एक ऐसा गांव जहां के लोग नहीं पहनते कपड़े, न्यूड रहकर जिंदगी बिताते हैं लोग

Simran Vaidya
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रोटी, कपड़ा और मकान ये तीन चीजें मनुष्य की आधारभूत जरूरतें हैं. इसमें से किसी भी एक चीज को अगर हटा दिया जाए तो जिंदगी की कल्पना कर पाना थोड़ा असंभव होगा. यह न्यूज़ इंसान के पहनावे को लेकर है. किसी भी देश का पहनावा उस देश की संस्कृति से साफ़ तौर पर जुड़ा होता है. पूरी दुनिया में मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी हैं जो कपड़े पहनता है लेकिन आपको जानकर आश्चर्य होगा कि आज भी धरती पर ऐसे कई संप्रदाय सम्मिलित हैं जो कपडे़ नहीं पहनते हैं. कई आदिवासी संप्रदाय कपड़े नहीं पहनते हैं लेकिन आदिवासी संप्रदाय साफतौर पर मुख्यधारा से खुद को दूर रखते हैं लेकिन यहां जिस संप्रदाय का जिक्र किया जा रहा है, वह बहुत शिक्षित है और जिस गांव के बारे में यहां बताया जा रहा है, वह बेहद ज्यादा एडवांस है.

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इस गांव में बिना कपड़ों के रहते हैं लोग

ब्रिटेन में स्पीलप्लाट्ज नाम का एक विलेज है जहां के लोगों ने करीबन 94 वर्षों से बिना कपड़ों के रहने की जिंदगी सिलेक्ट की गई है. यह गांव हर्टफोर्डशायर के ब्रिकेटवुड के समीप है. यहां महिला और पुरुष सभी को निर्वस्त्र ही रहना पड़ता है. यहां की एक स्पेशल बात यह भी है कि यहां घूमने आने वालों को भी इसी प्रकार रहना पड़ता है. स्पीलप्लाट्ज के लोगों की लाइफस्टाइल बेहद ज्यादा एडवांस है. इसे आप ऐसे समझ सकते हैं कि गांव में खुद का पब, स्विमिंग पूल और अन्य दूसरी कई फैसिलिटी शामिल हैं. इस गांव को बसाने का क्रेडिट इसुल्ट रिचर्डसन को दिया जाता है. रिचर्डसन ने इसे वर्ष 1929 में बसाया था. सर्दी के वक़्त यहां कपड़े पहनने की परमिशन होती है.

क्यों रहते हैं यहां के लोग निर्वस्त्र

इस विलेज को विकसित करने वाले इसुल्ट रिचर्डस का मानना था कि वह शहर के शोर-शराबे से दूर जाना चाहते हैं क्योंकि उन्हें कुदरत के समीप जिंदगी बिताना था. इस तरह की रहन-सहन से गांव के लोग खुद को नेचर के समीप मानते हैं. आपको बता दें कि जब इस गांव की नींव पड़ी थी तब इसे लेकर बेहद विरोध हुआ था मगर जीने के अधिकार की वजह से सभी विरोधों को रोकना पड़ा. गौरतलब है कि भारत में अंडमान के एक द्वीप पर रहने वाली ‘जारवा’ आदिवासी जनजाति भी अपनी जिंदगी बिना कपड़ों के ही बिताती है.