भोपाल। मध्यप्रदेश में साल 2023 के अंतिम महीने नवंबर में विधानसभा चुनाव होना है। कर्नाटक में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बाजी मार ली है, लेकिन मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को पिछली बार मिली हार काफी खामियाजा भुगतना पड़ा था, लेकिन इस बार ऐसा ना हो ऐसे में बीजेपी लगातार अपनी रणनीति बनाने में लगी है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बीजेपी में वन मैन आर्मी माने जाते हैं ।मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने लोकसभा से लेकर विधानसभा तक जीत का जलवा कायम रखा है, लेकिन एक समय ऐसा भी आया था जब उन्हें खुद विधानसभा चुनाव में हार का सामना करना पड़ा था।
कांग्रेस के नाम है ये 5 पांच किलें
मध्यप्रदेश में होने वाले 2023 का विधानसभा चुनाव काफी रोमांचक होने जा रहा । एक तरफ जहां बीजेपी चुनाव तैयारी में लगी हुई है तो दूसरी तरफ बीजेपी भी लगातार अपनी रणनीति बनाने में जुटी है। अगर हम 2003 के उदाहरण देखे तो उस समय उमा भारती की लहर थी शिवराज सिंह चौहान दिग्विजय सिंह के सामने राघोगढ़ जीतने वाले थे, लेकिन वहां दिग्विजय सिंह के सामने चुनाव हार गए थे। ऐसे में अब विधानसभा चुनाव में बीजेपी पांच ऐसे किले पर जीत हासिल करने की तैयारी में लगी हुई है। इनमें राघोगढ़ के साथ ग्वालियर चंबल अंचल के 5 किलो शामिल है जिसमें बीजेपी जीत हासिल कर जो नामुमकिन है उसे मुमकिन करने की तैयारी में लगी हुई है। आखिरकार ऐसे कौन से किले हैं विस्तार से जानते हैं।
मध्य प्रदेश के ग्वालियर चंबल संभाग में कुछ पांच ऐसे गढ़ हैं ,जिन्हें जीतने के लिए बीजेपी हमेशा सपना देखती है। बीजेपी लगातार 1990 से इन जगह पर जीत हासिल करने की कोशिश में लगी है, लेकिन मोदी लहर में भी इन गढ़ को जितना सिर्फ सपना साबित हुआ है। 2003 में उमा भारती की सरकार थी 2008 में खुद मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की लहर चल रही थी वहीं 2013 में मोदी और शिवराज की लहर आ गई थी, लेकिन इसके बावजूद भी इन जगह पर बीजेपी को हार का सामना ही करना पड़ा था।
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इन गढ़ में जीत का रास्ता बनाएंगे अमित शाह
इस बार बीजेपी की इस सियासी चढ़ाई में खुद गृहमंत्री अमित शाह मध्य प्रदेश आएंगे और यहां पर बीजेपी के लिए 2023 के विधानसभा चुनाव में जीत का रास्ता बनाएंगे । हालांकि देखने वाली बात यह होगी गृह मंत्री अमित शाह खुद इस सियासी चढ़ाई में कामयाब होंगे या फिर बीजेपी को अपनी मुंह की खाना पड़ेगी। वही मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान बीजेपी में वन मैन आर्मी के रूप में काम कर रहे हैं मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान खुद इन जगहों पर हार का सामना कर चुके हैं
सबसे पहले बात कर लेते हैं हम गुना जिले के राघोगढ़ किला नंबर 1 के रूप में शामिल है ।यहां पर 1990 और 1993 में लक्ष्मण सिंह चुनाव जीते थे। वही 1998 से लेकर 2003 तक कांग्रेस की सरकार रही थी ।जिसमें दिग्विजय सिंह ने चुनाव जीता था ।इस चुनाव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान दिग्विजय सिंह के सामने थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद 2008 में कांग्रेश के मूल सिंह चुनाव जीते थे 2013 और 2018 में जयवर्धन सिंह ने चुनाव में जीत हासिल की है।
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33 साल से जीत के इंतजार बीजेपी
इसके बाद किला नंबर दो की बात करें तो यह भिंड जिले का लहार है जहां पर कांग्रेस को हमेशा जीत मिली है 33 साल से लगातार बीजेपी इस गढ़ को जीतने की तैयारी में लगी है, लेकिन आलम यह है कि अभी तक बीजेपी को यहां पर जीत हासिल नहीं हुई है ।लहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष डॉक्टर गोविंद सिंह जमे हुए हैं ।1990 की राम लहर और 2003 की उमा लहर 2008 की शिवराज लहर और 2013 की शिवराज और मोदी की लहर भी यहां पर जीत हासिल नहीं कर पाई है। यहां पर डॉक्टर गोविंद सिंह सन 1990 से 2018 तक 7 विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर चुके हैं।
तीसरा किला शिवपुरी जिले का पिछोर है वहीं चौथे नंबर पर ग्वालियर जिले का भितरवार है और पांचवें नंबर का डबरा है, जहां पर बीजेपी लगातार जीत हासिल करने की कोशिश में लगी है, लेकिन केपी सिंह 30 सालों से पिछोर में जमे हुए हैं वही भितरवार की बात करें तो यहां पर लाखन सिंह यादव कई दिनों से यहां पर अपने पैर जमाए बैठे हैं डबरा की बात करें तो 2008 और 2013 और दो हजार अट्ठारह के 3 विधानसभा चुनाव में इमरती देवी ने जीत दर्ज की थी। 2020 उपचुनाव में जब इमरती देवी सिंधिया के साथ दल बदल कर बीजेपी में गई तब से इस विधानसभा की सीट कांग्रेस के खाते में चली गई थी। हालांकि कांग्रेस के सुरेश राजे ने बीजेपी की इमरती देवी को यहां पर हराया था। 2023 में बीजेपी यहां पर जीत दर्ज करने के लिए पूरे जोर-शोर से मैदान में उतरेगी।