संभागायुक्त ने बनाई म्यूकरमोइकोसिस के मरीजों के लिए विशेषज्ञों की समिति

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इंदौर : कोरोना के उपचार उपरांत म्यूकरमोईकोसिस के प्रकरण काफी संख्या में संभाग में चिन्हित हो रहे हैं। संभागायुक्त डॉ. पवन कुमार शर्मा ने म्यूकरमोइकोसिस के प्रकरणों के अध्ययन के लिये विशेषज्ञों की समिति गठित की है। यह समिति विस्तृत अध्ययन के पश्चात अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेगी। डॉ. शर्मा ने बताया कि यह तथ्य सामने आ रहा है कि इस बीमारी के प्रकरण न सिर्फ अस्पताल से उपचारित किये गये मरीजों के हैं वरन् इनमें से कुछ होम आइसोलेशन में से भी हैं।

उन्होंने बताया कि ऐसी स्थिति में यह आवश्यक हो गया है कि इन प्रकरणों की केस हिस्ट्री का विस्तृत एवं सूक्ष्म अध्ययन किया जाए। इसके मद्देनजर इनके अध्ययन हेतु विशेषज्ञों से परामर्श कर बिन्दु तय किये गये है। तय बिन्दु के अनुसार कोविड पॉजिटिव / निगेटिव की स्थिति (स्टेटस),होम आइसोलेशन/इंस्टीट्यूशनल ट्रीटमेंट,बिमारी की अवधि ( डयूरेशन ऑफ इलनेस), स्टेरायड आडिट–स्टेरॉयड का प्रयोग एवं मात्रा (यूज आफ स्टेरॉयड), ली गई दवाईयां (ड्रग्स यूज्ड एंटीबायोटिक्स, टोसी, आदि), गीले मास्क का उपयोग (यूज ऑफ मॉइस्ट मास्क), यूज ऑफ ऑक्सीजन (थ्रू वॉटर/सेल्फ/सिलिण्डर इत्यादि) तथा को- मॉर्बिडिटी/डायबिटिज स्टेटस इत्यादि शामिल है।

डॉ. शर्मा ने बताया कि 124 मरीजों के पॉयलट अध्ययन हेतु कमिटी गठित की गई है। जिनमें प्राध्यापक एवं विभागाध्यक्ष मेडिसिन अध्यक्ष डॉ व्ही.पी. पांडे, रेस्पीरेटरी मेडिसिन विभाग सदस्य. डॉ दीपक बंसल, प्राध्यापक/विभागाध्यक्ष ईएनटी- सदस्य डॉ. यामिनी गुप्ता, प्राध्यापक नेत्र रोग विभाग सदस्य डॉ. श्वेता वालिया, प्राध्यापक डैंटल विभाग सदस्य डॉ. विलास नेवासकर तथा सहायक प्राध्यापक एमजीएम सदस्य डॉ अमित थोरा सदस्य के रूप में रहेंगे।

इनके सहयोग के लिये बाम्बे अस्पताल के डॉ. मनीष जैन, अरविंदो अस्पताल डॉ. रवि दोशी और चोईथराम अस्पताल के डॉ, सुनिल चांदीवाल शामिल किये गये है। उक्त चिकित्सक संबंधित सभी मरीज़ों के संबंध में विस्तृत रिकार्ड, कोरोना का इलाज एवं ब्लैक फंगस का इलाज मेल/व्हाट्सअप/ अन्य माध्यम से प्राप्त करेंगे। आवश्यकतानुसार होम आइसोलेशन के मरीजों से चर्चा करेंगे एवं विस्तृत रिकॉर्ड/ जानकारी प्राप्त करेंगे।

यह कमिटी उपचार में परिलक्षित हुई कमियों अथवा ऐसे सभी तथ्यों का उल्लेख अपनी रिपोर्ट में करेगी जिससे ब्लैक फंगस बीमारी को रोका जा सकता था या उसमें कमी की जा सकती थी, ताकि भावी उपचार सुचारू रूप से हो सके। यह एक तकनीकी समिति है। यह अध्ययन के बिन्दु बढ़ाने या कम करने के संबंध में स्वयं निर्णय ले सकेगी। उक्त कमिटी 48 घंटे में अपनी स्टडी रिपोर्ट एवं अनुशंसा प्रस्तुत करेगी। इसी प्रकार कमैटी उपरोक्त मरीजों की संख्या में उपलब्धता के आधार पर कमी/बढ़ोतरी कर सकती है।