Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बिहार के पूर्व मंत्री बृज बिहारी प्रसाद की 1998 में हुई हत्या के मामले में पूर्व विधायक मुन्ना शुक्ला और एक अन्य व्यक्ति को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। यह मामला लंबे समय से न्यायालय में विचाराधीन था।
उच्च न्यायालय का फैसला पलटा
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार, और न्यायमूर्ति आर महादेवन की पीठ ने पटना उच्च न्यायालय द्वारा सभी आरोपियों को बरी करने के फैसले को आंशिक रूप से खारिज किया। कोर्ट ने दोषी मंटू तिवारी और मुन्ना शुक्ला को 15 दिनों के भीतर आत्मसमर्पण करने का आदेश दिया।
अन्य आरोपियों को मिली राहत
सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सांसद सूरजभान सिंह सहित छह अन्य आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए उन्हें बरी कर दिया। पीठ ने कहा कि तिवारी और मुन्ना शुक्ला के खिलाफ हत्या और हत्या के प्रयास के आरोप स्पष्ट हैं, जबकि अन्य आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य नहीं पाए गए।
निचली अदालत के फैसले को खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने निचली अदालत के 12 अगस्त 2009 के आदेश को खारिज कर दिया था, जिसमें सभी आरोपियों को दोषी ठहराया गया था। इससे पहले, 24 जुलाई 2014 को उच्च न्यायालय ने अभियोजन पक्ष के साक्ष्यों पर विचार करते हुए सभी आरोपियों को संदेह का लाभ दिया था।
पीड़ित परिवार की ओर से चुनौती
पूर्व भाजपा सांसद रमा देवी, जो बृज बिहारी प्रसाद की पत्नी हैं, और सीबीआई ने उच्च न्यायालय के 2014 के आदेश को चुनौती दी थी, जिसके कारण यह मामला पुनः सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा। न्यायालय ने इस मामले में नया मोड़ देते हुए अब दोषियों को सजा सुनाई है।