उज्जैन। उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में पहली बार श्रीयंत्र वाला महाकाल शिखर महाकाल का पूरा शिखर व गर्भग्रह स्वर्ण मंडित होगा। श्रीयंत्र स्थापना से शुद्ध लक्ष्मी प्राप्ति होती है, मंदिरों का निर्माण भी श्रीयंत्र के आकार में किया जाता है। बता दे कि शिखर और गर्भग्रह में 250 किलो सोना लगने की संभावना है। वही
250 किलो सोना लगने की संभावना है। धर्मशास्त्रियों का कहना है कि,” ऐसे मंदिर इसलिए बनाए जाते हैं कि मंदिर में प्रधान देवता के अलावा किसी अन्य देवता की स्थापना की जरूरत नहीं रहती।”
वही युवराज स्वामी माधवप्रपन्नचार्य के अनुसार श्रीयंत्र में सभी देवताओं का वास होता है, और मंदिर में प्रधान देवता के अलावा अन्य देवी देवता श्रीयंत्र में विराजमान माने जाते हैं। महाकाल मंदिर के गर्भ गृह में रूद्र यंत्र स्थापित है। पंडित आशीष पुजारी ने बताया कि रूद्र यंत्र महाकाल का कवच कहा जाता है। इससे गर्भ ग्रह में स्थापित करने से गर्भ ग्रह ऊर्जा का पावरफुल केंद्र बन जाता है। महाकाल मंदिर में गर्भ ग्रह में दर्शन पूजन का विशेष महत्व है।
महाकाल मंदिर का शिखर की उचाई करीब 82 फीट है और इसकी परिधि 82 मीटर है। शिखर के ऊपर ही 5 फीट भाग तथा शिखर की चोटी 116 शिखरों पर सोना चढ़ चुका है। वही अब पूरे शिखर और गर्भ ग्रह को स्वर्ण मंडित किया जाएगा। इसके लिए पं. रमण त्रिवेदी ने प्रोजेक्ट बनाया है। इस संबंध में उन्होंने दानदाताओं से भी चर्चा की है।