पीने का पानी समस्या है और हल भी: डॉ. महेश आर देसाई

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इंदौर। 6 तारीख से इंदौर यूरोलॉजी सोसाइटी द्वारा आयोजित वेस्ट झोन चैप्टर के 33वें वार्षिक सम्मेलन ‘यूसीकॉन 2023’ के दूसरे दिन क्रोनिक प्रोस्टेटाइटिस, ब्लेडर ट्रांसप्लांट, यूरो-ओंको सेशन, यूरेथ्रोप्लास्टी, मूत्रमार्ग का पुनर्निर्माण, जननांग का पुनर्निर्माण एवं बच्चों में यूरोलॉजी से जुड़ी समस्याओं पर चर्चा हुई। 8 अक्टूबर तक होटल शेरेटन ग्रैंड पैलेस में चलने वाली इस कांफ्रेंस में मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, गुजरात एवं गोवा के करीब 600 से अधिक डॉक्टर हिस्सा ले रहे हैं।

कांफ्रेंस के ऑर्गेनाइजिंग चेयरमैन एवं वरिष्ठ यूरोसर्जन डॉ. आर के लाहोटी ने बताया “पेशाब से संबंधित समस्याएं खासकर पेशाब की रुकावट होने पर नतीजे गंभीर हो सकते हैं। अगर किसी इन्फेक्शन के कारण पेशाब करने में दिक्कत आ रही हैं, तो यह चिंता का विषय है। पेशाब करने में परेशानी, जलन, रुक – रुक कर आना या अचानक बंद हो जाना, खून का आना, मवाद का पड़ना, पेट के निचले हिस्से में भारीपन, ब्लैडर में इन्फेक्शन होना, खांसते व छींकते वक्त पेशाब का निकाल जाना, किडनी व यूरेथरा में पथरी, तेज दर्द जैसे लक्षण दिख रहे हैं तो सावधान होकर आगे जाँचें कराने की जरूरत है।”

कॉन्फ्रेंस में क्रोनिक प्रोस्टेटाइटिस पर हुई चर्चा के बारे में यूरोसर्जन डॉ. राजेश कुकरेजा ने बताया “क्रोनिक प्रोस्टेटाइटिस को क्रोनिक पेल्विक पेन सिंड्रोम भी कहा जाता है। यह अक्सर नजरअंदाज कर दिया जाता है। किशोर से लेकर बुजुर्ग तक किसी भी उम्र के पुरुषों में इसके लक्षण देखे जा सकते हैं और ये एक बार जाने के बाद फिर बिना किसी चेतावनी के वापस आ जाते हैं। इसमें कमर या मूत्राशय क्षेत्र में दर्द या बेचैनी हो सकती है। लक्षणों के आधार पर इस समस्या के लिए कई अलग-अलग उपचार है, जिनमें एंटीबायोटिक्स और अल्फा-ब्लॉकर्स जैसी अन्य दवाएं शामिल हैं।”

नडियाद से आये वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट डॉ महेश आर. देसाई ने पथरी होने पर बियर फायदेमंद होती है या नहीं? इस भ्रान्ति के जवाब में कहा कि पथरी हो जाने पर बीयर पीने की सलाह देने या पीने वाले अधिकतर लोगों की यह अनुभव के आधार पर या सुनी सुनाई धारणा होती है जो कि अन्य मरीजों के लिए घातक साबित हो सकती है। चिकित्सकों द्वारा भी अधिक मात्रा में पानी पीकर पेशाब के माध्यम से पथरी शरीर से बाहर करने की कोशिश करने का सुझाव दिया जाता है. हालांकि यह भी पथरी के आकार, प्रकार और स्थान पर निर्भर करता है। अधिक गर्म महीनों के दौरान पथरी के रोगियों की संख्या बढ़ जाती है। शरीर में तरल पदार्थ या पानी की कमी के कारण पेशाब गाढ़ा हो जाता है। इससे किडनी या मूत्राशय की अंदरूनी दीवारों में खनिज जमा हो जाते हैं, जो बाद में पथरी बनकर अवरोध पैदा करते हैं।

वरिष्ठ यूरोसर्जन डॉ सी एस थत्ते ने बताया “ब्लैडर की खतरनाक समस्याओं से अंततः पीछा छुड़ाने का जो उपाय बचता है वह है ट्रांसप्लांट का, जो कि बेहद कठिन है। इसके पीछे वजह है कि ब्लैडर का सीधा कनेक्शन मस्तिष्क से है। ब्लैडर ट्रांसप्लांट करने के बाद उसे दिमाग की तंत्रिकाओं से जोडऩा बेहद चुनौतीपूर्ण है। ब्लैडर कैंसर से पीड़ित मरीजों का ब्लैडर निकाल दिया जाता है और आंतों की मदद से ब्लैडर बनाया जाता है, जो सामान्य ब्लैडर से अलग होता है।”

कॉन्फ्रेंस के बारे में यूरोसर्जन डॉ. नितेश पाटीदार ने बताया “तीन दिन की इस कॉन्फ्रेंस में तीन अलग अलग हॉल में विभिन्न बीमारियों, डायग्नोसिस, उपचार विधियों, आधुनिकतम तकनीकों, मशीनों, उपकरणों, के बारे में बात हो रही है, रिसर्च पेपर्स पढे जा रहे हैं, ग्रुप डिसकशन, केस स्टडीस पर चर्चा हो रही है और पोस्टर प्रेज़ेन्टैशन सेशन आयोजित हो रहे हैं।”