धार्मिक पर्यटन को मिलेगा नया आयाम, दो राज्यों को जोड़ेगा श्रीकृष्ण पाथेय, एमपी और महाराष्ट्र के बीच बनेगा पांच ज्योतिर्लिंगों का सर्किट

मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र ने सांस्कृतिक, धार्मिक और विकासात्मक सहयोग को बढ़ाते हुए तापी बेसिन परियोजना, ‘श्रीकृष्ण पाथेय’, और पांच ज्योतिर्लिंगों को जोड़ने वाले पर्यटन सर्किट की योजना बनाई है। साथ ही ऐतिहासिक विरासत के संरक्षण, किसानों को समर्थन और हाथियों की सुरक्षा के लिए कई अहम फैसले लिए गए हैं।

Srashti Bisen
Published:

मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र के बीच अब सांस्कृतिक और विकासात्मक रिश्ते और प्रगाढ़ होने जा रहे हैं। विश्व की सबसे बड़ी तापी बेसिन ग्राउंड वाटर परियोजना की साझेदारी ने दोनों राज्यों को एक नई दिशा दी है।

इस पहल के माध्यम से दोनों राज्य भगवान श्रीकृष्ण के जीवन और आदर्शों को आधार बनाकर ‘श्रीकृष्ण पाथेय’ का विस्तार महाराष्ट्र तक करेंगे, जिसमें महाराष्ट्र में श्रीकृष्ण से जुड़े तीर्थ स्थलों का विकास किया जाएगा।

पांच ज्योतिर्लिंगों को जोड़ेगा नया सर्किट

मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र मिलकर पांच प्रमुख ज्योतिर्लिंगों को एक पर्यटन सर्किट के रूप में विकसित करेंगे। इसमें एमपी के महाकालेश्वर और ओंकारेश्वर तथा महाराष्ट्र के त्र्यंबकेश्वर, घृष्णेश्वर और भीमाशंकर शामिल हैं। इन स्थलों के बीच बेहतर हवाई, रेल और सड़क संपर्क तैयार किए जाएंगे ताकि श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आवागमन में सुविधा हो।

इतिहास और विरासत को डिजिटली सहेजने की तैयारी

अब इस प्रयास में महाराष्ट्र भी मध्यप्रदेश का सहयोगी बनकर सामने आया है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मंत्रिपरिषद को बताया कि मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक संबंध गहरा और समृद्ध रहा है। बाजीराव पेशवा, तात्या टोपे, रानी लक्ष्मीबाई, अप्पाजी भोंसले और देवी अहिल्या बाई होल्कर जैसे महान विभूतियों की ऐतिहासिक घटनाओं को एकजुट रूप में दस्तावेजीकृत करने, डिजिटाइज़ करने और मोढ़ी लिपि के संरक्षण के लिए दोनों राज्य मिलकर काम करेंगे।

मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र मिलकर सहेजेंगे सांस्कृतिक विरासत

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव इन दिनों प्रदेश की सांस्कृतिक चेतना और धार्मिक पर्यटन को एक नई दिशा देने में जुटे हैं। गीता के संदेश से सांस्कृतिक जागरण, गोपालन से आर्थिक समृद्धि, श्रीराम वनगमन पथ और श्रीकृष्ण पाथेय जैसे धार्मिक स्थलों के माध्यम से प्रदेश को आध्यात्मिक केंद्र के रूप में स्थापित करने की दिशा में कई अहम पहलें की जा रही हैं। उज्जैन में सिंहस्थ भूमि के स्थायी आवंटन ने स्थानीय जनता में एक नया उत्साह भर दिया है, वहीं ओंकारेश्वर समेत अन्य प्रमुख धार्मिक स्थलों पर तेजी से विकास कार्य जारी हैं। इन स्थलों को ‘धाम’ और ‘लोक’ के रूप में विकसित किया जा रहा है जिससे प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित किया जा सके।