आखिर क्यों नहीं हुआ इंदौर के हजार साल पुराने मंदिर का विकास

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(राजेश राठौर)

Indore News : इंदौर के लोग धार्मिक मामलों में कितने आगे है ये पूरा देश जानता है लेकिन इंदौर (Indore) के देवगुराड़िया (Devguradiya) स्थित हजार साल पुराने शिव मंदिर का विकास नहीं हो पाया। भाजपा की सरकार तो धर्म का सहारा पार्टी चलाने के लिए करती है। इसकी सरकार ने वहां पर अभी तक कोई काम नहीं किया। देवगुराड़िया मंदिर वाली टेकरी पर तत्कालीन कांग्रेस विधायक सत्यनारायण पटेल ने सालो पहले शहीद पर्वत के नाम से पौधे लगाना शुरू किए थे। सरकार ने नक्षत्र वाटिका और बॉटनिकल गार्डन बनाने का काम भी 2017 में शुरू किया था, जो अभी तक पूरा नहीं हुआ। वन विभाग भी यहां पर कुछ कर नहीं पाया।

देवगुराड़िया मंदिर के बारे में मान्यता है कि वहां पर विष्णु भगवान के गरुड़ से गहरा नाता रहा है। गरुड़ ने वहां शिव भगवान की तपस्या की थी। इसलिए गरुड़ तीर्थ भी इस मंदिर को कहा जाता है। देवी अहिल्या बाई ने इस मंदिर को बनवाया था। 18वी सदी में भक्त यहां दर्शन करने आने लगे थे। यहां प्राकृतिक गोमुख भगवान शिव का अभिषेक किया जाता है। मंदिर को लेकर तमाम मान्यताएं है। शिव भगवान का अभिषेक श्रावण माह से शुरू हो जाता है। यहां झरने वाला पानी मंदिर के दरवाजे के बाहर वाले अमृत कुंड में भरता है। इस कुंड में कभी पानी नहीं सूखता है। यहां 5 कुंड है, 2 कुंड में लोग स्नान करते है। इस गांव के लोग पानी भी यही के कुंड का पीते है। इतना सब कुछ होने के बावजूद मंदिर के विकास को लेकर अभी तक कोई काम शुरू नहीं हुआ। सांसद शंकर लालवानी कहते है कि धर्म संस्कृति विभाग के सहयोग से मंदिर का विकास योजना बनाई जाएगी। जल्द ही काम शुरू होगा।

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यहां हमेशा नाग-नागिन का जोड़ा रहता है। नाग- नागिन के जोड़े के दर्शन करने से मनोकामना पूरी होती है। देवीअहिल्या बाई महेश्वर से मई 1784 में इंदौर आई थी, उसी समय वो देवगुराड़िया मंदिर दर्शन करने गई थी। यहां पूजा करने वाले राजेंद्र पूरी का परिवार 16 पीढ़ियों से मंदिर की पूजा कर रहा है।

गौरतलब है कि वन विभाग नक्षत्र वाटिका और बॉटनिकल गार्डन देवगुराड़िया पहाड़ी पर बना रहे है। साथ ही यह लक्ष्य है कि इस काम को महीने भर में पूरा किया जाए। इस पर करीब तीन लाख का खर्च किया जा रहा है। यहां बीस अलग-अलग प्रजातियों के पौधे लगाए जाएंगे। पहाड़ी पर नक्षत्र वाटिका और बाटनिकल गार्डन पर काम शुरू हो चुका है। फरवरी में मंजूर हुए प्रस्ताव को अप्रैल तक पूरा करना है।

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