केंद्रीय बजट से पहले केंद्र सरकार ने रविवार को सर्वदलीय बैठक का आयोजन किया था. बैठक का विपक्षी गुट के कुछ घटक दलों ने बहिष्कार किया. जबकि राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन और अन्य दलों ने अपने राज्य के लिए बड़ी मांगें कीं। कल से बजट सत्र का बिगुल बजने वाला है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई 2024 को बजट पेश करेंगी. इससे पहले बिहार समेत आंध्र प्रदेश और ओडिशा की पार्टियां भी केंद्र से विशेष राज्य की वकालत कर चुकी हैं.
बिहार के 13 करोड़ लोगों का सपना टूट गया है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, निर्दलीय सांसद पप्पू यादव समेत राज्य के सभी दलों के नेता बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं. अब ये सिर्फ सपना ही रह जाएगा.
राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने साफ कहा है कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा नहीं दिया जा सकता. संसद में रखे गए एक सवाल का जवाब देते हुए मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि पहले देश में कुछ राज्यों को विशेष दर्जा मिला हुआ था. विशेष श्रेणी का दर्जा राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) द्वारा प्रदान किया जाता है। इसके लिए कुछ मानक तय किये गये हैं, जिसे बिहार पूरा नहीं करता है.
राष्ट्रीय विकास परिषद ने बिहार की मांग पर विचार किया, फिर 30 मार्च 2012 को अपनी रिपोर्ट सौंपी. विकास परिषद ने निष्कर्ष निकाला कि मौजूदा एनडीसी मानदंडों के आधार पर बिहार को विशेष श्रेणी का दर्जा देने का कोई मामला नहीं है। जेडीयू के राज्यसभा सांसद संजय कुमार झा ने भी मानसून सत्र से पहले एनडीए की बैठक में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की है.
इसके अलावा राजद सांसद मनोज झा ने भी सोमवार को राज्यसभा में यह मुद्दा उठाया, लेकिन वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी के जवाब के बाद यह मांग खत्म होती दिख रही है. जेडीयू लगातार विशेष राज्य की मांग कर रही है, इससे पहले जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव और राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने 22 जुलाई से शुरू होने वाले बजट सत्र से एक दिन पहले बिहार के लिए विशेष राज्य के दर्जे की अपनी मांग दोहराई थी. केंद्र सरकार ने बजट सत्र से एक दिन पहले रविवार को सर्वदलीय बैठक बुलाई थी. इस बैठक में जेडीयू ने बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने की मांग की.