विजय अड़ीचवाल
आज बुधवार, कार्तिक कृष्ण षष्ठी/सप्तमी तिथि है।
आज आर्द्रा/ पुनर्वसु नक्षत्र, “आनन्द” नाम संवत् 2078 है
( उक्त जानकारी उज्जैन के पञ्चाङ्गों के अनुसार है)
कल गुरुवार को गुरु पुष्य नक्षत्र महायोग है।
कल गुरुवार को सर्वार्थ सिद्धि, अमृत सिद्धि तथा रवि योग है।
कल गुरुवार को अहोई अष्टमी व्रत भी है।
धनतेरस के दिन प्रदोष काल में यमराज के लिए दीप और नैवेद्य समर्पित करना चाहिए। इससे अकाल मृत्यु नहीं होती है।
धनतेरस के दिन यमराज के लिए दीप दान घर के दरवाजे के बाहर करना चाहिए।
दीपदान करते समय निम्न मन्त्र बोलना चाहिए-
मृत्युना पाशदण्डाभ्यां कालेन च मया सह।
त्रयोदश्यां दीपदानात् सूर्यज: प्रियतामिति।।
अर्थात् – त्रयोदशी को दीप दान करने से मृत्यु, पाश, दण्ड, काल और लक्ष्मी के साथ सूर्यनन्दन यम प्रसन्न हों।
दीपावली के पहले दिन रूप चतुर्दशी को तेल मात्र में लक्ष्मी और जल मात्र में गङ्गा निवास करती हैं। (स्कन्द पुराण)
रूप चतुर्दशी को तड़के चन्द्रोदय से पूर्व अभ्यंग स्नान करना चाहिए। इस दिन अपामार्ग (चिच्चिड़ा) को पानी में डालकर स्नान करना चाहिए।
भीगे वस्त्र से ही मृत्यु के पुत्ररूप काले और चितकबरे रंग के दो श्वान के निमित्त दीप दान करना चाहिए।
यह दोनों श्वान यमराज के सेवक तथा परस्पर भाई हैं।
इसके बाद पुनः स्नान करना चाहिए। फिर यम को उनके 14 नामों का उच्चारण करते हुए तर्पण करना चाहिए।










