इंदौर : संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा ने आज गूगल मीट के ज़रिए कोरोना से होने वाली मृत्यु और ब्लैक फंगस के उपचार के संबंध में बैठक ली। बैठक में संभाग के सभी ज़िलों के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी तथा सिविल सर्जन और एमजीएम मेडिकल कॉलेज तथा मेडिकल कॉलेज खंडवा के डीन सहित एमजीएम मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ प्रोफ़ेसर उपस्थित थे।
संभागायुक्त डॉ. शर्मा ने बैठक में निर्देश दिए कि प्रत्येक ज़िले में ब्लैक फंगस के संदर्भ में मेडिसिन डिपार्टमेंट के तहत एक वार्ड पृथक रूप से बनाया जाए। बैठक में मेडिकल कॉलेज के मेडिसिन विभाग के प्रोफ़ेसर डॉ. वी.पी. पांडे ने ब्लैक फंगस के संदर्भ में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कोरोना के उपचार में उपयोग में आने वाले स्टेरॉइड के ओवरडोज और होने वाले दुष्प्रभाव के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। संभागायुक्त डॉ. पवन शर्मा ने डीन मेडिकल कॉलेज को निर्देश दिए कि वे एक कोर ग्रुप वरिष्ठ चिकित्सकों का बनाएँ जो संभाग के विभिन्न जिला चिकित्सालयों के डॉक्टरों को इस संबंध में मार्गदर्शन प्रदान कर सके।संभागायुक्त डॉ. शर्मा ने कोरोना से हुई मौतों की भी जानकारी ली और डीन मेडिकल कॉलेज को निर्देश दिये कि वे एनालिसिस तैयार करें। जिन मरीज़ों की मौत हुई है उसमें से कितने गाँव से हैं और कितने शहर से हैं। उन्होंने कहा कि आयु वर्ग होम आइसोलेशन अथवा हास्पिटल में रहने संबंधी सम्पूर्ण विवरण भी तैयार करें। संभागायुक्त डॉ. शर्मा ने कहा कि सभी मरीज़ों का होम आइसोलेशन ऐप के दायरे में होना ज़रूरी है।
बैठक में डॉ. वी.पी. पांडे ने बताया कि ब्लैक फंगस के बारे में चिकित्सा जगत पहले से ही अवगत है यह सभी डॉक्टरों ने पढ़ा हुआ और समझा हुआ विषय हैं। वर्तमान में कोरोना से ठीक हो गए मरीज़ों में इसके लक्षण देखने को आ रहे हैं। दाँतों और जबड़ों में लगातार दर्द, सिर का दर्द बना रहना, आँखों की सूजन इत्यादि इसके प्राथमिक लक्षण हैं। हाई डोज स्टेरॉयड और अत्यधिक डायबिटीज़ ऐसे केस में घातक हो रही है।
वर्तमान में एमजीएम मेडिकल कॉलेज के चिकित्सा विभाग में ब्लैक फंगस के 32 मरीज़ एडमिट हो चुके हैं। एंटीबॉयोटिक और स्टेरॉयड का अत्यधिक डोज नुक़सानदेह है। डॉक्टर पांडे द्वारा चिकित्सकों को यह भी स्पष्ट किया गया कि ब्लैक फंगस हवा से उड़कर संक्रमित नहीं करता। बैठक में सभी डॉक्टरों को ब्लैक फंगस के संदर्भ में सभी आधारभूत जानकारी दी गई।