High court on Minor Rape Victim Motherhood : मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण और मानवीय फैसले में रेप पीड़िता एक नाबालिक लड़की को मातृत्व का अधिकार दिया गया है। नाबालिक लड़की को गर्भावस्था पूरी करने और बच्चे को जन्म देने की अनुमति देते हुए अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया कि वह मां और नवजात दोनों की संपूर्ण देखभाल की जिम्मेदारी उठाएगी।
हाई कोर्ट इस मामले की सुनवाई की है। न्यायमूर्ति विनय सराफ ने सुनवाई करते हुए कहा कि गर्भ की वर्तमान अवस्था लगभग 31 सप्ताह हो गई है। जिसको देखते हुए अबॉर्शन पीड़िता की जान के लिए खतरा बन सकता है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि सरकार एक विशेषज्ञ डॉक्टर की टीम गठित करेगी, जो पीड़िता को गर्भावस्था और प्रसव के दौरान सभी आवश्यक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराएगी।

बच्चे के व्यस्क होने तक मुफ्त मेडिकल सुविधा और 12वीं कक्षा तक निशुल्क शिक्षा
अदालत ने यह भी कहा है कि बच्चे के व्यस्क होने तक मुफ्त मेडिकल सुविधा और 12वीं कक्षा तक निशुल्क शिक्षा उपलब्ध कराना राज्य सरकार की जिम्मेदारी होगी। यह फैसला सामाजिक सुरक्षा और संवेदनशीलता दोनों के समावेश से लिया गया है। यदि पीड़िता और उसके माता-पिता जन्म के बाद बच्चे को गोद लेना चाहे तो सरकार सुनिश्चित करेगी कि यह प्रक्रिया कानूनी और सुरक्षित ढंग से पूरी की जा सके।
बता दे की मामला मध्य प्रदेश के मंडला जिले का है। जहां एक स्थानीय अदालत में रेप पीड़िता नाबालिक का मामला विचार अधीन था। पुलिस द्वारा मामले की सूचना दिए जाने के बाद एडिशनल डिस्ट्रिक्ट जज ने इसे SOP के तहत हाई कोर्ट को रेफर कर दिया था। वही इस दौरान पीड़िता और उसके माता-पिता ने हाई कोर्ट को पत्र लिखा था। जिसमें गर्भावस्था पूरी करने की इच्छा जताई थी। जिसके आधार पर यह सुनवाई की गई है।
फैसले को ध्यान में रखते हुए कोर्ट ने राज्य सरकार को सुझाव दिया है कि यह एक समर्पित नीति तैयार करें। जिससे यौन उत्पीड़न या बलात्कार जैसे अपराधों के पीड़ितों और उनके बच्चों के लिए समुचित देखभाल, सुरक्षा, शिक्षा और उनके पुनर्वास को सुनिश्चित किया जा सके और कानून और संवेदना का अद्वितीय संतुलन इस मामले में देखने को मिले।