Atal Bihari Vajpayee : आज, 25 दिसंबर 2024, को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती मनाई जा रही है। उनका जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के शिंदे की छावनी में हुआ था। अटल जी का निधन 16 अगस्त 2018 को हुआ था। उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि देने के लिए कई महत्वपूर्ण कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
आज उनके समाधि स्थल सदैव अटल पर एक श्रद्धांजलि कार्यक्रम का आयोजन किया जाएगा, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और अन्य प्रमुख नेता शामिल होंगे। इसके अलावा, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष जेपी नड्डा और कई अन्य नेता दिल्ली के स्मृति स्थल पर पहुंचकर अटल जी को श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे।
आदरणीय अटल बिहारी वाजपेयी जी ने संवैधानिक मूल्यों के संरक्षण के साथ जिस प्रकार देश को एक नई दिशा और गति दी, उसका प्रभाव हमेशा अटल रहेगा। यह मेरा सौभाग्य रहा है कि मुझे उनका भरपूर सान्निध्य और आशीर्वाद मिला। पढ़िए, उनकी जन्म-शताब्दी पर मेरा यह आलेख….https://t.co/Uvuf9hKfxs
— Narendra Modi (@narendramodi) December 25, 2024
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 25 दिसंबर को मध्य प्रदेश का दौरा करेंगे। वे खजुराहो में कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और शिलान्यास करेंगे, जिनमें केन-बेतवा परियोजना का शिलान्यास शामिल है, जो अटल जी का एक महत्वपूर्ण सपना था। इसके अलावा, प्रधानमंत्री मोदी अटल जी की जयंती के अवसर पर एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का भी जारी करेंगे। इसके साथ ही, वे 1153 अटल ग्राम सुशासन भवनों की आधारशिला रखेंगे, जो ग्राम पंचायतों में सुशासन और प्रशासनिक कार्यों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म और शिक्षा जीवन
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले के शिंदे की छावनी में हुआ था। उनके पिता कृष्ण बिहारी वाजपेयी और माता कृष्णा देवी थे। वाजपेयी जी ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा ग्वालियर में प्राप्त की और विक्टोरिया कॉलेज से स्नातक की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद, उन्होंने कानपुर के डीएवी कॉलेज से राजनीति विज्ञान में एम.ए. किया।
कानपुर में पिता के साथ की LLB की पढ़ाई
अटल जी ने कानपुर के डीएवी कॉलेज में अपने पिता के साथ कानून की पढ़ाई की। वे एक ही कक्षा में थे और दोनों एक साथ हॉस्टल में रहते थे। हालांकि, राजनीति में प्रवेश करने के बाद अटल जी ने अपनी एलएलबी की पढ़ाई को बीच में छोड़ दिया था। इस दौरान देश में ब्रिटिश शासन के खिलाफ आंदोलनों का जोर था।
24 दिनों के लिए जेल भी हुई
अटल बिहारी वाजपेयी का जीवन बहुत ही प्रेरणादायक था। वे 1942 में भारत छोड़ो आंदोलन में भाग लेने के कारण 24 दिनों तक जेल में रहे। इसके बाद, उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़कर अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत की और भारतीय जनता पार्टी से जुड़े।
प्रधानमंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी का योगदान
अटल बिहारी वाजपेयी ने 16 मई 1996 को भारत के 10वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। हालांकि, इस बार वे सरकार नहीं चला सके, लेकिन 19 मार्च 1998 को फिर से प्रधानमंत्री बने और 13 अक्टूबर 1999 को तीसरी बार प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। उन्होंने भारतीय राजनीति में एक मजबूत स्थान बनाया और विदेश नीति, विशेषकर परमाणु नीति में महत्वपूर्ण निर्णय लिए।
अटल बिहारी वाजपेयी, जिनका जन्म मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ, भारतीय राजनीति के एक अडिग स्तंभ थे। 93 साल की उम्र में उन्होंने इस दुनिया को अलविदा कहा, लेकिन अपने योगदान से हमेशा याद किए जाएंगे। भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के इस दिग्गज नेता ने देश के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री के रूप में भी अहम जिम्मेदारियां निभाईं।
1977 से 1979 तक, वह प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के कैबिनेट का हिस्सा रहे और 1996 में महज 13 दिनों के लिए देश के प्रधानमंत्री बने। वाजपेयी जी का राजनीतिक सफर 1951 में जनसंघ के संस्थापक सदस्य के रूप में शुरू हुआ, और 1957 में वह संसद के सदस्य बने। उनकी नेतृत्व क्षमता और दूरदर्शिता ने उन्हें भारतीय राजनीति का एक अनमोल रत्न बना दिया।
संयुक्त राष्ट्र में हिंदी में भाषण देने वाला पहला प्रधानमंत्री
अटल बिहारी वाजपेयी ने भारतीय राजनीति में अपनी खास पहचान बनाई। 1977 में जब वे विदेश मंत्री बने, तब उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा में हिंदी में भाषण दिया, जो कि एक ऐतिहासिक क्षण था। वे पहले नेता थे जिन्होंने हिंदी में भाषण दिया।
भारत को परमाणु शक्ति बनने का सपना साकार किया
अटल बिहारी वाजपेयी की प्रधानमंत्री के रूप में एक बड़ी उपलब्धि 1998 में पोखरण परमाणु परीक्षण था, जिससे भारत को एक परमाणु शक्ति बना दिया। उन्होंने अंतरराष्ट्रीय दबावों के बावजूद इस परीक्षण को सफलतापूर्वक अंजाम दिया और भारत को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान दिलाई।
सम्मान और पुरस्कारों से नवाजे गए अटल बिहारी वाजपेयी
अटल बिहारी वाजपेयी को उनके योगदान के लिए कई सम्मान मिले। उन्हें 1992 में पद्म विभूषण और 2014 में भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया। वे भारतीय राजनीति में एक अद्वितीय नेता के रूप में सदैव याद किए जाएंगे।
16 अगस्त 2018 को अटल बिहारी वाजपेयी ने ली थी अंतिम सांस
अटल बिहारी वाजपेयी का स्वास्थ्य 2000 के बाद बिगड़ने लगा। 2001 में उनकी घुटने की सर्जरी हुई और 2009 में उन्हें स्ट्रोक आया, जिससे उनकी बोलने की क्षमता प्रभावित हुई। 16 अगस्त 2018 को उनका निधन हो गया, लेकिन उनका योगदान भारतीय राजनीति में हमेशा याद रहेगा।