Ujjain: सिंहस्थ 2028 तक सिक्सलेन निर्माण से इंदौर और उज्जैन के बीच यात्रा होगी तेज, महज 45 मिनट का होगा सफर

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By Abhishek SinghPublished On: January 31, 2025

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के दृष्टिकोण के तहत, आगामी सिंहस्थ महाकुंभ 2028 को ध्यान में रखते हुए संत-महंत और श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए उज्जैन-इंदौर फोरलेन मार्ग को सिक्सलेन, पेव्ड शोल्डर के साथ हाइब्रिड एन्युटी मोड में विकसित किया जा रहा है। यह मार्ग इंदौर, देवी अहिल्या की नगरी, को उज्जैन, अध्यात्म की नगरी, से जोड़ेगा।

यह ध्यान देने योग्य है कि उज्जैन-इंदौर सिक्सलेन परियोजना का भूमिपूजन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू द्वारा 19 सितंबर 2024 को किया गया था। इस परियोजना का कार्य 15 जनवरी से शुरू किया गया, जब सभी प्रारंभिक औपचारिकताएं पूरी की गईं। यह सिक्सलेन मार्ग इंदौर के ओरोविन्दो मेडिकल कॉलेज से शुरू होकर उज्जैन के हरी फाटक चौराहे तक विस्तृत किया जाएगा। इस परियोजना के अंतर्गत उज्जैन-इंदौर शहर के शहरी क्षेत्र में सिक्सलेन मुख्य मार्ग के साथ-साथ दोनों किनारों पर दो-दो लेन की सर्विस रोड भी बनाई जाएगी, जिससे स्थानीय यातायात में सुगमता आएगी और दुर्घटनाओं की संभावना कम होगी। इसके अतिरिक्त, सिंहस्थ 2028 के दौरान भीड़ प्रबंधन में भी यह मार्ग सहायता प्रदान करेगा।

Ujjain: सिंहस्थ 2028 तक सिक्सलेन निर्माण से इंदौर और उज्जैन के बीच यात्रा होगी तेज, महज 45 मिनट का होगा सफर

उज्जैन-इंदौर सिक्सलेन मार्ग के पूरा होने के बाद इंदौर से उज्जैन की यात्रा अब 80 मिनट की बजाय केवल 45 मिनट में पूरी होगी। इस परियोजना के तहत, क्षिप्रा और कान्ह नदी पर बड़े पुलों का निर्माण किया जाएगा, साथ ही उज्जैन शहर के महामत्युंजय द्वार तिराहा और शांती पैलेस चौराहे पर फ्लाईओवर बनाए जाएंगे। इसके अलावा, कुल 6 व्हीकुलर अंडरपास का निर्माण भी किया जाएगा—ग्राम धरमपुरी में 1, ग्राम सावेर में 3, ग्राम पंथपिप्लाई में 1 और उज्जैन शहर के इंजीनियरिंग कॉलेज तिराहे पर 1। इसके अलावा, अन्य संरचनाओं जैसे ट्रक और बस लेन, पुलियां आदि का भी निर्माण किया जाएगा।

उज्जैन-इंदौर सिक्सलेन परियोजना की कुल निर्माण लागत 1692 करोड़ रुपये है, और यह वर्तमान भूमि पर ही बनाई जा रही है। इस परियोजना का कार्य 14 जनवरी 2027 तक पूरा किया जाएगा, और कार्य की समाप्ति के बाद अगले 15 वर्षों तक मार्ग का रखरखाव निर्माणकर्ता एजेंसी द्वारा किया जाएगा। इस प्रकार, अगले 17 वर्षों में कुल 1692 करोड़ रुपये का व्यय होगा। यह परियोजना एक प्रमुख बुनियादी ढांचा है, जो यातायात को सुगम और निर्बाध बनाएगा, जिससे उज्जैन और इंदौर के बीच औद्योगिकीकरण में वृद्धि होगी। इसके परिणामस्वरूप, उज्जैन और आसपास के क्षेत्रों में नई आर्थिक गतिविधियाँ उत्पन्न होंगी, जिससे नागरिकों को रोजगार के अवसर मिलेंगे।