्र के मामले में क्या है कानूनी स्थिति?
धर्मेंद्र का मामला इस कानून को समझने के लिए एक सटीक उदाहरण है। उनकी पहली शादी 1954 में प्रकाश कौर से हुई थी, जो हिंदू विवाह अधिनियम के तहत हुई थी। बाद में, उन्होंने अभिनेत्री हेमा मालिनी से शादी की। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह शादी करने के लिए उन्होंने इस्लाम धर्म अपनाया था, क्योंकि उनकी पहली पत्नी प्रकाश कौर ने उन्हें तलाक नहीं दिया था।
कानूनी दृष्टिकोण से, चूंकि उनकी पहली शादी (प्रकाश कौर से) हिंदू विवाह अधिनियम के तहत वैध है और कभी भंग नहीं हुई, इसलिए उनकी दूसरी शादी इस अधिनियम के तहत मान्य नहीं मानी जाएगी। ऐसे में, पेंशन के नियमों के अनुसार, अधिकार केवल कानूनी रूप से वैध पहली पत्नी यानी प्रकाश कौर का ही बनता है।
क्या पेंशन बांटी भी जा सकती है?
CCS (पेंशन) नियम, 2021 में एक प्रावधान यह भी है कि यदि किसी सरकारी कर्मचारी या पेंशनभोगी की दो पत्नियां कानूनी रूप से वैध हों, तो पेंशन दोनों में बराबर बांटी जाएगी। हालांकि, यह नियम केवल तभी लागू होता है जब दोनों विवाह संबंधित पर्सनल लॉ के तहत वैध माने जाएं। उदाहरण के लिए, अगर किसी धर्म में बहुविवाह की अनुमति है और दोनों शादियां उस कानून के तहत वैध हैं।
लेकिन हिंदू विवाह अधिनियम के मामले में, बिना तलाक के दूसरी शादी अवैध होने के कारण यह नियम लागू नहीं होता। इसलिए, धर्मेंद्र के मामले में पेंशन बांटने का सवाल नहीं उठता, क्योंकि कानूनी तौर पर केवल एक ही विवाह को मान्यता प्राप्त है।










