Holy Rivers : हिंदू धर्म में गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों को सदैव से विशेष पूज्य माना जाता रहा है। इन नदियों को केवल नदी नहीं, अपितु देवी का अवतार माना जाता है। इसीलिए, सदियों से श्रद्धालु इन पवित्र नदियों में डुबकी लगाने और ‘गंगा स्नान’ करने के लिए दूर-दूर से आते हैं।
गंगा स्नान केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि आत्म-शांति और पापों से मुक्ति का द्वार भी माना जाता है। हरिद्वार, ऋषिकेश या प्रयागराज जैसे तीर्थों में गंगा स्नान का विशेष महत्व है। ‘मां गंगा’ में डुबकी लगाने से आत्मा शुद्ध होती है और मोक्ष की प्राप्ति होती है, ऐसी मान्यता है। मकर संक्रांति, कुंभ मेला और गंगा दशहरा जैसे पर्वों पर लाखों श्रद्धालु गंगा में स्नान करने और अपने पापों को धोने के लिए आते हैं।
लेकिन क्या आप जानते हैं कि गंगा स्नान का एक निश्चित समय होता है?
आजकल के दौर में, लोग अपनी सुविधानुसार परंपराओं को बदलने लगे हैं। सूर्यास्त के बाद या रात के समय गंगा स्नान करना आम हो रहा है।
लेकिन क्या यह उचित है?
लोक मान्यताओं और धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, पवित्र नदियों में स्नान का उचित समय सूर्योदय से पहले या प्रातः काल होता है। रात का समय यक्षों का माना जाता है, जो प्रकृति से जुड़ी आत्माएं हैं। इनका मानना है कि रात में यक्ष सक्रिय रहते हैं और ऐसे समय में नदी में प्रवेश करना अशुभ होता है।