मध्यप्रदेश में विधायकों की सैलरी बढ़ाने की तैयारी, भत्तों और पेंशन में भी बढ़ोतरी के आसार

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By Pinal PatidarPublished On: November 5, 2025

मध्यप्रदेश में विधायकों और मंत्रियों की सैलरी, भत्तों और पेंशन को लेकर बड़ी पहल शुरू हो गई है। राज्य सरकार अब अपने माननीयों की “बल्ले-बल्ले” करने जा रही है। वित्त मंत्री जगदीश देवड़ा की अध्यक्षता में गठित समिति इस दिशा में काम कर रही है और इसकी पहली अहम बैठक 11 नवंबर को होने वाली है। इस बैठक में अन्य राज्यों खासकर छत्तीसगढ़—के विधायकों को मिलने वाली सुविधाओं का तुलनात्मक अध्ययन पेश किया जाएगा, जिसके आधार पर एमपी में वेतन और भत्तों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव तैयार किया जाएगा।

वर्तमान में एमपी के विधायकों को मिलते हैं 1.75 लाख रुपये प्रतिमाह



फिलहाल मध्यप्रदेश के विधायकों को लगभग 1 लाख 75 हजार रुपये प्रति माह का भुगतान किया जाता है। इस राशि में बेसिक वेतन के साथ निर्वाचन क्षेत्र भत्ता, चिकित्सा भत्ता, यात्रा और अन्य खर्चे शामिल हैं। लेकिन अब सरकार का इरादा इस पूरे पैकेज को संशोधित करने का है ताकि यह पड़ोसी राज्यों के समान हो सके। बताया जा रहा है कि छत्तीसगढ़, राजस्थान और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में विधायकों को इससे बेहतर आर्थिक सुविधाएं मिल रही हैं।

समिति की सिफारिशों के बाद आएगा नया वेतन-भत्ता संशोधन विधेयक

वित्त मंत्री की अध्यक्षता में बनी यह समिति राज्य के मौजूदा वित्तीय ढांचे और अन्य राज्यों के मॉडल का अध्ययन कर रही है। उम्मीद की जा रही है कि इसकी सिफारिशों के आधार पर सरकार ‘मंत्री और विधायक वेतन-भत्ता संशोधन विधेयक’ को आगामी शीतकालीन सत्र में विधानसभा में पेश करेगी। यह सत्र 1 दिसंबर से शुरू होने जा रहा है। यदि प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है, तो दिसंबर के अंत तक विधायकों की सैलरी में उल्लेखनीय बढ़ोतरी संभव है।

पूर्व विधायकों की पेंशन और सुविधाओं में भी बढ़ोतरी की संभावना

यह प्रस्ताव केवल वर्तमान विधायकों तक सीमित नहीं रहेगा। सरकार पूर्व विधायकों की पेंशन, यात्रा भत्ता और चिकित्सा सुविधाओं को भी संशोधित करने पर विचार कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, कई बार पूर्व विधायक पेंशन बढ़ाने की मांग उठा चुके हैं, जिसे अब गंभीरता से लिया गया है। समिति इन पहलुओं को भी रिपोर्ट में शामिल करेगी ताकि सभी श्रेणियों के जनप्रतिनिधियों को इसका लाभ मिल सके।

काफी समय से चल रही थी मांग, अब सरकार दिखा रही है रुचि

विधायकों के वेतन और भत्तों में बढ़ोतरी की मांग काफी लंबे समय से चर्चा में है। पहले सरकार इस पर टालमटोल कर रही थी, लेकिन अब स्थिति बदलती नजर आ रही है। विधानसभा सत्रों के दौरान कई विधायकों ने खुले तौर पर वेतन वृद्धि की आवश्यकता बताई थी, खासकर तब जब सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के भत्तों में लगातार बढ़ोतरी हुई है। इस बार सरकार इसे लेकर गंभीर रुख में दिख रही है और इसे “विधानसभा सत्र में प्राथमिक एजेंडा” के तौर पर शामिल करने की तैयारी में है।

छत्तीसगढ़ मॉडल को माना जा रहा है आधार

सूत्रों के अनुसार, एमपी सरकार छत्तीसगढ़ के मॉडल को आधार मानकर संशोधन तैयार कर रही है। वहां के विधायकों को वेतन के अलावा अधिवेशन भत्ता, आवास और यात्रा के लिए विशेष राशि दी जाती है। इस तरह के पैकेज को मध्यप्रदेश में भी लागू करने की संभावना जताई जा रही है, ताकि दोनों राज्यों के विधायकों को बराबर सुविधा मिल सके।

वेतन वृद्धि से बढ़ेगा आर्थिक बोझ, लेकिन सरकार इसे ‘सम्मान का विषय’ मान रही है

हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह प्रस्ताव लागू होता है, तो इससे राज्य के खजाने पर अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा। लेकिन सरकार का तर्क है कि जनप्रतिनिधियों का सम्मान और कामकाज की सुगमता राज्य की लोकतांत्रिक व्यवस्था का हिस्सा है। इसलिए यह निर्णय आर्थिक नहीं बल्कि “गरिमा और ज़िम्मेदारी” से जुड़ा कदम माना जा रहा है।