मणिपुर में नीतीश कुमार की JDU ने BJP गठबंधन से वापस लिया समर्थन, मची सियासी खलबली

Srashti Bisen
Updated:

JDU Withdrawn Support to BJP : जनता दल (यूनाइटेड), जो बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी है, ने मणिपुर में एन. बीरेन सिंह के नेतृत्व वाली भा.ज.पा सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। यह फैसला मणिपुर की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाता है, जहां अब पार्टी के एकमात्र विधायक विपक्षी बेंच पर बैठेंगे। हालांकि इस घटनाक्रम से सरकार की स्थिरता पर कोई असर नहीं पड़ेगा, लेकिन यह केंद्र और बिहार में भाजपा के लिए एक कड़ा संदेश है।

मणिपुर में जेडीयू के छह विधायकों में से पांच पहले ही भाजपा में शामिल

मणिपुर विधानसभा चुनाव 2022 में जनता दल (यूनाइटेड) ने 6 सीटें जीती थीं, लेकिन बाद में 5 विधायक भाजपा में शामिल हो गए। इन पांच विधायकों के भाजपा में शामिल होने से सत्तारूढ़ पार्टी की स्थिति मजबूत हुई। हालांकि अब पार्टी के पास केवल एक विधायक, मोहम्मद अब्दुल नासिर बचा है, जिसने अपना समर्थन वापस ले लिया है और वह अब विपक्षी विधायक के रूप में विधानसभा में बैठेंगे।

मणिपुर सरकार की स्थिरता पर कोई असर नहीं: भाजपा के पास बहुमत

मणिपुर में 60 सदस्यीय विधानसभा में भा.ज.पा के पास 37 विधायक हैं, जिनमें से नागा पीपुल्स फ्रंट के 5 विधायक और 3 निर्दलीय विधायकों का समर्थन है, जो सरकार को आरामदायक बहुमत प्रदान करते हैं। इस लिहाज से जेडीयू का समर्थन वापस लेने के बावजूद सरकार की स्थिरता पर कोई खतरा नहीं है।

सीधे राज्यपाल को पत्र भेजकर लिया समर्थन वापस

मणिपुर में जेडीयू के प्रदेश अध्यक्ष के.एस. बीरेन सिंह ने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला को एक आधिकारिक पत्र भेजकर अपना समर्थन वापस लेने की जानकारी दी। पत्र में जेडीयू ने बताया कि 2022 में चुनाव के बाद उनके पांच विधायक भाजपा में शामिल हो गए थे, और उनके खिलाफ संविधान की दसवीं अनुसूची के तहत मामला अदालत में लंबित है।

मणिपुर में नीतीश कुमार की JDU ने BJP गठबंधन से वापस लिया समर्थन, मची सियासी खलबली

पत्र में यह भी उल्लेख किया गया कि मणिपुर विधानसभा के आगामी सत्र में मोहम्मद अब्दुल नासिर को अब विपक्षी विधायक के रूप में माना जाएगा और वह विपक्ष की बेंच पर बैठेंगे। जेडीयू ने इस पत्र के जरिए यह दोहराया कि अब वह भा.ज.पा के नेतृत्व वाली सरकार का समर्थन नहीं करते हैं।

यह घटनाक्रम खासकर बिहार में नीतीश कुमार की पार्टी के लिए अहम है, क्योंकि वहां भा.ज.पा और जेडीयू साथ मिलकर सरकार चला रहे हैं। बिहार में विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं, और जेडीयू के इस फैसले का असर नीतीश कुमार और भा.ज.पा के रिश्तों पर पड़ सकता है।