यादव से देवतवार तक
शुरुआत में जीतू ने अपने नाम के साथ ‘यादव’ सरनेम का इस्तेमाल किया, जिस पर यादव समाज ने कड़ी आपत्ति जताई। इसके बाद, जीतू ने अपना सरनेम बदलकर ‘जाटव’ कर लिया, लेकिन अब दस्तावेजों में उनका असली सरनेम ‘देवतवार’ सामने आया है, जिसे पहले कभी सार्वजनिक नहीं किया गया था। इस बदलाव के पीछे क्या वजह रही, यह अभी तक साफ नहीं हो पाया है। कुछ लोग मान रहे हैं कि जीतू ने यह कदम अपने खिलाफ दर्ज अपराधों को छिपाने के लिए उठाया।
शपथ पत्र में नया खुलासा और पुलिस जांच
जीतू का नाम पार्षद चुनाव के दौरान दायर शपथ पत्र में ‘जीतू देवतवार’ के रूप में दर्ज था, जबकि परदेशीपुरा थाने में दर्ज एफआईआर में उनका नाम ‘जीतू यादव’ के रूप में है। इस बदलाव के बाद अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या जीतू ने चुनावी शपथ पत्र में गलत जानकारी दी थी? क्या पुलिस और निर्वाचन आयोग को गलत जानकारी देने के कारण अब उन पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी?
अब प्रशासन इस मामले की जांच कर रहा है और यह देखना बाकी है कि जांच के बाद क्या जीतू यादव पर षड्यंत्र की धाराओं में एफआईआर दर्ज की जाएगी। जीतू के सरनेम में बदलाव और इससे जुड़े दस्तावेजों में गड़बड़ी ने इस मामले को और जटिल बना दिया है।