Devuthani Ekadashi: हिंदू धर्म में कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी को विशेष रूप से देवउठनी एकादशी या देवोत्थान एकादशी के रूप में मनाया जाता है। यह दिन भगवान विष्णु के योग निद्रा से जागने का पर्व होता है, और इसी दिन से विवाह, सगाई और अन्य मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। इस दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन विधिपूर्वक पूजा करने से व्यक्ति के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और वह सुख-समृद्धि तथा बैकुंठ की प्राप्ति करता है।
Devuthani Ekadashi की तिथियां और समय
पंचांग के अनुसार, देवउठनी एकादशी का आरंभ 11 नवंबर को शाम 6:46 बजे होगा और यह 12 नवंबर को दोपहर 4:14 बजे तक समाप्त होगी। लेकिन, उदयातिथि के अनुसार, देवउठनी एकादशी 12 नवंबर को ही मनाई जाएगी, और 13 नवंबर को एकादशी व्रत का पारण (उपवासी समाप्ति) होगा।
Devuthani Ekadashi: शुभ योग और संयोग
इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं, जो विशेष महत्व रखते हैं।
- सर्वार्थ सिद्धि योग: यह योग 12 नवंबर की सुबह 7:52 बजे से शुरू होगा और अगले दिन 5:40 बजे तक रहेगा। इस योग में किसी भी नए कार्य की शुरुआत, जैसे शादी, व्यापार, नौकरी आदि, शुभ और फलदायी मानी जाती है।
- रवि योग: यह योग 12 नवंबर को सुबह 6:40 बजे से लेकर अगले दिन 7:52 बजे तक रहेगा। रवि योग सभी दोषों को समाप्त करने वाला होता है और इस समय में किए गए कार्य से सफलता और स्वास्थ्य में सुधार होता है।
- हर्षण योग: यह योग एकादशी के दिन शाम 7:10 बजे तक रहेगा। हर्षण योग में किए गए कार्यों से खुशी और समृद्धि मिलती है। किसी नए कार्य की शुरुआत के लिए यह समय बहुत शुभ है।
- अमृत योग: अमृत योग का समय 13 नवंबर को सुबह 5:40 बजे तक रहेगा। इस योग में यात्रा और अन्य शुभ कार्य अत्यधिक फलदायी माने जाते हैं।
- सिद्धि योग: यह योग 13 नवंबर की सुबह 5:40 बजे तक रहेगा। इस समय में कोई भी कार्य शुरू करने से सफलता मिलती है और सकारात्मक फल प्राप्त होते हैं।
Devuthani Ekadashi: पूजा विधि
देवउठनी एकादशी पर विशेष पूजा विधि का पालन किया जाता है:
- स्नान और ध्यान: प्रातः जल्दी उठकर स्नान करें और भगवान विष्णु के व्रत का संकल्प लें।
- मंदिर की सफाई: यदि संभव हो, तो मंदिर या पूजा स्थल की सफाई करें।
- पंचामृत स्नान: भगवान विष्णु को पंचामृत से स्नान कराएं और हल्दी या गोपी चंदन से तिलक करें।
- फूल और मिठाइयां अर्पित करें: भगवान को पीले फूल, मिठाइयां, फल और तुलसी के पत्ते अर्पित करें।
- मंत्र जप और पूजा: भगवान विष्णु के मंत्र “ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय” का जाप करें या विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करें। दिनभर उपवासी रहकर गरीबों या ब्राह्मणों को भोजन कराएं और दक्षिणा दें।
- रात्रि जागरण: रात में भजन और कीर्तन करते हुए जागरण करें।
Devuthani Ekadashi की मान्यता
धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो व्यक्ति इस दिन व्रत रखता है और विधिपूर्वक पूजा करता है, उसे भगवान विष्णु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। यह व्रत पापों का नाश करता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। विशेष रूप से, इस दिन देवी लक्ष्मी की पूजा से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। दान-पुण्य करने का भी इस दिन विशेष महत्व है। इस दिन के व्रत और पूजा से जीवन में सुख-समृद्धि आती है और बैकुंठ जाने का मार्ग प्रशस्त होता है।