इंडियन सोसाइटी ऑफ नेफ्रोलॉजी, वेस्ट ज़ोन चैप्टर (ISNWZ) एनुअल साइंटिफिक कॉन्फ्रेंस का पहला दिन 12 सितम्बर 2025 को मैरियट होटल इंदौर में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। पहले दिन का मुख्य फोकस किडनी ट्रांसप्लांटेशन से जुड़ी इम्यूनोलॉजी और एथिकल पहलुओं पर रहा।
दिन की शुरुआत इम्यूनोलॉजी वर्कशॉप से हुई, जिसमें ट्रांसप्लांट इम्यूनोलॉजी की बेसिक समझ, क्रॉस मैचिंग, HLA टाइपिंग, HLA एंटीबॉडीज़ और एप्लेट्स के उपयोग जैसे विषयों पर गहन चर्चा हुई। विशेषज्ञों ने बताया कि किस प्रकार अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग कर ट्रांसप्लांट को और सुरक्षित एवं प्रभावी बनाया जा सकता है।
शाम के सत्रों में ट्रांसप्लांट एथिक्स और डीसीज़्ड डोनर ट्रांसप्लांट पर विशेष ध्यान दिया गया। इसमें ट्रांसप्लांटेशन में एथिकल और लीगल इश्यूज़, NOTTO नियमों में संशोधन, कार्डियक डेथ के बाद अंगदान, मशीन परफ्यूजन और स्वैप ट्रांसप्लांट जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई।
गुजरात से आए डॉ. मोहन मनोहर राजापुरकर ने कहा, “बिना ज़रूरत के ब्लड प्रेशर और डायबिटीज़ की दवाइयों का सेवन बहुत हद तक किडनी रोगों को बढ़ा रहा है। अपडेट रहना और सही जानकारी पाना बेहद ज़रूरी है। जब हम सभी डॉक्टर एकत्रित होते हैं तो अनुभव और ज्ञान साझा करते हैं, जिससे न केवल चिकित्सकों को बल्कि रोगियों को भी सीधा लाभ मिलता है। अत्यधिक प्रोटीन और फैट युक्त भोजन, सप्लीमेंट्स किडनी को नुकसान पहुँचा रहे हैं। हमारे शरीर को केवल 0.8 ग्राम प्रोटीन प्रति किलो बॉडी वेट की आवश्यकता होती है, इससे अधिक प्रोटीन किडनी को हानि पहुँचाता है।”
डॉ. आर. ए. सिरसाट ने पहले दिन की जानकारी देते हुए कहा, “सम्मेलन के पहले दिन किडनी ट्रांसप्लांट पर विस्तृत चर्चा हुई। इसमें ट्रांसप्लांट के बाद बरती जाने वाली सावधानियों और नई तकनीकों पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया। ज्ञान और विशेषज्ञता का यह आदान-प्रदान सभी को अपडेट कर रहा है।”
मुंबई से आए डॉ. एलन अल्मेडा ने बताया,“आज भी किडनी ट्रांसप्लांट के लिए कई मरीज इंतज़ार कर रहे हैं। केवल 5% ट्रांसप्लांट कैडेवर (मृत व्यक्तियों) से हो रहे हैं, जबकि 95% लाइव डोनर्स से किए जा रहे हैं। हमें ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को अंगदान के लिए जागरूक करना होगा। एक मृत व्यक्ति छह लोगों को नया जीवन दे सकता है। यह हमारी सामूहिक ज़िम्मेदारी है कि हम अंगदान को बढ़ावा दें।”
पुणे से आए डॉ. श्री नारायण आचार्य ने कहा, “किडनी ट्रांसप्लांट में किन-किन सावधानियों की ज़रूरत होती है, इस पर विस्तृत चर्चा हुई। अब समाज में जागरूकता बढ़ रही है और लोग किडनी दान के लिए आगे आ रहे हैं। सही खानपान के बावजूद दवाइयों के कारण किडनी की समस्याएं बढ़ रही हैं। इसके अलावा पर्याप्त पानी न पीना, पथरी, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज़ जैसी बीमारियाँ और बोरवेल सहित अन्य स्रोतों का हार्ड व गंदा पानी भी किडनी रोगों को जन्म देता है। साथ ही, किडनी की बीमारियाँ कई बार आनुवंशिक भी होती हैं।”
नाडियाड से आए वेस्ट ज़ोन के सेक्रेटरी डॉ. उमापति नरसिंहा हेगड़े ने कहा, “इस सम्मेलन में 300 से अधिक प्रतिनिधि शामिल हुए हैं। हम लोगों को शिक्षित करने के लिए एकत्र होते हैं और यह मंच अनुसंधान और नवाचार को प्रदर्शित करने का भी बेहतरीन अवसर प्रदान करता है। विदेशी विशेषज्ञ भी ऑनलाइन जुड़कर मार्गदर्शन कर रहे हैं। हम लोगों से कहना चाहेंगे कि अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें, पर्याप्त पानी पिएं, बेहतर जीवनशैली चुनें और समय-समय पर जांच कराते रहें। समय पर निदान ही सबसे महत्वपूर्ण है। याद रखिए—‘Health is Wealth’।’’
ऑर्गनाइजिंग चेयरमैन डॉ. प्रदीप सालगिया ने कहा, “आईएसएन डब्ल्यूजेड-2025 का पहला दिन बेहद उपयोगी और ज्ञानवर्धक रहा। वर्कशॉप और सेशंस ने डॉक्टरों को नई तकनीक और व्यावहारिक अनुभवों से अपडेट किया।”
ऑर्गनाइजिंग सेक्रेटरी डॉ. राजेश भराणी ने कहा, “पहले दिन हुई चर्चाओं से यह स्पष्ट हुआ कि किडनी ट्रांसप्लांटेशन में इम्यूनोलॉजी और एथिकल पहलू कितने अहम हैं। आने वाले दो दिनों में और भी नई रिसर्च और उपचार तकनीकों पर चर्चा होगी।”