बरसात में बैंगन सेहत के लिए फायदेमंद या जहर? जानिए सच्चाई!

बरसात में बैंगन खाना सेहत के लिए खतरनाक होता है, क्या यह सिर्फ एक परंपरा है या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक वजह भी है? चलिए जानते है इस आर्टिकल में क्या मानसून में बैंगन खाना वाकई नुकसानदेह है

Kumari Sakshi
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बरसात के मौसम में हर किसी की प्लेट में गर्मागर्म भजिए, पकौड़े और मसालेदार सब्ज़ियां जगह ले लेती हैं। लेकिन इस मौसम को लेकर एक पुरानी और प्रचलित धारणा है कि बरसात में बैंगन खाना सेहत के लिए खतरनाक होता है, क्या यह सिर्फ एक परंपरा है या इसके पीछे कोई वैज्ञानिक वजह भी है? चलिए जानते है इस आर्टिकल में क्या मानसून में बैंगन खाना वाकई नुकसानदेह है या यह एक भ्रम है?

बैंगन में पोषक तत्वों से भरपूर सब्जी

बैंगन को इंग्लिश में Brinjal या Eggplant कहा जाता है, यह विटामिन C, K, फाइबर, आयरन और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती है. इसमें मौजूद नैचुरल फाइटोन्यूट्रिएंट्स इम्यून सिस्टम को मजबूत बनाते हैं. लेकिन बरसात के मौसम में इसकी गुणवत्ता, ताज़गी और पाचन पर प्रभाव को लेकर कुछ सावधानियां जरूरी हैं.

बरसात में बैंगन हानिकारक?

बैंगन में कीड़े और फंगस की आशंका बढ़ जाती है. मानसून में नमी और गंदगी के कारण बैंगन के अंदर कीड़े, लार्वा या फफूंदी (fungus) हो सकती है, जो दिखाई नहीं देती लेकिन सेहत को नुकसान पहुंचा सकती है.

कमजोर पाचन के लिए भारी सब्जी- बरसात के मौसम में पाचन तंत्र अक्सर धीमा और कमजोर हो जाता है. ऐसे में बैंगन जैसी सब्जी, जो गैस, एसिडिटी और एलर्जी को बढ़ा सकती है, परेशानी का कारण बनती है.

एलर्जिक रिएक्शन की संभावना- कुछ लोगों में बैंगन से एलर्जी या स्किन इरिटेशन हो सकता है, खासकर मानसून में जब ह्यूमिडिटी बढ़ी होती है. इससे त्वचा पर रैशेज या खुजली हो सकती है.

बैंगन के फायदे

फाइबर से भरपूर: पाचन तंत्र को साफ रखने में मदद करता है.

लो कैलोरी सब्जी: वज़न कम करने वालों के लिए आदर्श है.

एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर: कोशिकाओं की मरम्मत करता है.

ब्लड प्रेशर कंट्रोल: पोटैशियम की मात्रा हृदय स्वास्थ्य के लिए अच्छी है.

कब खाएं और कब बचें- जब बैंगन ताजा और बिना कीड़े वाला हो, बाजार से बैंगन खरीदते समय ध्यान दें कि उसमें कोई संदिग्ध दाग, छेद या सड़न न हो. अगर आपका पाचन अच्छा है जिन लोगों की डाइजेशन पावर स्ट्रॉन्ग है और गैस/एसिडिटी की समस्या नहीं रहती, वे बैंगन खा सकते हैं. जब बैंगन पूरी तरह पका हो या कम पकाया गया बैंगन पाचन में भारी पड़ सकता है. अच्छे से मसालों में पकाकर खाएं और सप्ताह में 1–2 बार ही खाएं, मानसून में कोई भी भारी सब्जी ज्यादा मात्रा में न लें. बैंगन को हफ्ते में 1-2 बार खाना ठीक है.

कब बचें बैंगन से- अगर आपको स्किन एलर्जी या खुजली की समस्या रहती है, तो बैंगन न खाएं इसमें मौजूद कुछ कंपाउंड्स (जैसे सोलैनिन) एलर्जिक रिएक्शन को ट्रिगर कर सकते हैं.  अगर गैस, एसिडिटी या कब्ज से ग्रसित हैं तो मानसून में डाइजेशन कमजोर रहता है और बैंगन भारी सब्जी मानी जाती है. इससे पेट और बिगड़ सकता है. अगर बैंगन में छेद, काले दाग या फफूंदी हो मानसून में कीड़े लगना आम है. ऐसे बैंगन से फूड पॉइजनिंग तक हो सकती है. इसके अलावा छोटे बच्चों और बुज़ुर्गों को सीमित मात्रा में दें उनकी पाचन शक्ति कमजोर होती है, इसलिए जरूरत से ज्यादा बैंगन नुकसानदेह हो सकता है.