जिन मुद्दों को लेकर भाजपा सत्ता में आई, उन पर ही घेर रही कांग्रेस

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दिनेश निगम ‘त्यागी’

अब तक न एक लोकसभा और तीन विधानसभा सीटों के लिए उप चुनाव की घोषणा हुई और न ही विधानसभा के आम चुनाव नजदीक हैं, लेकिन चुनावी मुद्दों को लेकर तस्वीर साफ होने लगी है। 2003 के विधानसभा चुनाव में जिन मुद्दों पर कांग्रेस को घेरकर भाजपा सत्ता में आई थी, कांग्रेस अब उन्हें लेकर ही सरकार को घेर रही है। ये हैं, खस्ताहाल सड़कें, बिजली कटौती और बढ़े बिजली के बिल एवं महंगाई। इन मुद्दों को लेकर कांग्रेस आक्रामक है और भाजपा के कई विधायक भी सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट करा रहे हैं। परेशान भाजपा जनता को कांग्रेस के दिग्विजय शासन की याद ताजा करने की कोशिश कर रही है। तर्क दिया जा रहा है कि तब जैसी स्थिति अब नहीं है।

बारिश से खराब सड़कें बन रहीं मुद्दा-

भाजपा शासनकाल में संभवत: पहली बार बारिश से जिस तरह सड़कों की हालत खस्ता हुई है, ऐसी स्थिति पहले कभी नहीं रही। प्रदेश में दूरदराज के अंचलों को छोड़िए, राजधानी और बड़े शहरों की सड़कें ही चलने लायक नहीं है। मुख्यमंत्री की फटकार के बाद भी सड़कों की मरम्मत नहीं हुई। भाजपा विधायक अजय विश्नोई तंज कस चुके हैं कि मुख्यमंत्री ने भोपाल की सड़को पर ध्यान दिया है, उम्मीद है कि प्रदेश की सड़कों पर भी अपनी नजरें इनायत करेंगे। कांग्रेस को तो बिन मांगे मुराद मिल गई है। वह खस्ताहाल सड़कों को लेकर सरकार के खिलाफ आक्रामक है। ग्वालियर-चंबल अचंल में आई बाढ़ से पुल, पुलियां बह गए हैं। इससे घटिया निर्माण की कलई खुल गई है। लोग परेशान हैं।

बिजली कटौती और बिलों से लोग परेशान-

दूसरा मुद्दा बिजली का है, जिसे लेकर दिग्विजय सिंह की तत्कालीन सरकार कटघरे में थी और भाजपा को इसका फायदा मिला था। अब फिर प्रदेश में बिजली कटौती जारी है। कांग्रेस इसे मुद्दा बना ही रही है, भाजपा के अपने विधायक अजय विश्नोई, नारायण त्रिपाठी तथा राकेश गिरी तक सरकार को सचेत कर रहे हैं। केबिनेट की बैठक में भी इस पर लंबी चर्चा हुई। साफ है कि बिजली कटौती और लोगों को मिल रहे बढ़े बिलों को लेकर सरकार आलोचना के केंद्र में है। कांग्रेस इसे लेकर भी प्रदेश भर में भाजपा को घेर रही है।

पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस बन रहा राष्ट्रीय मुद्दा-

तीसरा प्रमुख मुद्दा है महंगाई। पेट्रोल-डीजल, रसोई गैस सहित अन्य जरूरी सामान की कीमतें आसमान छू रही हैं। भाजपा की केंद्रीय सरकार की ओर से ऐसा कोई संकेत नहीं हैं कि कीमतों की कमी की जाएगी। बढ़ती महंगाई से समाज का हर वर्ग त्रस्त है। कांग्रेस इसे लेकर आंदोलित है। प्रदेश भर में अलग-अलग तरह से आंदोलन के जरिए लोगों को जोड़ने की कोशिश हो रही है। कांग्रेस के मोर्चा संगठन अपने-अपने और अनोखे ढंग से महंगाई हो लेकर आंदोलन कर रहे हैं। इसके साथ निजीकरण भी कांग्रेस के मुद्दों में शामिल हो गया है। भाजपा को कांग्रेस की सक्रियता का अहसास है। लिहाजा, उसने भी जवाबी तैयारी शुरू कर दी है।

भाजपा प्रस्तुत कर रही तुलनात्मक आंकड़े-

भाजपा ने कांग्रेस को जवाब देने की तैयारी शुरू कर दी है। पार्टी ने लगभग एक साल के कार्यक्रम तय कर दिए हैं और सड़कों एवं बिजली के मुद्दों पर कांगे्रस शासनकाल से तुलनात्मक आंकड़े प्रस्तुत किए जाने लगे हैं। प्रदेश के मंत्री भूपेंद्र सिंह का कहना है कि खराब सड़कों को तत्काल सुधारा जा रहा है। बिजली के क्षेत्र में रिकॉर्ड उत्पादन हो रहा है। गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का कहना है कि शीघ्र ही बिजली की समस्या का समाधान हो जाएगा, कांग्रेस के समय हालात इतने खराब थे कि तब से अब की तुलना की ही नहीं जा सकती। पीडब्ल्यूडी मंत्री गोपाल भार्गव ने कहा कि कांग्रेस सरकार की तुलना में प्रदेश के स्टेट हाईवे, नेशनल हाईवे और एमडीआर रोड बेहतर हालत में हैं। परफॉर्मेंस गारंटी वाली सड़कों के खराब होने पर उनके सुधारने का काम जारी है।

 भाजपा परंपरागत मुद्दों से भी दे रही जवाब-

बिजली, सड़क और महंगाई जैसे मुद्दों को लेकर घिर रही भाजपा अपने परंपरागत मुद्दों पर लौट आई है। प्रदेश में घट रही कुछ आपराधिक घटनाओं को पाकिस्तान, तालिबान और हिंदू-मुस्लिम के नजरिए से देखा जा रहा है। कार्रवाई भी इसी आधार पर की जा रही है और प्रचार भी। नतीजा यह हुआ है कि भाजपा की ओर से कांग्रेस के दिग्विजय सिंह जैसे नेता फिर पाकिस्तान परस्त ठहराए जाने लगे हैं और इसके जरिए भाजपा ने हिंदुओं को लामबंद करना शुरू कर दिया है। सरकार के मंत्री और पुलिस कई घटनाओं के तार पाकिस्तान और तालिबान से जुड़ा बताने लगे हैं। इससे लगने लगा है कि इस बार चुनाव की तैयारी लंबी चलने वाली है।