साइनबोर्ड पेंटर से टॉप सांग राइटर तक राहत इंदौरी

Akanksha
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नवीन शर्मा

कोई व्यक्ति अपनी मेहनत, प्रतिभा और हौसले से अपनी हैसियत कैसे बदल सकता है उसका एक बेहतरीन उदाहरण गीतकार डॉ. राहत इंदौरी हैं। वे एक साइनबोर्ड पेंटर से कॉलेज के अध्यापक बनते हैं। इसके बाद देश के नामचीन शायर में शुमार होते हुए बॉलीवुड के मशहूर गीतकार बन जाते हैं।

कपड़ा मिल कर्मचारी के घर जन्म हुआ

राहत इंदौरी का जन्म इंदौर में 1 जनवरी 1950 में कपड़ा मिल के कर्मचारी रफ्तुल्लाह कुरैशी और मकबूल उन निशा बेगम के यहाँ हुआ। वे इस दंपती की चौथी संतान हैं। राहत को छुटपन से ही पेंटिंग में रूचि थी। परिवार की आर्थिक स्थिति खराब थी। इस वजह से 10 साल से भी कम उम्र में उन्होंने साइनबोर्ड पेंटर के रूप में काम करना शुरू कर दिया था। चित्रकारी उनकी रुचि के क्षेत्रों में से एक थी और बहुत जल्द ही बहुत नाम अर्जित किया था। वे कुछ ही समय में इंदौर के व्यस्ततम साइनबोर्ड पेंटर बन गए। उनके असाधारण डिज़ाइन कौशल, शानदार रंग संयोजन और कल्पनाशील की वजह से उनके काम को लोग बहुत पसंद करते थे। उनके पास इतना ज्यादा काम आने लगा कि ग्राहकों को महीनों इंतजार करना पड़ता था। अगर आप कभी इंदौर जाएं तो वहां की कई दुकानों के लिए बनाए गए कई साइनबोर्ड्स आज भी आप देखे सकते हैं।

हॉकी और फुटबॉल टीम के कप्तान रहे

राहत की प्रारंभिक शिक्षा नूतन स्कूल इंदौर में हुई। उन्होंने इस्लामिया करीमिया कॉलेज इंदौर से 1973 में स्नातक की पढ़ाई पूरी की। राहत अच्छे खिलाड़ी भी थे। वे स्कूल व कॉलेज में हॉकी और फुटबॉल टीम के कप्तान भी रहे।
इसके बाद 1975 में बरकतउल्लाह विश्वविद्यालय, भोपाल से उर्दू साहित्य में एमए किया। 1985 में मध्य प्रदेश के मध्य प्रदेश भोज मुक्त विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में पीएचडी की उपाधि प्राप्त की।

उर्दू साहित्य का अध्यापन कार्य किया

राहत ने शुरुवाती दौर में आईके कॉलेज, इंदौर में उर्दू साहित्य का अध्यापन कार्य शुरू दकया। उनके छात्रों के मुताबिक वे कॉलेज के अच्छे व्याख्याता थे। वो मुशायरों में शामिल होने लगे और पूरे भारत से और विदेशों से निमंत्रण आने लगे । राहत ने जल्द ही लोगों के दिलों में अपने लिए एक खास जगह बना ली। वे जल्द ही उर्दू साहित्य की दुनिया के प्रसिद्ध शायरों में शामिल हो गए।

महेश भट्ट ने सर फिल्म में दिया ब्रेक

राहत इंदौरी को गीतकार के रूप में सबसे पहले महेश भट्ट ने फिल्म सर (1992) में मौका दिया। इस फिल्म के कई गीत बेहद लोकप्रिय हुए थे। इनमें राहत का लिखा गीत जिसे कुमार सानू और अलका याज्ञनिक ने गाया था ‘आज हमने दिल का हर किस्सा तमाम कर दिया, हम भी पागल हो गए तुम को भी पागल कर दिया’ सबसे ज्यादा हिट हुआ था।

चोरी- चोरी जब नजरे मिली

फिल्म निर्माता व निर्देशक विधु विनोद चोपड़ा ने अपनी फिल्म करीब 1998)के गीत राहत इंदौरी से ही लिखवाए थे। बॉबी देओल और नेहा के लीड रोल वाली फिल्म तो फ्लॉप हो गई थी लेकिन इसके गाने बेहद कर्णप्रिय थे। कुमार सानू और संजीवनी का युगल गीत चोरी- चोरी जब नजरे मिली खूब चला था। एक और गाना हां जुदाई से डरता है दिल

इसके साथ ही एक और गीत थोड़ा अलहदा अंदाज का था। इस पर गौर फरमाइए

दिल मेरा चुरा लो
आँखों में छुपा लो
अपना बना लो सनम

न न न
न न न
न न न
न न न
हाँ हाँ हाँ
न न न न

चुरा लो न दिल मेरा सनम
बना लो न अपना सनम
की तेरे बिन न जी सकेंगे
की तेरे बिन न मर सकेंगे
कुछ भी न कर सकेंगे

चुरा लो न दिल मेरा सनम
चुरा लें क्यों दिल तेरा सनम

न न न..
हाँ हाँ हाँ
न न न न

मसाला बाँट लूं
मैं प्याज काट लूं
छुरी किधर गयी
उफ़ है नल खुला हुआ

मैं कह रहा हूँ क्या
तू सुन रही है क्या
तू सुन रही है क्या
मैं कह रहा हूँ क्या

तेरा दीवानापन है यह
ओ बेखबर किचन है यह
यह क्यों वहां उठा धुंआ
क्या जाने क्या जल गया

