इंदौर जिले में कलेक्टर मनीष सिंह के निर्देशन में शासकीय जमीनों के प्रतिरक्षण के लिये विशेष अभियान चलाया जा रहा है। इस अभियान के तहत पट्टेदारों द्वारा अनियमितता कर विक्रय की गई लगभग 90 करोड़ रूपये की बहुमूल्य जमीन शासकीय घोषित की गई। इस कार्रवाई में लगभग 12.14 एकड़ भूमि शासकीय घोषित हुई है। भरण पोषण के लिये दी गई उक्त भूमि पट्टेदारों द्वारा अवैध रूप से अन्य लोगों को विक्रय की गई थी।
अपर कलेक्टर श्री पवन जैन ने बताया कि ग्राम राजधरा तहसील भिचौली हप्सी स्थित भूमि खसरा नंबर 159 वर्ष 1976 में पट्टेदारों को भरण पोषण के लिए पट्टे पर प्रदान की गई। यह पट्टे प्रेमा पिता नंदा (रकबा 1.000 हैक्टेयर), सिद्धु पिता चुन्नीलाल (रकबा 1.000 हैक्टेयर ), भागीरथ पिता मानसिंह (रकबा 0.750 हैक्टेयर), हीरालाल पिता नंदराम ( रकबा 0.167 हैक्टेयर), चंदरसिंह पिता कल्लू ( रकबा 1.000 हैक्टेयर) तथा रामचरण पिता मोती (रकबा 1.000 हैक्टेयर) को प्रदान किये गये।
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इन पट्टेदारो व्दारा उक्त शासकीय भूमि बिना सक्षम अनुमति के अन्य कृषको को विक्रय कर दी गई। यह तथ्य जिला प्रशासन के संज्ञान में आने पर शासकीय भूमि के प्रतिरक्षण हेतु अभियान चलाया गया। शासकीय भूमि को विक्रय करने के पूर्व कलेक्टर की अनुमति प्राप्त करना आवश्यक है। इन पट्टाधारियों द्वारा विधिवत अनुमति प्राप्त नहीं की गई।
पट्टाधारियों व्दारा उक्तानुसार अनियमितता करने पर ग्राम राजधरा की कुल भूमि 4.917 हैक्टेयर (12.14 एकड) भूमि शासकीय घोषित कर शासन पक्ष में वैष्ठित की गई है। उक्त भूमि का अनुमानित व्यावहारिक मूल्य 90 करोड़ रूपये है।
उक्त भूमि को मध्यप्रदेश शासन के नाम दर्ज कर कब्जा प्राप्त करने के निर्देश तहसीलदार को दिये गये। जिला प्रशासन व्दारा इस तरह के प्रकरणों में कड़ाई से कार्यवाही की जा रही है। यह अभियान निरन्तर जारी रहेगा। शासन की बहुमूल्य भूमियों को मुक्त कराया जाकर अन्य जनपयोगी कार्यों के लिए आरक्षित किया जायेगा।