नर्मदा नदी ने इंदौर के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। नर्मदा का पानी इंदौर तक पहुंचने के बाद शहर ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। करीब 45 साल पहले नर्मदा का जल इंदौर पहुंचा था। मां अहिल्या ने नर्मदा नदी के तट पर अपनी राजधानी स्थापित की थी, और उनकी आस्था व आशीर्वाद से उन्होंने पूरे देश में धर्म की रक्षा के लिए उल्लेखनीय कार्य किए। यह विचार एमपी के सीएम मोहन यादव ने इंदौर में व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि नर्मदा अब सिर्फ मध्यप्रदेश तक सीमित नहीं है, बल्कि गुजरात, राजस्थान और महाराष्ट्र के लोगों को भी इसके दर्शन का सौभाग्य मिलता है। इंदौरवासियों का नर्मदा नदी पर विशेष अधिकार है, और इसी वजह से शहर के चौराहे पर मां नर्मदा की इस नई प्रतिमा की स्थापना की गई है, जिससे लोग रोज दर्शन कर सकें। उन्होंने यह भी बताया कि नर्मदा अकेली ऐसी नदी है जो पश्चिम दिशा की ओर प्रवाहित होती है। अमरकंटक से खंभात की खाड़ी तक नर्मदा अपनी पवित्रता बनाए रखती है। यह देश की एकमात्र नदी है जिसकी परिक्रमा की जाती है। परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं की सेवा के लिए ग्रामीणजन तन, मन और धन से समर्पित रहते हैं।
सीएम मोहन यादव ने कहा कि मां नर्मदा के उद्गम से लेकर संगम तक के पूरे क्षेत्र में सरकार पौधारोपण करेगी। साथ ही, घाटों का निर्माण और परिक्रमा करने वाले श्रद्धालुओं के लिए आश्रम भी बनाए जाएंगे। मेयर पुष्यमित्र भार्गव ने कहा कि नर्मदा का आशीर्वाद इंदौर पर सदा बना हुआ है। नर्मदा मां प्रतिदिन शहर की प्यास बुझाने आती है। इसी भावना को सम्मान देते हुए, इंदौर के एक चौराहे पर नर्मदा परिक्रमा की झलक को दर्शाने वाली संरचना स्थापित की गई है, जिसमें महेश्वर किले की प्रतिकृति भी शामिल है।
कार्यक्रम के दौरान नार्मदीय समाज के पदाधिकारियों ने मुख्यमंत्री का स्वागत किया, जबकि पार्षद प्रशांत बर्वे ने आभार व्यक्त किया। इस मौके पर मुख्यमंत्री ने कई अन्य विकास परियोजनाओं का लोकार्पण भी किया।