संघ के अरुण जैन और दीपक विस्पुते ने संभाली MP में चुनावी मोर्चे की कमान

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प्रवीण कुमार खारीवाल
भोपाल। मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव में भाजपा का अभियान अब पूरी तरह से राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दिशा-निर्देश में चल रहा है। मध्य क्षेत्र के मुख्यालय समिधा से भाजपा के चुनाव अभियान की मॉनिटरिंग हो रही है। चुनावी मोर्चा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय सह प्रचार प्रमुख अरुण जैन और क्षेत्र प्रचारक दीपक विस्पुते ने संभाल लिया है। इसी जोड़ी ने 2018 के विधानसभा और 2019 के लोकसभा चुनाव को मॉनिटर किया था।
प्रदेश में जैसे-जैसे चुनाव नजदीक आ रहे हैं, वैसे-वैसे ग्राउण्ड जीरो पर भाजपा के साथ संघ के कार्यक्रर्ता भी नज़र आने लग गये है। बड़े नेता भी खुलकर साथ बैठ रहे है। इसकी बानगी हाल ही में भोपाल में देखने को मिली। यहां मुख्यमंत्री निवास पर अरुण जैन और राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिव प्रकाश ने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष विष्णु दत्त शर्मा और प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद से लंबी चर्चा की। इन सभी नेताओं ने भाजपा के चुनाव अभियान की समीक्षा की तथा मैदानी जमावट और माइक्रो इलेक्शन मैनेजमेंट के संदर्भ में संघ भाजपा को किस तरह से परोक्ष रूप से मदद कर सकता है इस पर  चर्चा की।
मिली जानकारी के अनुसार नाराज कार्यकर्ताओं को मैदान में लाने का काम भी संघ के पदाधिकारी अपने तरीके से करेंगे। अरूण जैन ग्वालियर के हैं। उन्होंने ग्वालियर में विभाग प्रचारक की जवाबदारी लंबे समय संभाली है। इसके अलावा वे मध्य भारत प्रांत के सह प्रांत प्रचारक, प्रांत प्रचारक रहने का अलावा मध्य क्षेत्र के  क्षेत्र प्रचारक भी रह चुके हैं। इस वजह से जैन मध्यप्रदेश के चप्पे-चप्पे वाकिफ हैं। इसी तरह मौजूदा क्षेत्र प्रचारक दीपक विस्पुते जबलपुर के हैं। उन्होंने महाकोशल क्षेत्र में लंबे समय काम किया है। इस वजह से ग्वालियर चंबल अंचल और महाकोशल के बारे में यह दोनों वरिष्ठ प्रचारक बारीकी से समझ रखते हैं। इन्हीं दो अंचलों में भाजपा को सबसे अधिक समस्या भी है। संघ भाजपा के लिए माइक्रो मैनेजमेंट का मोर्चा संभालेगा। संघ अपने  अलिखित नियम के अनुसार राजनीति में सीधे हिस्सा नहीं लेता लेकिन अपने तरीके से संघ के कार्यकर्ता भाजपा की चुनाव मैदान में ठोस मदद करते हैं।
सूत्रों के अनुसार संघ ने प्रांत प्रचारक और प्रांत कार्यवाहक स्तर के पदाधिकारियों को चुनाव मॉनिटर करने के लिए कहा है जैसे मालवा प्रांत में जिसमें इंदौर और उज्जैन संभाग आते हैं। यहां प्रांत प्रचारक बलिराम पटेल इंदौर संभाग यानी निमाड़ अंचल को संभाल रहे हैं तो सह प्रांत प्रचारक राजमोहन मालवा यानी उज्जैन संभाग को देख रहे हैं। प्रांत प्रचार प्रमुख विनय दीक्षित रतलाम से लगी हुई आदिवासी सीटो पर सक्रिय है। इसी तरह मध्य भारत प्रांत में ग्वालियर चंबल अंचल का मोर्चा स्वप्निल कुलकर्णी देख रहे हैं जो प्रांत प्रचारक हैं जबकि सागर, भोपाल और नर्मदा पुरम संभाग को सह प्रांत प्रचारक विमल गुप्ता देख रहे हैं। इनके अलावा पूरे मध्यप्रदेश का मामला क्षेत्र कार्यवाह हेमंत मुक्तिबोध भी देख रहे हैं। सूत्रों के अनुसार मध्यप्रदेश की 47 आदिवासी और 35 दलित सुरक्षित सीटों को अखिल भारतीय सेवा प्रमुख पराग अभ्यंकर देख रहे हैं। जो मालवा प्रांत के 9 वर्ष तक प्रांत प्रचारक रह चुके हैं और मूलतः ग्वालियर के हैं।
आदिवासी अंचलों में सतत सक्रिय संघ
संघ परिवार आदिवासियों के बीच विभिन्न संगठनों के माध्यम से सक्रिय है। प्रदेश सरकार ने राज्य के 89 विकास खंडों में ’पेसा एक्ट’ लागू कर दिया है। पेसा से आदिवासी ग्राम पंचायतों के अधिकार बहुत बढ़ गए हैं। पेसा को भी राजनीतिक दृष्टि से एक गेमचेंजर माना जा रहा है। जनकल्याणकारी योजनाओं के माध्यम से भी आदिवासियों को लुभाया जा रहा है। तीन दिन पहले रतलाम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि केन्द्र सरकार ने जनजाति विकास के लिए 90 हजार करोड़ का प्रावधान किया है। जबकि पहले की सरकारों में यह बजट कभी भी 20 हजार करोड़ से ऊपर नहीं था। प्रदेश की राजनीति में यह जाना माना तथ्य है कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चैहान की आदिवासियों में लोकप्रियता कांग्रेस के किसी भी अन्य नेता के मुकाबले कहीं अधिक है। यह बात पंचायत एवं नगरीय निकाय चुनाव में साबित हो चुकी है। इन चुनावों तथा पिछले दो वर्षों में संपन्न उपचुनावों से जाहिर हुआ है कि भाजपा ने आदिवासी क्षेत्रों में वापसी की है।