इंदौर. केरल के राज्यपाल मालवांचल युनिवेर्सिटी के स्टूडेंट्स के दीक्षांत समारोह में आज इंदौर में थे उन्होंने घमासान डॉट काम के पत्रकार नीरज राठौर के एक प्रश्न जो की केरल में मुख्यमंत्री द्वारा अपनी पसंद के कुलपतियो की नियुक्ति से सम्बंधित था के जवाब में कहा की केरल के या किसी भी उच्च शैक्षणिक संस्थानों में राजनीतिक हस्तक्षेप को वह बर्दाश्त नहीं कर सकते है। उन्होंने कहा की उन्होंने इस सम्बन्ध में परसों ही मुख्यमंत्री पिनराई विजयन को पत्र लिखकर विश्वविद्यालयों में कथित राजनीतिक हस्तक्षेप को लेकर अप्रसन्नता जताई है। कड़े शब्दों में लिखे पत्र में राज्यपाल ने विजयन को सूचित किया है कि यदि मुख्यमंत्री को विश्वविद्यालयों का कुलाधिपति बनने के उद्देश्य से अधिनियम में संशोधन के लिए अध्यादेश लाया जाता है तो वह उस पर तुरंत हस्ताक्षर करने के लिए तैयार हैं।
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उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को विश्वविद्यालयों के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए, उनकी स्वायत्ता को बाधित नहीं करना चाहिए। खान ने कहा, ‘‘मैंने उन्हें यह समझाने का काफी प्रयास किया कि आपको विश्वविद्यालयों के कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए। मैं इस राजनीतिक हस्तक्षेप को बर्दाश्त नहीं कर सकता।’’ उन्होंने पत्रकारो को कहा की, ‘‘मैंने पत्र में लिखा है कि जिस तरह से वहां (विश्वविद्यालयों में) राजनीतिक हस्तक्षेप हो रहा है… यह मेरे लिए बर्दाश्त से बाहर हो गया है और मैं सरकार के साथ कोई संघर्ष नहीं चाहता।’’राज्यपाल ने आगे कहा, की केरल के मुख्यमंत्री विश्वविद्यालयों का इस्तेमाल राजनीतिक उद्देश्यों के लिए करना चाहते हैं। और मैं उसे उस उद्देश्य के लिए नहीं चाहता। उन्होंने कहा कि अकादमिक निर्णय गैर-शैक्षणिक लोगों द्वारा नहीं लिए जाने चाहिए। केरल विधानसभा में पारित अधिनियम राज्यपाल को चांसलर बनाता है। मैंने सरकार से एक अध्यादेश लाने के लिए कहा, जहां विश्वविद्यालय के चांसलर सीएम या शिक्षा मंत्री हो सकते हैं, लेकिन मैं ऐसा नहीं कर सकता।