दिनेश निगम ‘त्यागी’
सरकार गिराने-बनाने के बाद अब उप चुनावों को लेकर भाजपा-कांग्रेस के बीच शह-मात का खेल चल रहा है। भाजपा के पास जो रिपोर्ट है, उसके अनुसार कांग्रेस के कई बागियों की उनके क्षेत्रों में हालत पतली है। इस नुकसान की भरपाई के उद्देश्य से भाजपा ने कांग्रेस के विधायकों को तोड़ने का अभियान चला रखा है। ऐसा कर भाजपा नेतृत्व एक तीर से दो निशाने साध रही है। एक, सिंधिया समर्थक पूर्व विधायकों के हारने पर उनकी भरपाई आने वाले दूसरे विधायकों से करना। दो, दूसरे क्षेत्रों में जीत कर सिंधिया को भाजपा की असल ताकत का अहसास कराना। दूसरी तरफ कांग्रेस विधायकों के टूटने से चिंता में तो है लेकिन सबक लेकर खुद में सुधार करने तैयार नहीं है।
अलबत्ता, नहले पर दहला जड़ने की तर्ज पर वह जवाबी रणनीति पर काम जरूर कर रही है। कांग्रेस का फोकस भाजपा के उन नेताओं पर है जो बागियों के आने के कारण खुद का राजनीति भविष्य दांव पर देख रहे हैं। ऐसे तीन नेताओं को भाजपा से तोड़ा जा चुका है। लगभग एक दर्जन अन्य ताकतवर असंतुष्ट नेताओं पर कांग्रेस की नजर है। उनसे संपर्क बना हुआ है। इस तरह उप चुनावों में भाजपा की ओर से कांग्रेसी और कांग्रेस की ओर भाजपाई मैदान में दिखाई पड़ें तो अचरज नहीं किया जाना चाहिए।
दो और भाजपा में आए, दो का इंकार….
– भाजपा के विधायक तोड़ो अभियान का नतीजा है कि सरकार बनने के बाद पहले मलेहरा से कांग्रेस विधायक प्रद्युम्न सिंह लोधी ने पार्टी का दामन थामा। अगले दिन ही उन्हें नागरिक आपूर्ति निगम का अध्यक्ष बनाकर केबिनेट मंत्री का दर्जा दे दिया गया। इसके बाद नेपानगर की आदिवासी विधायक सावित्री देवी ने कांग्रेस छोड़ भाजपा ज्चाइन की। सावित्री के खिलाफ नेपानगर में भाजपा ही मोर्चा खोले थी। एक आपराधिक मामले में इनका प्रतिनिधि गिरफ्तार हुआ था। पूर्व विधायक मंजू दादू सहित अन्य भाजपा नेता सावित्री देवी के इस्तीफे एवं गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे। भाजपा में आने के बाद भी सावित्री को लेकर नेपानगर के भाजपाईयों की नाराजगी कम नहीं हुई। दमोह के राहुल सिंह लोधी एवं बंडा के तरबर लोधी पर भी भाजपा ने पांसा फेंका था लेकिन उन्होंने कांग्रेस छोड़ने से इंकार कर दिया।
राजपूत-भदौरिया का दावा, 2-3 और आएंगे….
ज्योतिरादित्य सिंधिया के खास प्रदेश के परिवहन एवं राजस्व मंत्री गोविंद राजपूत एवं भाजपा के रणनीतिकार सहकारिता मंत्री अरविंद भदौरिया ने कांग्रेस के कुछ और विधायकों के भविष्य में भाजपा में आने का दावा किया है। इनकी संख्या 2 से 6 तक बताई गई है। राजपूत ने कहा कि 2-3 विधायक और आएंगे। भदौरिया ने कहा 22 की संख्या 26 तक पहुंचाना है जबकि एंदल सिंह कंसाना तो और बड़ा दावा कर चुके हैं। साफ है कि भाजपा की ओर से तोड़फोड़ का खेल आगे भी जारी रहने वाला है।
तोड़फोड़ में कांग्रेस नहीं रहना चाहती पीछे….
– उम्मीद थी कि पहले बगावत की वजह से सरकार गिरने और बाद में भी विधायकों के टूटने के बाद कांग्रेस सबक लेगी। इस समस्या की तह तक जाने और उसके समाधान की कोशिश करेगी कि इतनी पुरानी पार्टी और इतने वरिष्ठ नेता के नेतृत्व के बावजूद विधायक पार्टी छोड़ क्यों रहे हैं। पर ऐसा कुछ नहीं हो रहा। इसके विपरीत कांग्रेस भी भाजपा के रास्ते पर है। उज्जैन के प्रेमचंद गुड्डू, ग्वालियर के बालेंदु शुक्ल एवं सुमावली के अजब सिंह को भाजपा से तोड़कर कांग्रेस में लाया जा चुका है। इसके अलावा चौधरी राकेश सिंह, दीपक जोशी, पारुल साहू, मंजू दादू, रौतेल सिंह, जय सिंह कुशवाह, कन्हैयालाल अग्रवाल सहित एक दर्जन से ज्यादा भाजपा के नाराज नेताओं से कांग्रेस का संपर्क बना हुआ है। कांग्रेस आने वाले समय में बड़ी तादाद में भाजपा नेताओं को तोड़कर धमाका कर सकती है।