Indore News : प्लस हुआ गायब सब दूर वाटर ही वाटर

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नितेश पाल

Indore News : बुधवार रात 10 बजे के लगभग शुरू हुई बारिश रात 1.30 तक चली। ये 2021 की पहली झड़ी थी। लेकिन इस झड़ी ने शहर के तुगलकों के फैसलों (थोपे हुए) की कलई खोलकर रख दी। कल तक शहर में सीना तानकर हुकूमत करने वाले शहर के ये आका सो रहे थे तब इस शहर के हज़ारों बाशिंदे इनके हंटर के जोर पर लिए फैसलों के कारण रो रहे थे। बगेर शहर का भूगोल जाने ही शहर को केवल अपने नाम की हवस के लिए खोदकर रख देने वाले तुगलकों के कारण पूरे शहर में पानी ही पानी फैला था। शहर में हरसिध्दि-मोती तबेला चौराहे पर रात को अजीब नजारा था, पास में नदी बह रही थी और किनारे की सड़कों पर दो दो फिट पानी भरा था।

सड़क किनारे के घरों में रहने वाले अपने घरों में पानी भरने के डर से गेट पर खड़े होकर जुगाड़ लगा रहे थे। तो सड़क से गुजरने वाले गाड़ियों को पलटाकर सुरक्षित रास्ता तलाश रहे थे। लेकिन वो जिस रास्ते से जाने की कोशिश करते वहाँ सड़क पर तालाब बना हुआ था। कलालकुई मस्जिद से लेकर चंद्रभागा पुल के बीच का हिस्सा तालाब बना हुआ था। नगर निगम चौराहे पर रात को अजीब हालात थे। एक परिवार बाइक से जा रहा था लेकिन जैसे ही वो चौराहे पर पहुचा वैसे ही कान्हा नदी के किनारे कन्हैयालाल खड़ीवाला की मूर्ति के सामने बने चेम्बर से उफनते पानी के बीच गाड़ी का अगला पहिया पानी मे डूब गया घबराहट में गाड़ी का बैलेंस बिगड़ा ओर दोनो पानी मे गिर पड़े। जैसे तैसे गाड़ी उठाई लेकिन तब तक गाड़ी बन्द हो चुकी थी। उसमें पानी भरा गया था।

गिरने से घायल पति गाड़ी को उठाकर धकाने का प्रयास कर रहा था तो चोटिल होने के बावजूद उसकी पत्नी उसकी मदद कर पानी मे डूब रही गाड़ी को बाहर निकालनेमें मदद कर रही थी। राजबाड़ा जो इस शहर की आत्मा है वहाँ भी इन अफलातूनो की करामात के कारण जनता की सांस अटकी हुई थी। राजबाड़ा से गणेश केप मार्ट होते हुए कृष्णपुरा तक का महज कुछ मीटर का हिस्सा दो पहिया से गुजरने वालो के लिए वैतरणी बन गया था जिसके किनारों पर मौजूद झंडे वालो की दुकानों में दुकानदार जिनमे बुजुर्ग, युवा सहित बच्चे देर रात को ताला खोलकर अपना सामान समेटकर उसे बचाने की कोशिश कर रहे थे।

ये सब उस शहर के चुनिंदा क्षेत्रो की हालत है, जिस शहर के अफसरो ने जनता के टैक्स के करोड़ो रूपये बीते एक साल में अपनी सनक ओर प्रतिष्ठा पाने के नाम पर उड़ा दिए। हिसाब लगभग 200 करोड़ के आसपास का है। क्या ये अफसर अपने जेब से इसमें से 2 लाख भी इस तरह बगेर प्लानिंग के बर्बादी के नाम पर खर्च करने की हिम्मत रखते है। जनता के पैसों को खैरात समझकर क्रिकेट, फुटबाल, कुश्ती, जन्मदिन, शादी की सालगिरह मनाने के नाम पर उड़ाने पर इन अफसरो को जगह जगह शाबाशी मिल रही है और जनता को मिल रही है परेशानी।
इन अफसरो को मनमर्जी करने की छूट मिली है शहर के गूंगे, बेहरे, अंधे, लूले, लंगड़े हो चुके राजनेताओं के कारण। बाइक से गिरने वाली यदि इन नेताओं की बहन बेटी होती या गाड़ी चला रहा युवक इनका भाई, भतीजा, नाती पोता होता तब ये जरूर चिल्ला पड़ते।

लेकिन अभी तो हालत ये है कि अफसर इनके सामने इनके एक दो निजी कामो को करने की हड्डी डाल देते हैं और ये उनके सामने दुम हिलाते, चेहरे पर मुस्कुराहट लेकर फोटो खिंचवाते रहते हैं। जिस तरह से जानवर केवल अपने लिए ही लड़ता है वैसे ही हालात इनके है। इंसान से आज्ञाकारी पशु की श्रेणी में जा चुके इन नेताओं से शहर के भलाई के बारे में उम्मीद रखना ही शायद बेमानी होगा। शहर के डूबने का बड़ा कारण अपने नोकरो के आगे गुलाम बनकर खड़े रहने वाली शहर की जनता भी है। कभी सब के लिए लड़ने वालो की तासीर वाले इस शहर में कोई भी गलत को गलत बोलने से भी डरता है। इस शहर में शायद लोकतंत्र नही तालिबानी तंत्र है। जैसे तालिबान में केवल मुल्ला बोलता है और वो कानून होता है वैसे इस शहर के ये सिर चढ़े आकाओ के मोह से कुछ निकलता है और वो ही कानून और नजीर बन जाता है। ये शहर रीढदार इंसानों का कम ओर चारणभाटों का होकर रह गया है।