Sawan 2025: सावन का महीना हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र और शिव को समर्पित माना जाता है। यह केवल भक्ति और व्रत का समय नहीं बल्कि शुद्ध आचरण और संयम का अभ्यास करने का भी महीना है। हर साल जब सावन आता है, तो एक सवाल अक्सर चर्चा में रहता है। क्या सावन में नॉनवेज खाना पाप है?
शास्त्रों की दृष्टि से क्यों वर्जित है मांसाहार?
हिंदू धर्म के कई ग्रंथों और पुराणों में सावन के महीने में मांसाहार, शराब, तामसिक भोजन से दूर रहने की बात कही गई है। इसके पीछे मुख्य रूप से दो कारण हैं:

शिव भक्ति का समय
सावन मास भगवान शिव को समर्पित होता है। शिव को सात्त्विकता, वैराग्य, और संयम का प्रतीक माना गया है। इसलिए इस महीने में सात्त्विक जीवनशैली अपनाना, अहिंसा का पालन करना और तामसिक वृत्तियों से बचना आवश्यक माना गया है।
पुण्य और व्रत की भावना
सावन में लोग व्रत रखते हैं, पूजा करते हैं और भगवान शिव को प्रसन्न करने का प्रयास करते हैं। ऐसे में मांस, मछली या अंडा खाना व्रत और पूजा के विपरीत समझा जाता है। यह न केवल पाप के समान है, बल्कि पूजा के फल को भी क्षीण करता है।
स्कंद पुराण, लिंग पुराण, और अन्य धर्मशास्त्रों में भी यह कहा गया है कि जो व्यक्ति श्रावण मास में मांस का सेवन करता है, वह अपने पुण्य को स्वयं नष्ट करता है।
विज्ञान क्या कहता है?
सिर्फ धार्मिक कारण ही नहीं, वैज्ञानिक आधार पर भी सावन में नॉनवेज से परहेज करने की सलाह दी जाती है:
मानसून और पाचन तंत्र
सावन का महीना मानसून के दौरान आता है। इस समय ह्यूमिडिटी (नमी) अधिक होती है और वातावरण में बैक्टीरिया व फंगल संक्रमण बढ़ जाते हैं। हमारा पाचन तंत्र इस समय कमजोर हो जाता है। ऐसे में भारी और तैलीय मांसाहारी भोजन करना शरीर के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
संक्रमण का खतरा
मांसाहारी भोजन जल्दी खराब हो जाता है और इसमें बैक्टीरिया पनपने का खतरा भी अधिक होता है। इसलिए सावन में मांस या मछली खाने से फूड पॉयजनिंग, अलर्जी, और पेट संबंधी रोग होने की आशंका बढ़ जाती है।
कुदरती नियंत्रण
प्राकृतिक दृष्टि से यह प्रजनन का मौसम होता है। इस दौरान कई प्रजातियां प्रजनन काल में होती हैं। ऐसे में पशु-पक्षियों का शिकार करने या उन्हें खाने से इकोलॉजिकल असंतुलन पैदा हो सकता है।
क्या नॉनवेज खाना पाप है?
शास्त्रों की दृष्टि से देखा जाए तो सावन में मांसाहार करना पाप के बराबर माना गया है क्योंकि यह भगवान शिव की इच्छा और पवित्रता के विपरीत है। खासकर व्रत रख रहे व्यक्ति, शिवभक्त, और साधना में लगे साधक के लिए यह गंभीर दोष माना गया है। हालांकि आम जीवन में मांसाहार वैयक्तिक पसंद का विषय हो सकता है, लेकिन जब बात धार्मिक आस्था और आध्यात्मिक अभ्यास की हो, तो तामसिक भोजन से दूरी ही उचित है।
सावन में क्या खाएं और कैसी जीवनशैली अपनाएं?
सात्त्विक भोजन करें-फल, दूध, दही, सब्जी, साबूदाना, मूंगदाल आदि।
मांसाहार, शराब और तंबाकू से दूर रहें।
ब्राह्म मुहूर्त में उठें, स्नान के बाद शिव पूजा करें।
‘ॐ नमः शिवाय’ और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें।
सोमवार व्रत रखें, शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र अर्पित करें।
सावन का समय शरीर को शुद्ध करने, विचारों को निर्मल रखने और जीवन को अनुशासित करने का अवसर है। इस महीने की ऊर्जा अत्यंत सकारात्मक होती है, जिसे मांसाहार जैसी तामसिक प्रवृत्तियां नष्ट कर सकती हैं।
संयम और श्रद्धा का महीना है सावन
सावन न केवल एक धार्मिक पर्व, बल्कि शारीरिक और मानसिक शुद्धि का अवसर है। यह महीना हमें आत्मसंयम, सात्त्विकता और शिव भक्ति के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। ऐसे में मांसाहार से परहेज करना न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से श्रेयस्कर है, बल्कि स्वास्थ्य की दृष्टि से भी आवश्यक है। इसलिए, सावन में नॉनवेज खाना पाप है या नहीं, इसका जवाब आस्था, अनुशासन और वैज्ञानिक समझ के बीच संतुलन में छिपा है।