आंटी पुलिस बुला लेगी, काला कौआ काट खाएगा की गूंज से टूटा सन्नाटा

Raj
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भले ही सरकार द्वारा वैवाहिक कार्यक्रमों (Matrimonial Programs) में मेहमानों की संख्या को सीमित कर दिया हो लेकिन बीते वर्ष की बजाय इस बार होने वाले मांगलिक कार्यकमों से बाजारों (Markets) में सन्नाटा जरूर टूट गया है। मालूम हो कि बीते दो वर्षों में कोरोना की वजह से लॉकडाउन (Lockdown) लगाया गया था और लोग भी अपने यहां वैवाहिक कार्यक्रमों को नहीं कर सके थे।

हालांकि अभी भी महज ढाई सौ लोगों को ही बतौर मेहमान बुलाने की अनुमति आयोजकों को लेना होगी बावजूद इसके बाजारों में कोरोना गाइड लाइन (Corona Guideline) के बीच सन्नाटा टूटा हुआ है क्योंकि बैंड ढोल की आवाज गूंज रही है तो वहीं उत्साही बाराती बैंड व डीजे की धुन पर कदम भी थिरकाते हुए नजर आ सकते है।

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वैसे गली मोहल्लों व कॉलोनियों में कोविड (Covid) नियमों का पालन करने से गुरेज किया जा रहा है और यह देखने में आ रहा है कि डीजे या बैंड पर बजने वाले काला कौआ काट खाएगा…आंटी पुलिस बुला लेगी..जैसे गीतों पर कदम थिरकाने वाले न तो सोशल डिस्टेसिंग का पालन कर रहे है और  न ही मास्क का उपयोग किया जा रहा है।

खरीदी होने से चेहरे पर चमक
अभी वैवाहिक कार्यक्रमों (Matrimonial Programs) के मुर्हूत चल रहे है। ज्योतिषियों के अनुसार जनवरी से लेकर फरवरी माह तक 6 से अधिक मुर्हूत है तथा इनमें ही वैवाहिक या अन्य मांगलिक कार्यक्रमों को आयोजित किया जा जाएगा। जिनके यहां वैवाहिक कार्यक्रम है उनके द्वारा बाजारों से खरीदी करने का सिलसिला जारी है, इसके चलते दुकानदारों के चेहरे पर चमक दिखाई दे सकती है। बीते दो वर्षों में स्थिति विपरित हो गई थी एवं दुकानदारों के धंधे पूरी तरह से बैठ गए थे, परंतु फिलहाल की स्थिति मे बाजारों में भीड़ है एवं खरीदी भी अच्छी खासी हो रही है।

बैंड, ढोल पर पाबंदी नहीं है
गौरतलब है कि पिछले लॉकडाउन (Lockdown) में वैवाहिक कार्यक्रमों (Matrimonial Programs) को करने के लिए दस से बीस लोगों को बुलाने की अनुमति तो थी परंतु बैंड व ढोल के साथ ही बारात निकालने पर पांबदी लगाई गई थी। घर में ही शादी ब्याह करने के लिए अनुमति संबंधित थाने से लेना जरूरी था, लेकिन अभी कोरोना की तीसरी लहर के बीच होने वाले शादी ब्याह में ढोल या बैंड बुलाने या फिर बारात निकालने पर किसी तरह से प्रतिबंध नहीं लगाया गया है।

आनंद तो है लेकिन रिश्तेदारों को बुरा भी लग रहा
वैवाहिक कार्यक्रमों (Matrimonial Programs) में ढाई सौ लोगों को बुलाने की अनुमति शासन ने दी है। यदि दो वर्ष पहले की बात करें तो ऐसा कोई प्रतिबंध नहीं था और आयोजक जितने चाहे उतने मेहमानों को बुलाने के लिए स्वतंत्र होते थे परंतु दो वर्ष पहले से लेकर फिलहाल स्थिति तक शादी ब्याह तो किए जा रहे है और घराती-बाराती आनंद भी ले रहे है बावजूद इसके आयोजकों का यह कहना है कि मेहमानों की संख्या सीमित करने से रिश्तेदारों को बुरा भी लग रहा है क्योंकि संख्या सीमित है एवं ऐसे में बुलाने वाले मेहमानों की लिस्ट में छंटनी तो करना ही होगी।

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