MP Electricity Bill: सितंबर तक बिजली बिल में तीन चरणों में जोड़ी जाएगी सिक्योरिटी डिपॉजिट, पूरी वसूली प्रक्रिया जानें

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By Raj RathorePublished On: August 13, 2025

मध्यप्रदेश में बिजली उपभोक्ताओं की जेब पर जल्द ही अतिरिक्त बोझ पड़ने वाला है, क्योंकि राज्य की बिजली वितरण कंपनियां सितंबर तक सिक्योरिटी डिपॉजिट (SD) की वसूली तीन बराबर किस्तों में करेंगी। यह राशि हर महीने के बिजली बिल के साथ जोड़ी जाएगी, जिससे बिल की कुल रकम पहले से ज्यादा होगी। यह प्रक्रिया बिजली कंपनियां हर साल अपनाती हैं, और इसमें तीन महीने—जुलाई, अगस्त और सितंबर—को तय किस्त वसूली अवधि के रूप में रखा जाता है।

सिक्योरिटी डिपॉजिट वसूली की प्रक्रिया

सिक्योरिटी डिपॉजिट बिजली वितरण कंपनियों द्वारा हर वर्ष निर्धारित नियमों के तहत वसूला जाता है। इसका उद्देश्य उपभोक्ताओं से अग्रिम सुरक्षा राशि लेना है, ताकि भविष्य में किसी कारण से बिल भुगतान में देरी या बकाया की स्थिति में कंपनी इस जमा रकम को समायोजित कर सके। वसूली की यह प्रक्रिया साल में एक बार होती है और इसे जुलाई, अगस्त और सितंबर के बिजली बिलों में किस्तों के रूप में शामिल किया जाता है।

पहले से जमा राशि का समायोजन

जिन उपभोक्ताओं ने पहले से सिक्योरिटी डिपॉजिट की पूरी राशि जमा कर रखी है, उनके लिए यह अतिरिक्त भार कम होगा। ऐसे मामलों में बिजली कंपनी पहले से जमा राशि को मौजूदा साल की जरूरत के हिसाब से समायोजित करती है। कमी होने पर ही अतिरिक्त राशि जोड़ी जाती है, और यह भी तीन समान किस्तों में बांटकर बिल में शामिल की जाती है।

बकायादार उपभोक्ताओं से अलग वसूली

लंबे समय से बिल न भरने वाले उपभोक्ताओं के लिए सिक्योरिटी डिपॉजिट की राशि सामान्य उपभोक्ताओं से अधिक होती है। उदाहरण के तौर पर, अगर किसी उपभोक्ता ने एक साल में चार महीने तक बिजली बिल नहीं चुकाया है, तो कंपनी उससे दो महीने की अधिकतम खपत के बराबर राशि अतिरिक्त रूप से तीन किस्तों में वसूलेगी। इसका मकसद कंपनी की वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित करना और समय पर भुगतान के लिए दबाव बनाना है।

सुरक्षा निधि की गणना का तरीका

बिजली कंपनी हर उपभोक्ता की सालभर की अधिकतम बिजली खपत का रिकॉर्ड तैयार करती है। इसके आधार पर डेढ़ महीने की औसत खपत की राशि को सिक्योरिटी डिपॉजिट के रूप में तय किया जाता है। यही तय की गई रकम तीन महीनों में किस्तों के रूप में बिल में जोड़ी जाती है।

बिल में कैसे पहचानें एसडी वसूली

जब सिक्योरिटी डिपॉजिट की राशि बिल में शामिल होती है, तो इसे स्पष्ट रूप से “SD Installment” के रूप में लिखा जाता है। बिल के अलग हिस्से में यह उल्लेख किया जाता है ताकि उपभोक्ता जान सके कि यह सामान्य खपत का हिस्सा नहीं, बल्कि सुरक्षा जमा की किस्त है।

राशि वसूली का कारण

सिक्योरिटी डिपॉजिट उपभोक्ताओं से ली जाने वाली एक तरह की अमानत राशि होती है। यह बिजली कंपनी के पास सुरक्षित रहती है और जरूरत पड़ने पर—जैसे कि बिल भुगतान में डिफॉल्ट या बिजली कनेक्शन बंद कराने पर—इसे बकाया समायोजन के लिए इस्तेमाल किया जाता है। इससे कंपनी को वित्तीय नुकसान से बचाव होता है और बिजली सप्लाई में स्थिरता बनी रहती है।

एसडी (सिक्योरिटी डिपॉजिट) की गणना का तरीका

बिजली कंपनी उपभोक्ता की मासिक अधिकतम खपत के आधार पर सुरक्षा निधि तय करती है। उदाहरण के तौर पर, यदि किसी कनेक्शन की अधिकतम खपत 300 यूनिट प्रति माह है, तो इसका डेढ़ महीने का उपभोग 450 यूनिट होगा।

सिक्योरिटी डिपॉजिट राशि तय करना

इन 450 यूनिट के हिसाब से बिजली की दरों के अनुसार सिक्योरिटी डिपॉजिट ₹3,150 तय किया गया। यह राशि उपभोक्ता से सुरक्षा निधि के रूप में ली जाती है, जिसे भविष्य में आवश्यकता पड़ने पर बिजली कंपनी समायोजित कर सकती है।

किस्तों में वसूली की प्रक्रिया

कुल ₹3,150 की राशि को तीन समान किस्तों में बांटा जाता है। इस प्रकार, हर महीने उपभोक्ता के बिजली बिल में ₹1,050 अतिरिक्त जुड़कर आएगा, जब तक कि पूरी सिक्योरिटी डिपॉजिट राशि वसूल न हो जाए।