मध्यप्रदेश में इस बार समर्थन मूल्य पर की गई मूंग खरीदी की जांच में कई जिलों में गड़बड़ी सामने आई है। गुणवत्ता मानकों पर खरीदी गई मूंग अमानक पाई जाने के कारण प्रदेशभर के करीब 33 हज़ार किसानों का लगभग 800 करोड़ रुपये का भुगतान अटक गया है। दो सप्ताह पहले ही खरीदी प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, लेकिन अब किसानों को पेमेंट का इंतज़ार करना पड़ रहा है।
तय लक्ष्य से दोगुनी खरीदी, पर जांच में गड़बड़ी
इस साल केंद्र सरकार ने मध्यप्रदेश को 3.51 लाख मीट्रिक टन मूंग खरीदी का लक्ष्य दिया था। लेकिन प्रदेश सरकार ने किसानों की परेशानी को देखते हुए इस लक्ष्य से कहीं अधिक यानी 7.65 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा मूंग की खरीदी कर ली। इतनी बड़ी मात्रा में खरीदी होने के बावजूद गुणवत्ता जांच में कई जिलों से चौंकाने वाली रिपोर्ट सामने आई है, जिससे किसानों का पैसा अटक गया है।
कई जिलों की मूंग अमानक
गुणवत्ता परीक्षण में नर्मदापुरम, जबलपुर, सागर और रायसेन जिलों के स्टॉक में खरीदी गई मूंग मानकों पर खरी नहीं उतरी। सरकारी नियमों के मुताबिक मूंग में एफएक्यू (Fair Average Quality) मानक अनिवार्य होता है, लेकिन जांच में पाया गया कि कई किसानों का अनाज इस पैमाने पर खरा नहीं उतरा। इसके चलते अनुमान है कि करीब 200 से 250 करोड़ रुपये का भुगतान सीधे तौर पर अटक सकता है।
भुगतान रोकने का नियम और असर
नियम यह है कि यदि किसी एक स्टॉक में एक किसान की मूंग भी अमानक निकलती है, तो पूरा स्टॉक रिजेक्ट कर दिया जाता है। इसी वजह से जिन स्टॉक में गुणवत्ता संबंधी समस्या सामने आई है, उनका पेमेंट रोक दिया गया है। हालांकि, जिन स्टॉक में कोई गड़बड़ी नहीं मिली, उनके किसानों को चरणबद्ध तरीके से रोज़ाना लगभग 100 करोड़ रुपये का भुगतान जारी किया जा रहा है।
वेयरहाउस कॉर्पोरेशन कर रहा जांच
प्रदेश के वेयरहाउस कॉर्पोरेशन की टीम इन दिनों खरीदी गई मूंग की गुणवत्ता की बारीकी से जांच कर रही है। जहां कोई खामी नहीं है वहां धीरे-धीरे भुगतान हो रहा है, लेकिन जिन किसानों का माल अमानक पाया गया है, वे फिलहाल इंतजार की स्थिति में हैं। किसानों की सबसे बड़ी चिंता यही है कि लंबा खिंचने पर उनकी मेहनत की कमाई कहीं पूरी तरह से अटक न जाए।