एमपी के विंध्याचल को मिलेगी नई नगर पालिका की सौगात, चार पंचायतों के विलय से बदलेगा क्षेत्र का नक्शा

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By Raj RathorePublished On: August 27, 2025

विंध्याचल क्षेत्र के सतना जिले का प्रमुख तीर्थस्थल चित्रकूट अब नगर परिषद से नगर पालिका बनने की दिशा में बढ़ सकता है। नगर परिषद प्रशासन ने मौजूदा हालातों को देखते हुए राज्य शासन को नगर पालिका का दर्जा देने का प्रस्ताव भेजा है। दरअसल, यहां की बढ़ती आबादी और प्रतिदिन उमड़ने वाली अस्थायी भीड़ के कारण नगर परिषद की व्यवस्थाएं अब पर्याप्त नहीं रह गई हैं।


क्यों पड़ी नगर पालिका की जरूरत

चित्रकूट लगातार विकास और विस्तार की ओर बढ़ रहा है। यहां हर दिन देश-विदेश से हजारों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं, जिनकी वजह से लगभग 15 से 20 हजार लोगों की अस्थायी जनसंख्या रोजाना जुड़ जाती है। अगर स्थायी और अस्थायी आबादी को मिलाकर देखा जाए तो नगर परिषद को रोज़ाना 50 हजार से ज्यादा लोगों के लिए सफाई, पानी, बिजली, यातायात और धार्मिक स्थलों की सुविधाएं मुहैया करानी पड़ती हैं। नगर परिषद का ढांचा इस बड़ी जिम्मेदारी को संभालने में अब सक्षम नहीं रह गया है, इसलिए नगर पालिका बनाने की मांग तेज हुई है।

अधिनियम के अनुसार तर्क

नगर पालिका अधिनियम 1961 में यह स्पष्ट प्रावधान है कि जब किसी शहरी क्षेत्र की जनसंख्या 50 हजार तक पहुंच जाए तो उसे नगर पालिका घोषित किया जा सकता है। चित्रकूट की मौजूदा स्थायी आबादी भले ही 30 से 40 हजार के आसपास है, लेकिन तीर्थस्थल होने की वजह से यहां प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु आते हैं। इस लिहाज से नगर परिषद को 50 हजार से भी ज्यादा लोगों की सुविधाएं उपलब्ध करानी होती हैं। इसके अलावा, चित्रकूट का क्षेत्रफल करीब 82 वर्ग किलोमीटर है, जो कई नगर पालिकाओं से कहीं अधिक है। यही कारण है कि प्रशासनिक स्तर पर इसे नगर पालिका बनाने का प्रस्ताव तैयार हुआ है।

स्वच्छता और अन्य चुनौतियां

चित्रकूट में स्वच्छता की स्थिति और बुनियादी व्यवस्थाओं को सुधारने के लिए बड़ी संख्या में कर्मचारियों की जरूरत है। लेकिन नगर परिषद के पास इतने संसाधन और पद स्वीकृत नहीं हैं, जिसके कारण सफाई, पेयजल और यातायात नियंत्रण जैसी बुनियादी सेवाओं में कमी आ रही है। इसके अलावा, आसपास की कई ग्राम पंचायतें तेजी से शहरीकरण की ओर बढ़ रही हैं, लेकिन अभी तक वे ग्रामीण निकाय के रूप में ही कार्यरत हैं। इन परिस्थितियों में नगर परिषद के पास पर्याप्त संसाधन नहीं हैं, इसलिए नगर पालिका बनाना ही एकमात्र समाधान माना जा रहा है।

चार पंचायतें होंगी शामिल

नगर पालिका बनाने के प्रस्ताव में आसपास की पालदेव, हरदुआ और टेढ़ी सेजवार जैसी ग्राम पंचायतों को भी शामिल करने का सुझाव दिया गया है। ये क्षेत्र पहले से ही शहरी स्वरूप ले रहे हैं और चित्रकूट नगर से लगे हुए हैं। इन्हें नगर पालिका में शामिल करने से प्रशासनिक क्षेत्रफल और जनसंख्या दोनों बढ़ेंगे और योजनाओं का लाभ व्यापक स्तर पर मिल सकेगा।

नगर पालिका बनने के फायदे

यदि चित्रकूट को नगर पालिका घोषित किया जाता है तो यहां की कार्मिक संरचना (स्टाफ स्ट्रेंथ) बदल जाएगी। अधिक संख्या में अधिकारी और कर्मचारी नियुक्त किए जा सकेंगे, जिससे शहर की व्यवस्थाओं की निगरानी और रखरखाव अधिक प्रभावी तरीके से हो पाएगा। नगर पालिका बनने पर शासन से मिलने वाली आर्थिक सहायता भी बढ़ेगी, जिसके चलते स्वच्छता अभियान, पेयजल आपूर्ति, धार्मिक स्थलों का रखरखाव और अन्य विकास कार्य गति पकड़ेंगे।

चित्रकूट धार्मिक और पर्यटन दोनों ही दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण स्थान रखता है। नगर पालिका का दर्जा मिलने से यहां न केवल स्थानीय निवासियों को बल्कि दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं और पर्यटकों को भी बेहतर सुविधाएं उपलब्ध होंगी। इससे शहर का स्वरूप बदलेगा और धार्मिक नगरी की पहचान और मजबूत होगी।