भोपाल गैस पीड़ितों की लड़ाई में आया नया पड़ाव, 22 सितंबर को होगी अगली सुनवाई

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By Abhishek SinghPublished On: August 13, 2025

भोपाल गैस त्रासदी के पीड़ितों के मुआवजे के मामले में हाईकोर्ट में 22 सितंबर को सुनवाई निर्धारित है। इस संबंध में गैस पीड़ितों के संगठनों ने याचिका दायर की थी, जिसके बाद केंद्र और राज्य सरकार को नोटिस जारी किए गए हैं। नोटिस जारी होने से पीड़ितों में पर्याप्त मुआवजा मिलने की आशा बढ़ी है।

यह जानकारी बुधवार को भोपाल में गैस पीड़ितों के चार संगठनों के पदाधिकारियों ने साझा की। उनका कहना है कि हाईकोर्ट में दायर उनकी जनहित याचिका, उन पीड़ितों को उचित मुआवजा दिलाने में सहायक होगी, जिनकी चोटों को पहले गलत श्रेणी में रखा गया था। हाईकोर्ट ने राज्य और केंद्र सरकार को 22 सितंबर को होने वाली अगली सुनवाई तक अपना जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।

जनसमर्थन जुटाने को विशेष अभियान

भोपाल गैस पीड़ित निराश्रित पेंशनभोगी संघर्ष मोर्चा के अध्यक्ष बालकृष्ण नामदेव ने बताया कि हम जागरूकता फैलाने के साथ-साथ अन्य पीड़ितों के मामलों में भी हादसे से हुई चोटों के ऐसे ही गलत वर्गीकरण को उजागर और दर्ज कराने के लिए एक अभियान शुरू करने जा रहे हैं।

भोपाल गैस त्रासदी में अन्याय का दायरा इतना व्यापक है कि जब तक पीड़ित समुदायों के स्वयंसेवक स्वयं आगे बढ़कर पहल नहीं करेंगे, तब तक एक सशक्त मामला तैयार करना संभव नहीं होगा।

भोपाल ग्रुप फॉर इन्फॉर्मेशन एंड एक्शन की रचना ढींगरा ने युवाओं से इस अभियान में जुड़ने की अपील करते हुए कहा कि वर्तमान समय में हमें ऐसे आदर्शवादी युवाओं की आवश्यकता है, जो गैस त्रासदी से हुई चोटों के गलत वर्गीकरण के ठोस प्रमाण एकत्र कर सकें। इस उद्देश्य के लिए हम जल्द ही एक वेबसाइट और मोबाइल ऐप तैयार करेंगे तथा समुदाय के स्वयंसेवकों को निःशुल्क प्रशिक्षण प्रदान करेंगे।

गलत वर्गीकरण से 90% प्रभावितों को नुकसान

प्रमुख याचिकाकर्ता संगठन भोपाल गैस पीड़ित महिला पुरुष संघर्ष मोर्चा की सदस्य नसरीन खान ने बताया कि हमारी याचिका में प्रस्तुत आधिकारिक आंकड़ों से यह स्पष्ट हुआ है कि कैंसर के लिए अनुग्रह राशि पाने वाले 90% पीड़ितों को आपदा से हुई केवल मामूली या अस्थायी चोट के रूप में दर्ज किया गया था।

क्रोनिक किडनी रोग से पीड़ित 95% लाभार्थियों के मामले में भी चोटों का गलत वर्गीकरण किया गया। हम न्यायालय से आग्रह करते हैं कि भारत सरकार को निर्देशित किया जाए कि इन पीड़ितों की चोटों को स्थायी एवं गंभीर श्रेणी में रखा जाए और प्रत्येक को 5 लाख रुपये का मुआवजा प्रदान किया जाए।

भोपाल गैस पीड़ित महिला स्टेशनरी कर्मचारी संघ की अध्यक्ष रशीदा बी ने कहा कि कैंसर और गंभीर किडनी रोग से ग्रस्त पीड़ितों के साथ किया गया अन्याय, मुआवजे के मामले में भोपाल गैस पीड़ितों के साथ हुई नाइंसाफी का सबसे स्पष्ट और सीधा उदाहरण है।

यूनियन कार्बाइड के अपने दस्तावेजों में स्वीकार किया गया है कि भोपाल में रिसी मिथाइल आइसोसाइनेट गैस के संपर्क से स्थायी चोटें होती हैं, फिर भी 95% भोपाल गैस पीड़ितों को केवल अस्थायी रूप से घायल के रूप में वर्गीकृत किया गया।