मोबाइल फोन पर लगातार बाते करना या देर तक ईयर फोन का इस्तेमाल करने की वजह से भी ब्रेन ट्यूमर हो सकता है । मोबाइल को ज्यादा देर तक कान से चिपका कर या ईयर फोन को कान के अंदर डाल कर देर तक बात करने से हॉइ फ्रिक्वेसी की वजह से कान के पीछे की और सिर संवेदनशील नसों पर बहुत ज्यादा दबाब पड़ता है। इस वजह से ब्रेंटयूमर होने का खतरा अथवा सम्भावना ज्यादा बढ़ जाते है । इसलिए मोबाइल औऱ ईयर फोन का इस्तेमाल कम से कम करना चाहिए । अगर देर तक बात करना ज्यादा ही जरूरी हो तो स्पीकर का इस्तेमाल करना चाहिए।
यह बात आज वर्ल्ड ब्रेन ट्यूमर डे पर एमजीएम मेडिकल कॉलेज के न्यूरोसर्जरी विभाग अध्यक्ष और एम वॉय हॉस्पिटल के सीनियर न्यूरो सर्जन डॉ राकेश गुप्ता ने कही। उनके अनुसार हालांकि ब्रेन ट्यूमर अब लाईलाज बीमारी नही है। मगर इसकी वजह खुद की गलत आदते बन जान यह तो कतई ठीक नही है। आज कल न्यूरो सर्जन डॉक्टर्स के पास ऐसे कई मरीज आ रहे है जो मोबाइल और इयरफोन के अत्यधिक इस्तेमाल की वजह से इस बीमारी की चपेट में आए है
यह लक्षण दिखते ही डॉक्टर को दिखाए
दिमाग के अलग अलग हिस्से में ट्यूमर होने पर मरीज को सिरदर्द, उल्टियां , आंख से कम दिखना , हाथ पैर में कमजोरी , दौरे पड़ना आदि तकलीफें शुरू हो जाती है। यह लक्षण दिखाई देने पर तत्काल अनुभवी डाक्टर्स या न्यूरो लॉजिस्ट न्यूरो सर्जन को दिखा कर सीटी स्कैन और एमआरआई की जांचे करवाना चाहिए । इन जांचों से ब्रेन ट्यूमर का जल्दी पता लग जाता है। सभी ट्यूमर कैंसर के नही होते हैं, कई ट्यूमर बिना कैंसर वाले होते हैं । इनका सही समय पर ऑपरेशन होने पर इनसे जीवन भर के लिए मुक्ति मुक्ति मिल सकती है।
एम वॉयएच में साल भर मे 150 ऑपरेशन मुफ्त
डॉक्टर गुप्ता के अनुसार एम वॉय हॉस्पिटल में साल भर में ब्रेन ट्यूमर के लगभग 150 ऑपरेशन एमजीएम मेडिकल कॉलेज के अनुभवी न्यूरोसर्जनो की टीम द्वारा निशुल्क किए जाते हैं। इसके अलावा सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल में आयुषमान भारत योजना के अंतर्गत किये जाते है। एमवॉय हॉस्पिटल में ब्रेन ट्यूनर ऑपरेशन की शुरुआत साल 1990 में यानी लगभग 34 साल पहले हुई थी। तब से अब तक लगभग 2000 हजार ऑपरेशन हो चुके है।
इंदौर में ब्रेन ट्यूमर का पहला ऑपरेशन 45 साल पहले हुआ
ब्रेन ट्यूमर का पहला ऑपरेशन शहर के निजी अस्पताल टी चोइथराम हॉस्पिटल में साल 1979 में न्यूरो सर्जन डॉक्टर टी सूर्याराव द्वारा किया गया था। हॉस्पिटल के सम्पर्क अधिकारी सुरेश कार्लटन ने बताया कि तब से अब तक 45 सालो में ब्रेन ट्यूमर के 5000 ऑपरेशन हो चुके है। अब ब्रेन ट्यूमर के ऑपरेशन अरबिंदो हॉस्पिटल, बॉम्बे हॉस्पिटल ,CHL केयर होस्पिटल , विशेष ज्यूपिटर हॉस्पिटल, कोकिला बेन हॉस्पिटल सहित शहर के कई निजी हॉस्पिटल में किये जाते है।