केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) ने इस साल से बोर्ड परीक्षाओं का शुल्क बढ़ाने का फैसला लिया है। अब दसवीं और बारहवीं के विद्यार्थियों को प्रति विषय 20 रुपए अतिरिक्त देना होंगे। यह बदलाव सीबीएसई से मंजूरी मिलने के बाद लागू कर दिया गया है। इस बढ़ोतरी का सीधा असर भोपाल के लगभग दस हजार विद्यार्थियों पर पड़ेगा, जबकि पूरे मध्यप्रदेश में करीब एक लाख बच्चों को इसकी मार झेलनी पड़ेगी।
बढ़ा शुल्क कितना होगा
अब तक छात्रों को किसी एक थ्योरी विषय के लिए 300 रुपए शुल्क देना होता था, लेकिन नई व्यवस्था में यह शुल्क 320 रुपए कर दिया गया है। इसी तरह, यदि विद्यार्थी पांच विषयों के साथ परीक्षा देता है, तो उसे अब 1600 रुपए देने होंगे, जबकि पहले यह राशि 1500 थी। बारहवीं कक्षा के छात्रों के लिए प्रैक्टिकल परीक्षाओं में भी शुल्क बढ़ा है। पहले जहाँ प्रति विषय 35 रुपए देना होता था, अब इसके लिए 45 रुपए चुकाने होंगे। यानी कि थ्योरी के साथ-साथ प्रैक्टिकल में भी छात्रों को थोड़ा ज्यादा भुगतान करना होगा।
कितनी बढ़ोतरी हुई
यह फीस वृद्धि भारत में चल रहे सीबीएसई स्कूलों के लिए औसतन 6.66 प्रतिशत की है। वहीं विदेशों में चल रहे सीबीएसई स्कूलों में परीक्षा शुल्क में 10 प्रतिशत तक बढ़ोतरी की गई है। सीबीएसई का कहना है कि यह फैसला परीक्षा आयोजन की लागत और अन्य तकनीकी प्रक्रियाओं को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। गौरतलब है कि इससे पहले 2020 में पंजीकरण और परीक्षा शुल्क में बदलाव किया गया था। लगभग पांच साल बाद फीस बढ़ाई गई है।
अपार आईडी होगी अनिवार्य
फीस बढ़ोतरी के साथ ही बोर्ड ने परीक्षा और नामांकन प्रक्रिया में अपार (APAAR) आईडी को अनिवार्य कर दिया है। अब नौंवी और ग्यारहवीं के विद्यार्थियों का नामांकन इसी आईडी से होगा और बोर्ड परीक्षाओं में भी इसका इस्तेमाल जरूरी रहेगा। आने वाले समय में यह आईडी विद्यार्थियों के अन्य शैक्षणिक दस्तावेजों पर भी दर्ज की जाएगी। इसका मुख्य उद्देश्य हर छात्र की एकसमान पहचान सुनिश्चित करना और रिकॉर्ड को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर जोड़ना है।
असर
विशेषज्ञों का मानना है कि परीक्षा शुल्क में यह वृद्धि छात्रों और अभिभावकों के लिए अतिरिक्त बोझ साबित हो सकती है, खासकर उन परिवारों के लिए जिनके दो या तीन बच्चे सीबीएसई में पढ़ रहे हैं। हालांकि बोर्ड का तर्क है कि शुल्क में बढ़ोतरी बहुत मामूली है और इसे परीक्षा की गुणवत्ता और डिजिटलीकरण की नई सुविधाओं के लिए जरूरी समझा गया है।