तेरे बिन न जी सकेंगे
की तेरे बिन न मर सकेंगे
कुछ भी न कर सकेंगे
चुरा लो न दिल मेरा सनम
चुरा लें क्यों दिल तेरा सनम

न जाने क्या कहा
कहो न फिर ज़रा
सुनूँ मैं गौर से
कहो न ज़ोर से

कहा जो ज़ोर से
तो चारों और से
हसेंगे हम पे सब
हमारे शोर से

करेंगे बात फिर कभी
जवाब चाहिए अभी
नहीं नहीं अभी नहीं
इतनी भी जल्दी है क्या

की तेरे बिन न जी सकेंगे
की तेरे बिन न मर सकेंगे
हम सोच कर कहेंगे

अच्छा हुआ जो प्यार की पहचान हो गयी
देते थे जिस पे जान वो अनजान हो गयी
मौसम तो मैं नहीं हूँ
जो आऊँगा जाऊँगा
रूठा जो एक बार तो वापस न आऊंगा

न न न..
न न न..
हाँ हाँ हाँ
न न न न

चुरा लो न दिल मेरा सनम
बना लो न अपना संयम
की तेरे बिन न जी सकेंगे
की तेरे बिन न मर सकेंगे
हम सोच कर कहेंगे

दिल मेरा चुरा लो
आँखों में छुपा लो
अपना बना लो सनम।।

राहत साहब से मुलाकात

कुछ साल पहले राहत इंदौरी रांची में एक कार्यक्रम में शामिल होने आए थे। उस कार्यक्रम में तो मैं अपनी ड्यूटी की वजह से नहीं जा पाया था लेकिन अगले दिन सुबह उनसे मिलने आर्या होटल पहुंच गया जहां वे ठहरे हुए थे । पहले से कोई जान पहचान नहीं थी ना ही मैंने कोई समय लिया था। मैंने बस अपना परिचय दिया तो उन्होंने प्यार से बैठाया। हमलोगों ने कई मुद्दों पर करीब तीस-चालीस मिनट बात की। उन्होंने कहा था कि इतने वर्षों फिल्मों में काम करने के बाद भी मुंबई और वहां के काम की शैली उन्हें पसंद नहीं आई थी। उन्हें अपना अध्यापन और शेरो शायरी की दुनिया और अपना शहर इंदौर ज्यादा बेहतर लगे। इसलिए वे बंबई छोड़ कर इंदौर वापस आ गए।
उन्हें दोपहर में जाना था तो उन्हें लिफ्ट में साथ लेकर उतरा। उन्हें चलने में थोड़ी परेशानी हो रही थी उनकी देखभाल के लिए एक व्यक्ति आया हुआ था। कार में बिठा कर विदा किया। इस दौरान उनके साथ तस्वीरें भी ली थीं।
राहत इंदौरी ने लगभग 4 दर्जन फिल्मों में गीत लिखे हैं। इनके अधिकांश गीतों की धुन संगीतकार अनु मलिक ने तैयार की थीं। इनकी कुछ पुस्तकें भी प्रकाशित हुई हैं उनमें रुत, मेरे बाद और मौजूद। उन्हें कई सम्मान भी मिले हैं जिनमें अदीब इंटरनेशनल अवार्ड, इंदिरा गांधी अवॉर्ड, नेशनल इंटीग्रेशन अवार्ड और हिंदी उर्दू साहित्य अवार्ड, राजीव गांधी लिटरेरी अवार्ड तथा जाकिर हुसैन अवार्ड प्रमुख हैं।

लोकप्रिय गीत
* पास वो आने लगी जरा – जरा : मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी (94), कुमार सानू, अलका याग्निक, अनु मलिक
* दिल का दरवाजा खुला है राजा : मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी
* तुम सा कोई प्यारा कोई मासूम नहीं है : खुद्दार( 94) कुमार सानू, अलका याग्निक
* रात क्या मांगे एक सितारा. : खुद्दार (94)
* खत लिखना हमें खत लिखना : खुद्दार (94)
* मेरे ख्याल मेरे ही दिल मेरी नजर प्रेम शक्ति ( 94)
* तूझे प्यार करते- करते : नाजायज (95)
* देखो- देखो जानम हम दिल अपना तेरे लिए लाए : इश्क़ (97)
* नींद चुराई मेरी किसने ओ सनम :इश्क़ (97)उदित कविता कुमार सानु ,अनु मलिक
* हम तुमसे मोहब्बत करते हैं : प्रेम अग्न (98)
* ढलने लगी है रात कोई बात कीजिए :(2003)
* दो कदम और सही : मीनाक्षी (2004)
* यह रिश्ता क्या कहलाता है : मिनाक्षी, एआर रहमान, रीना भारद्वाज
* मेरी चाहत का समंदर तो देखो : जुर्म (2005)
* हम अपने गम को सजा कर बहार : द जेंटलमैन (94) विनोद राठौर-साधना सरगम, अनु मलिक
* बूमरो बूमरो श्याम रंग बूमरो : मिशन कश्मीर (2000) सुनिधि चौहान – जसपिंदर, शंकर, एहसान लॉय
* एम बोले तो मैं मास्टर : मुन्ना भाई एमबीबीएस (200 3)
* दिल को हजार बार रोका रोका -रोका :मर्डर (2004) अलीशा चिनॉय अनु मलिक