SAWAN 2025: पहले सोमवार को मंडराएगी ‘भद्रा’ की छाया, इस शुभ मुहूर्त में करें शिव पूजा

11 जुलाई से श्रावण मास की शुरुआत हो चुकी है। 14 जुलाई को पहला सावन सोमवार का व्रत है। इस दौरान भद्रा काल भी लगेगा। इसलिए पूजा का सबसे उत्तम समय क्या है। ये भी आपको पता होना चाहिए। तो चलिए बताते हैं कि पूजा करने की सही समय क्या है।

Dilip Mishra
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SAWAN 2025: 11 जुलाई से श्रावण मास की शुरुआत हो चुकी है। 14 जुलाई को पहला सावन सोमवार का व्रत है। इस दौरान भद्रा काल भी लगेगा। इसलिए पूजा का सबसे उत्तम समय क्या है। ये भी आपको पता होना चाहिए। तो चलिए बताते हैं कि पूजा करने की सही समय क्या है।

शिव उपासना का पावन अवसर

हिंदू पंचांग के अनुसार सावन मास को भगवान शिव का प्रिय मास माना गया है। यह माह श्रद्धा, संयम और भक्ति का प्रतीक होता है। सावन 2025 की शुरुआत 11 जुलाई से हो चुकी है और इसका समापन 9 अगस्त (शनिवार) को होगा। इस बार सावन में चार सोमवार आएंगे, जिनमें प्रत्येक दिन विशेष फल देने वाला माना जाता है, लेकिन पहला सोमवार अत्यंत महत्व रखता है। पहला सावन सोमवार इस बार 14 जुलाई 2025 (सोमवार) को पड़ रहा है। हर साल की तरह इस वर्ष भी लाखों श्रद्धालु व्रत, जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और महामृत्युंजय मंत्रों का जाप करते हुए शिव उपासना में जुटेंगे।

पहले सोमवार पर ‘भद्रा काल’ का प्रभाव

14 जुलाई को पहले सोमवार के दिन भद्रा काल रहेगा, जोकि ज्योतिष के अनुसार अशुभ काल माना जाता है। भद्रा काल में कोई भी शुभ कार्य, विशेष रूप से पूजा-अनुष्ठान या मांगलिक कार्य करना निषेध होता है। भद्रा काल का समय सुबह 01:26 बजे शुरू होकर दोपहर 01:02 बजे तक रहेगा। इस समय में शिव पूजन, रुद्राभिषेक या जलाभिषेक करने से परहेज करना चाहिए।

भद्रा क्या है?

भद्रा को हिन्दू ज्योतिष में एक अशुभ योग माना जाता है, जो विशेष तौर पर भद्रपद नक्षत्र से जुड़ा होता है। यह काल देव कार्यों के लिए वर्जित और बाधा उत्पन्न करने वाला माना गया है। इसलिए सावधानीपूर्वक शुभ मुहूर्त का चयन करना जरूरी होता है।

शिव पूजा का शुभ मुहूर्त

हालांकि भद्रा काल सुबह तक रहेगा, लेकिन भद्रा समाप्ति के बाद शिव पूजा का शुभ मुहूर्त शुरू होता है। भक्तों को इस शुभ समय में ही पूजा करनी चाहिए ताकि उन्हें व्रत और भक्ति का पूर्ण फल प्राप्त हो। महादेव की पूजा के लिए शुभ समय दोपहर 01:05 बजे से लेकर शाम 04:30 बजे तक का है। इसके अतिरिक्त, शाम का प्रदोष काल (06:45 से 08:15 बजे) भी अत्यंत पुण्यकारी माना गया है। इस अवधि में शिवलिंग पर गंगाजल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, भस्म और भांग चढ़ाने की परंपरा है। साथ ही “ॐ नमः शिवाय” और महामृत्युंजय मंत्र का जप विशेष फलदायक होता है।

सावन सोमवार व्रत की विधि और फल

सावन सोमवार का व्रत विशेष रूप से कुंवारी कन्याओं द्वारा उत्तम वर प्राप्ति, विवाहित महिलाओं द्वारा पति की लंबी उम्र, और पुरुषों द्वारा आत्मशुद्धि एवं आर्थिक समृद्धि के लिए किया जाता है। ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान कर शिव मंदिर जाएं। शिवलिंग पर दूध, दही, शहद, घी, गंगाजल से पंचामृत अभिषेक करें। बेलपत्र, आक, धतूरा, चंदन, फूल चढ़ाएं। पूरे दिन फलाहार रखें, जल से परहेज करें (यदि संभव हो)। रात्रि को शिव चालीसा या रुद्राष्टक का पाठ करें। जो भी भक्त सावन सोमवार को विधिपूर्वक उपवास और पूजा करता है, उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। विशेषकर विवाह, संतान, नौकरी, स्वास्थ्य और दरिद्रता निवारण के लिए यह व्रत अत्यंत प्रभावशाली माना जाता है। सावन मास भक्तों के लिए शिव भक्ति का पर्व है। यह समय है आत्मशुद्धि, तपस्या और सकारात्मक ऊर्जा को आत्मसात करने का। हालांकि इस वर्ष पहले सोमवार पर भद्रा काल बाधा डाल सकता है, लेकिन सही जानकारी और समय का ध्यान रखकर आप पूजा का संपूर्ण पुण्य प्राप्त कर सकते हैं। भद्रा काल में पूजा न करें। शुभ मुहूर्त में ही जलाभिषेक और रुद्राभिषेक करें। व्रत में संयम और शुद्धता का विशेष पालन करें। इस सावन, शिव की उपासना से जीवन में शांति, समृद्धि और सौभाग्य की वर्षा हो इसके लिए विधि से पूजा करने की जरूरत है।