ईडी ने नेशनल हेराल्ड के 12 ठिकानों पर की छापेमारी, दिल्ली का ऑफिस था बंद, जारी है कार्यवाही

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प्रवर्तन निदेशालय ने दिल्ली के नेशनल हेराल्ड ऑफिस के साथ 12 ठिकानो पर छापेमारी शुरू कर दी है। खबर के अनुसार ईडी इन सभी ठिकानों पर ताबड़तोड़ छानबीन कर रहीं है। हाल ही में जांच एजेंसी ने कांग्रेस पार्टी के मुखिया सोनिया गांधी और राहुल गांधी से कई घंटो पूछताछ की थी। कांग्रेस ने ईडी की कार्रवाई के खिलाफ देशभर में सत्याग्रह किया था।

बताया जा रहा है कि नेशनल हेराल्ड दफ्तर में सिक्योरिटी गार्ड के अलावा कोई भी मौजूद नहीं है। उधर, कांग्रेस सांसद उत्तर रेड्डी ने ईडी के छापेमारी को लेकर कहा है कि यह चौंकाने वाला है। यह राजनीतिक बदले के अलावा कुछ भी नहीं है।

जानिए नेशनल हेराल्ड से जुड़ा पूरा मामला

गौरतलब है कि, नेशनल हेराल्ड केस में आरोप है कि नेशनल हेराल्ड, एसोसिएटिड जर्नल लिमिटिड (एजीएल) और यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटिड के बीच वित्तीय गड़बड़ियां हुईं। नेशनल हेराल्ड के अखबार था, जिसको जवाहर लाल नेहरू ने 500 स्वतंत्रता सेनानियों के साथ मिलकर शुरू किया था। इसमें ब्रिटिश के अत्याचारों के बारे में लिखा जाता था।

वहीं एसोसिएटिड जर्नल लिमिटिड एक पब्लिशर था, यह 20 नवंबर 1937 को अस्तित्व में आया। उस वक्त यह तीन अखबारों को प्रकाशित करता था। इसमें अंग्रेजी भाषा में “नेशनल हेराल्ड”, हिंदी में “नवजीवन” और उर्दू भाषा के लिए “क़ौमी आवाज़” शामिल था।

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फिर 1960 के बाद एजीएल वित्तीय दिक्कतों से जूझने लगा। इसपर कांग्रेस पार्टी मदद के लिए आगे आई और एजीएल को बिना ब्याज वाला लोन दिया। फिर अप्रैल 2008 में एजीएल ने अखबारों का प्रकाशन बंद कर दिया। फिर 2010 में पता चला कि एजीएल को कांग्रेस पार्टी का 90.21 करोड़ रुपये कर्ज चुकाना है।

इसी बीच 2010 में ही 23 नवंबर को यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड नाम से कंपनी बनती है. इसके दो पार्टनर थे। पहला सुमन दुबे और दूसरे सैम पित्रोदा, इस कंपनी को नॉन प्रोफिट कंपनी बताकर रजिस्टर कराया गया था। फिर अगले महीने दिसंबर की 13 तारीख को राहुल गांधी को इस कंपनी में डायरेक्टर बनाया जाता है, फिर कुछ दिनों बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी (एआईसीसी) ने एजीएल के सभी ऋणों को यंग इंडियन को ट्रांसफर करने पर सहमति व्यक्त करती है।

इसके बाद जनवरी 2011 में सोनिया गांधी ने यंग इंडियन के डायरेक्टर का पदभार संभाला। इस समय तक सोनिया और राहुल गांधी ने यंग इंडिया के 36 प्रतिशत शेयरों पर नियंत्रण कर लिया था। बाद में कानूनी दिक्कत तब शुरू हुई जब अगले महीने यंग इंडियन ने कोलकाता स्थित आरपीजी समूह के स्वामित्व वाली कंपनी डोटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड से 1 करोड़ रुपए का ऋण लिया। डोटेक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड को अब एक फर्जी कंपनी बताया जाता है। इसके कुछ दिनों बाद ही एजीएल के पूरे शेयर होल्डर यंग इंडियन को 90 करोड़ एजीएल ऋण के एवज में ट्रांसफर कर दी गई।

इनकम टैक्स विभाग का आरोप है कि गांधी परिवार के स्वामित्व वाली यंग इंडियन ने एजीएल की प्रोपर्टी जिसकी कीमत 800 से 2 हजार करोड़ के बीच है, उसपर सिर्फ 50 लाख रुपये का भुगतान करके हक जमा लिया या कब्जा कर लिया। हालांकि, कांग्रेस का कहना है कि यंग इंडियन प्राइवेट लिमिटेड कंपनी एक्ट के सेक्शन 25 के तहत रजिस्टर है।