PMLA के घेरे में गांधी परिवार, सोनिया-राहुल जा सकते हैं जेल? ED की कार्रवाई बढ़ा सकती है मुश्किलें

सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ PMLA की धारा 44 और 45 के तहत शिकायत दर्ज की गई है, जिसमें धारा 45 मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में जमानत मुश्किल बनाती है। इससे पहले यह धारा अरविंद केजरीवाल, हेमंत सोरेन, मनीष सिसोदिया और अन्य नेताओं पर भी लागू हो चुकी है, जिससे उन्हें राहत मिलना कठिन हुआ था।

Raj Rathore
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सोनिया गांधी और राहुल गांधी के खिलाफ PMLA की धारा 44 और 45 के तहत शिकायत दर्ज की गई है। इनमें से धारा 45 मनी लॉन्ड्रिंग मामलों में जमानत को बेहद कठिन बना देती है, जिससे आरोपी का जेल से बाहर आना आसान नहीं होता। यही सख्त धारा पहले अरविंद केजरीवाल, हेमंत सोरेन, मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन और के. कविता जैसे कई नेताओं पर भी लागू की जा चुकी है, जिससे उन्हें राहत मिलना बेहद मुश्किल हो गया था।

चार्जशीट के मुद्दे पर सियासी हलचल

राउज एवेन्यू कोर्ट में दाखिल चार्जशीट को लेकर कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और अन्य नेताओं पर चार्जशीट दायर किया जाना प्रधानमंत्री और गृह मंत्री की बदले की भावना और डर की राजनीति का प्रतीक है, जो अब बेकाबू होती जा रही है।

अरविन्द केजरीवाल और हेमंत सोरेन सहित अन्य नेता भी जा चुके हैं जेल

दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में अरविंद केजरीवाल को 21 मार्च 2024 को गिरफ्तार किया गया था। ईडी का आरोप है कि उन्होंने शराब लाइसेंस के एवज में रिश्वत ली और उसे आम आदमी पार्टी के चुनाव प्रचार में खर्च किया। केजरीवाल कई महीनों तक जेल में रहे और फिलहाल जमानत पर हैं।

झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को 31 जनवरी 2024 को जमीन घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया गया था। ईडी ने उन पर अवैध भूमि सौदों से प्राप्त धन का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया। जून 2024 में झारखंड हाईकोर्ट ने उन्हें जमानत दी, और फिलहाल वे जमानत पर रिहा हैं।

मनीष सिसोदिया के खिलाफ भी मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया गया था। उन्हें 26 फरवरी 2023 को गिरफ्तार किया गया। ईडी का आरोप था कि उन्होंने दिल्ली की आबकारी नीति में बदलाव कर शराब कारोबारियों को लाभ पहुंचाया। अगस्त 2024 में सुप्रीम कोर्ट से उन्हें जमानत मिली और फिलहाल वे जमानत पर रिहा हैं।

के कविता को भी दिल्ली शराब घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में 15 मार्च 2024 को गिरफ्तार किया गया था। ईडी का आरोप था कि उन्होंने साउथ ग्रुप के माध्यम से रिश्वत दी और अवैध धन का लेन-देन किया। सितंबर 2024 में सुप्रीम कोर्ट से उन्हें जमानत मिली। फिलहाल वे जमानत पर हैं और बीआरएस की गतिविधियों में सक्रिय भूमिका निभा रही हैं।

सत्येंद्र जैन के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में मामला दर्ज किया गया था। उन्हें 30 मई 2022 को गिरफ्तार किया गया। ईडी ने दावा किया कि जैन ने कोलकाता की फर्जी कंपनियों के माध्यम से 4.81 करोड़ रुपये की अवैध आय को वैध बनाया। फिलहाल वे जमानत पर रिहा हैं।

संजय राउत का मामला भी इसी तरह का है। ईडी ने आरोप लगाया कि राउत ने अवैध रूप से 1 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति अर्जित की। उन्हें गिरफ्तार किया गया, लेकिन फिलहाल वे जमानत पर हैं। इसी प्रकार, छगन भुजबल पर भी मनी लॉन्ड्रिंग का आरोप लगा। उन्हें 14 मार्च 2016 को गिरफ्तार किया गया। ईडी का दावा था कि महाराष्ट्र सदन घोटाले में भुजबल ने ठेकेदारों से रिश्वत ली और अवैध धन को वैध बनाया। मई 2018 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत दी, और वे अब जमानत पर हैं।

नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस, क्या है पूरा मामला?

नेशनल हेराल्ड मनी लॉन्ड्रिंग केस इंडियन लिमिटेड, एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) और नेशनल हेराल्ड अखबार के बीच वित्तीय लेनदेन से संबंधित है। आरोप है कि कांग्रेस के शीर्ष नेताओं ने पार्टी के फंड्स का दुरुपयोग करते हुए AJL की संपत्तियों को अपनी निजी कंपनी ‘यंग इंडियन’ के स्वामित्व में ट्रांसफर करवा लिया।

ईडी का आरोप है कि पार्टी के फंड्स का अवैध रूप से निजी लाभ के लिए इस्तेमाल किया गया। जांच में यह सामने आया कि ‘यंग इंडियन’ कंपनी में कांग्रेस नेताओं सोनिया गांधी और राहुल गांधी की 76 प्रतिशत हिस्सेदारी है।

इस मामले की जांच ईडी ने 2021 में शुरू की थी, हालांकि इसकी शुरुआत 2014 में बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी द्वारा दायर की गई एक आपराधिक शिकायत से हुई थी। आरोप है कि AJL की करीब 2000 करोड़ रुपये की संपत्तियां केवल 50 लाख रुपये में यंग इंडियन लिमिटेड के जरिए नियंत्रित की गईं।

नेशनल हेराल्ड अखबार की स्थापना 1938 में देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और अन्य स्वतंत्रता सेनानियों ने की थी। यह अखबार ब्रिटिश शासन की दमनकारी नीतियों के खिलाफ आवाज उठाने का एक महत्वपूर्ण मंच था, खासकर स्वतंत्रता संग्राम के दौरान। इसका प्रमुख उद्देश्य देश में जागरूकता फैलाना और स्वतंत्रता आंदोलन को समर्थन प्रदान करना था।