इंदौर 11 नवम्बर, 2020
दीपावली प्रकाश का पर्व है, परन्तु दीपावली के समय विभिन्न प्रकार के पटाखों का उपयोग बड़ी मात्रा में किया जाता है। ज्वलनशील एवं ध्वनि कारक पटाखों के उपयोग के कारण परिवेशीय वायु में प्रदूषक तत्वों एवं ध्वनि स्तर में वृद्धि होकर पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। कुछ पटाखों से उत्पन्न ध्वनि की तीव्रता 100 डेसीबल से भी अधिक होती है। अतः इस प्रकार के प्रदूषण पर नियंत्रण किया जाना अति आवश्यक है, जिससे मानव अंगों पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है।
उपरोक्त संबंध में पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा जारी अधिसूचना जी.एस.आर. 682(ई) 05 अक्टूबर, 1999 में पटाखों के प्रस्फोटन से होने वाले शोर हेतु मानक के अनुसार प्रस्फोटन के बिन्दु से चार मीटर की दूरी पर 125 डी.बी. (ए.आई.) या 145 डी.बी. (सी) पीक से अधिक ध्वनि स्तर जनक पटाखों का विनिर्माण, विक्रय व उपयोग वर्जित है।
सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रिट-पिटीशन (सिविल) क्रमांक 728/2015 ‘‘ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण’’ के परिप्रेक्ष्य में 23 अक्टूबर, 2018 को दिये गये निर्णयानुसार रात्रि 8 बजे से 10 बजे तक (दो घन्टे) के पश्चात् दीपावली पर्व पर पटाखों का उपयोग प्रतिबंधित है। लड़ी (जुड़े हुए पटाखों) गठित करने वाले अलग-अलग पटाखों के निर्माण, विक्रय एवं उपयोग पूर्णतः प्रतिबंधित है। दीपावली पर्व पर एवं अन्य पर्वो और अवसरों पर उन्नत पटाखे एवं ग्रीन पटाखे ही विक्रय किये जा सकेंगें। दीपावली पर्व पर पटाखों का उपयोग नियत समय रात्रि 8 बजे से 10 बजे तक तथा निर्धारित स्थल पर ही किया जाना है, साथ ही प्रतिबंधित पटाखों का विक्रय न हो। इसके परिपालन हेतु संबंधित क्षेत्र के पुलिस अधिकारी, स्टेशन हाउस ऑफिसर को व्यक्तिगत रूप से दायित्व सौंपे गये है।
पटाखों के जलने से उत्पन्न कागज के टुकड़े एवं अधजली बारूद बच जाती है तथा इस कचरे के सम्पर्क में आने वाले पशुओं एवं बच्चों के दुर्घटनाग्रस्त होने की सम्भावना रहती है। पटाखों के जलाने के उपरान्त उनसे उत्पन्न कचरे को ऐसे स्थानों पर न फेंका जाये, जहाँ पर प्राकृतिक जल स्त्रोत या पेयजल स्त्रोत प्रदूषित होने की संभावना है, क्योंकि विस्फोटक सामग्री खतरनाक रसायनों से निर्मित होती है।
प्रदूषण निवारण मण्डल द्वारा आम जनता से निवेदन किया गया है कि पटाखों का उपयोग सीमित मात्रा में करें एवं पटाखों को जलाने के पश्चात उत्पन्न कचरे को घरेलू कचरे के साथ न रखें। उन्हे पृथक स्थान पर रखकर नगर-निगम के कर्मचारियों को सौंपदे। नगर-निगम एवं नगर पालिकाओं से भी यह भी अनुरोध है कि पटाखों का कचरा पृथक संग्रहीत करके उसका निष्पादन सुनिश्चित करें।